Aniruddh Singh
23 Sep 2025
सिंगापुर। मंगलवार को एशियाई शेयर बाजारों में ज्यादातर जगहों पर हल्की सुस्ती और उतार-चढ़ाव का माहौल देखने को मिल रहा है। हाल ही में आई तेजी के बाद निवेशक अब सतर्क रुख अपनाते दिख रहे हैं, क्योंकि अमेरिकी ब्याज दरों से जुड़े मिले-जुले संकेत और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कामकाजी वीजा पर की गई सख्ती ने बाजार की धारणा को प्रभावित किया है। चीन के शेयर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, खासकर स्थानीय टेक्नोलॉजी कंपनियों के शेयरों में पिछले एक महीने से चली आ रही तेज रैली थम गई दिखती है। हांगकांग के शेयरों पर भी इसका असर साफ देखा जा सकता है। जापान में अवकाश होने के कारण क्षेत्रीय स्तर पर कारोबार की मात्रा कम रही। कुल तस्वीर यह है कि एशियाई शेयर बाजार अमेरिकी ब्याज दरों पर अनिश्चितता और ट्रंप की वीजा नीति की वजह से दबाव में दिखाई दिए। चीन की टेक्नोलॉजी कंपनियों में मुनाफावसूली ने गिरावट को और गहरा कर दिया, जबकि ऑस्ट्रेलिया, ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसे कुछ बाजारों को स्थानीय वजहों से थोड़ी मजबूती देखने को मिली।
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निवेशक इस हफ्ते आने वाले कई अहम अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि अमेरिकी बाजारों से कुछ सकारात्मक संकेत मिले हैं, जहां वॉल स्ट्रीट सोमवार को रिकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ, लेकिन एशिया में यह रफ्तार टिक नहीं सकी और अमेरिकी एसएंडपी 500 फ्यूचर्स लगभग स्थिर रहे। दूसरी ओर, निवेशकों की जोखिम से बचने की प्रवृत्ति भी कायम रही, जिसका प्रमाण एशियाई कारोबार में सोने की कीमतों का नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचना है। ताइवान की प्रमुख कंपनियां जैसे एनवीडिया के सप्लायर टीएसएमसी और फॉक्सकॉन 2% तक मजबूत रहीं। इसका कारण यह रहा कि एनवीडिया ने हाल ही में ओपनएआई में 100 अरब डॉलर का निवेश करने की घोषणा की, जिससे उसके शेयर लगभग 4% उछल गए।
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वहीं, एप्पल के शेयर भी आईफोन की बढ़ती मांग के अनुमान के चलते मजबूत हुए और इसका असर एशियाई सप्लायर्स पर सकारात्मक रहा। दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.3% बढ़ा, जबकि सिंगापुर का स्ट्रेट्स टाइम्स इंडेक्स लगभग स्थिर रहा। ऑस्ट्रेलिया का एएसएक्स 200 आधा प्रतिशत चढ़ा क्योंकि वहां खनन कंपनियों को मजबूत धातु कीमतों का सहारा मिला। इसने वहां के कमजोर पीएमआई आंकड़ों को नजरअंदाज करने में मदद की, जिनसे संकेत मिला था कि सितंबर में निर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों की रफ्तार धीमी हो गई है।
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हालांकि निवेशक अमेरिकी फेडरल रिजर्व की टिप्पणियों से सतर्क हो गए। कुछ फेड अधिकारियों ने कहा कि हाल ही में ब्याज दरों में की गई कटौती के बाद आगे और कटौती की जरूरत नहीं हो सकती। निवेशकों की नजर अब फेड चेयर जेरोम पॉवेल के संबोधन पर है, साथ ही इस हफ्ते आने वाले पीसीई प्राइस इंडेक्स जैसे महत्त्वपूर्ण आंकड़े भी अहम साबित होंगे। भारत में निफ्टी 50 फ्यूचर्स 0.2% गिर गए, जिससे संकेत मिलता है कि बाजार में और गिरावट हो सकती है। इसकी बड़ी वजह ट्रंप द्वारा नए एच-1बी वर्क वीजा पर भारी शुल्क लगाया जाना है। इस कदम का सबसे ज्यादा असर भारतीय आईटी कंपनियों-इन्फोसिस, विप्रो और टीसीएस-पर पड़ा, क्योंकि उनका अमेरिकी कारोबार एच-1बी वीजा पर काफी निर्भर है। निवेशकों को यह भी डर है कि ट्रंप आगे चलकर भारत के लगभग 300 अरब डॉलर के आउटसोर्सिंग उद्योग को कमजोर करने के लिए और कदम उठा सकते हैं।
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चीन में शेयरों में भारी गिरावट रही। शंघाई-शेनझेन सीएसआई 300 सूचकांक 1% टूटा, शंघाई कंपोजिट 1.2% गिरा और हांगकांग का हैंगसेंग भी 1% नीचे बंद हुआ। अगस्त और सितंबर की शुरुआत में चीन की एआई योजनाओं को लेकर आई तेजी अब धीमी पड़ रही है और मुनाफावसूली बढ़ रही है। बायडू के शेयर 7% गिरे जबकि टेनसेंट हल्की गिरावट में रहा। अलीबाबा ने नया ओपन-सोर्स एआई मॉडल लॉन्च किया, जिससे उसमें थोड़ी मजबूती आई। इन सबके बीच इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स बनाने वाली कंपनी लक्सशेयर प्रिसीजन ने सबको चौंका दिया। इसके शेयर 10% उछलकर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे क्योंकि रिपोर्ट आई कि यह कंपनी ओपनएआई के लिए नए एआई डिवाइस के कंपोनेंट्स सप्लाई करेगी। साथ ही एप्पल के नए आईफोन 17 की मजबूत मांग की उम्मीद ने भी इसके शेयरों को सहारा दिया।