Aniruddh Singh
11 Dec 2025
दुनिया में एक बार फिर टैरिफ वॉर (Tariff War) शुरू होने की संभावना बढ़ गई है। अमेरिका के बाद अब मेक्सिको ने भी चीन, भारत और अन्य एशियाई देशों से आने वाले सामानों पर 50% तक का Mexico 50% Tariff लगाने का ऐलान किया है। यह नया टैरिफ (Mexico Tariff) अगले साल 2026 से लागू होगा।
विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम अमेरिका को खुश करने और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, मैक्सिको द्वारा बढ़ाया गया नया टैरिफ 2026 से प्रभावी होगा। सबसे अधिक प्रभावित होने वाले देशों में चीन, भारत, साउथ कोरिया, थाइलैंड और इंडोनेशिया शामिल हैं। इन देशों से आने वाले ऑटो पार्ट्स, टेक्सटाइल, स्टील और अन्य सामानों पर अगले साल से मैक्सिको 50% तक टैरिफ वसूलेगा।
सीनेट में पास किए गए बिल के अनुसार कई अन्य सामानों पर टैरिफ को 35% तक बढ़ाया गया है। बिल के पक्ष में 76 वोट पड़े, विरोध में 5 और 35 सांसद अनुपस्थित रहे।
मेक्सिको ने यह कदम अपने स्थानीय उद्योगों को मजबूती देने और राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए उठाया है। विशेषज्ञों का कहना है कि, यह टैरिफ हाइक अमेरिका को खुश करने और अगले वर्ष लगभग 3.76 अरब डॉलर का अतिरिक्त राजस्व जुटाने के मकसद से भी लिया गया है। व्यापार समूहों ने हालांकि इस टैरिफ हाइक का विरोध भी किया है, क्योंकि इससे एशियाई देशों के निर्यातकों पर बड़ा असर पड़ेगा।
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सीनेट द्वारा मंजूर संशोधित बिल में पहले प्रस्ताव की तुलना में कम उत्पाद श्रेणियों को शामिल किया गया है। लगभग 1,400 आयातित सामानों पर टैरिफ लगाया जाएगा। पहले प्रस्ताव से इसमें नरमी बरती गई है, क्योंकि कई सामानों पर टैरिफ दर को 50% से कम रखा गया है। मेक्सिको ने पहले भी चीनी सामानों पर टैरिफ बढ़ाने की कोशिश की थी, लेकिन इसका ज्यादा असर नहीं दिखा।
बीते कुछ वर्षों में भारत और मैक्सिको के बीच व्यापार में तेजी आई है।
2022 में व्यापार: 11.4 अरब डॉलर
2023 में व्यापार: 10.6 अरब डॉलर
2024 में व्यापार: 11.7 अरब डॉलर (ऑल टाइम हाई)
2024 में भारत का मैक्सिको के साथ ट्रेड सरप्लस काफी अधिक रहा। भारत से निर्यात लगभग 8.9 अरब डॉलर और आयात 2.8 अरब डॉलर था।
Mexico 50% Tariff से एशियाई देशों के व्यापारियों को बड़ा झटका लग सकता है। यह कदम वैश्विक व्यापार में नए तनाव को जन्म देगा, जबकि मेक्सिको के स्थानीय उद्योगों को फायदा मिलेगा। आने वाले सालों में इसका असर अंतरराष्ट्रीय व्यापार और एशियाई निर्यातकों पर देखा जाएगा।
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