Aniruddh Singh
22 Sep 2025
मुंबई। देश की बैंकिंग प्रणाली में आंशिक रूप से नकदी की कमी देखने को मिली है। विश्लेषकों का अनुमान है कि नकदी की कमी अस्थायी है और इसमें जल्द सुधार देखने को मिलेगा। आयकर और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के भुगतान के कारण बैंकिंग सिस्टम में तरलता यानी नकदी का अधिशेष सबसे कम स्तर पर पहुंच गई थी। 21 सितंबर को यह अधिशेष केवल 70 अरब रुपए ($794 मिलियन) के स्तर तक गिर गया, जो मार्च के अंत के बाद का सबसे कम स्तर है। कर भुगतान के कारण लगभग 2.6 ट्रिलियन रुपए बैंकिंग सिस्टम से बाहर चले गए। बैंकिंग सिस्टम में उपलब्ध नकदी का स्तर बाजार में ब्याज दरों, जैसे कि उपभोक्ता ऋणों पर लागू ब्याज, को प्रभावित करता है।
विश्लेषकों का कहना है कि यह कमी अस्थायी है और अगले कुछ हफ्तों में सरकारी खर्चों और बॉन्ड की रिडेम्प्शन के कारण तरलता में सुधार देखने को मिलेगा। क्वांटेको रिसर्च के अर्थशास्त्री विवेक कुमार का कहना है कि सरकार के खर्च में तेजी से नकदी की कमी का असर कम हो जाएगा। रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया (आरबीआई) बैंकिंग सिस्टम में लगभग 1 फीसदी जमा राशि के बराबर तरलता अधिशेष को स्वीकार करता है, जो लगभग 2.5 ट्रिलियन रुपए है। हाल के हफ्तों में यह स्तर इससे अधिक रहा है। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता के अनुसार, अक्टूबर में सरकारी खर्च बढ़ने और बैंकिंग सिस्टम में नकदी की बाध्यता, यानी कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) घटने के कारण तरलता में और वृद्धि होने की संभावना है।
सीआरआर को सितंबर से नवंबर के बीच चार बराबर हिस्सों में कुल 100 बेसिस पॉइंट घटाया जाएगा और अगली कटौती 4 अक्टूबर से लागू होगी। क्वांटेको के कुमार का अनुमान है कि तरलता अधिशेष पहले ही 2 ट्रिलियन रुपए से 2.5 ट्रिलियन रुपए तक लौट सकता है। इसके अलावा, बैंक भी आरबीआई के रेपो विंडो से केवल थोड़ी मात्रा में धन उधार ले रहे हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि बैंक तरलता की स्थिति को लेकर आश्वस्त हैं। इस प्रकार, वर्तमान नकदी संकट अस्थाई है और सरकारी खर्च, बॉन्ड रिडेम्प्शन और सीआरआर में कटौती के कारण बैंकिंग सिस्टम में जल्द ही तरलता का पुन: संतुलित होने की संभावना है।