नई दिल्ली। भारत में खुदरा महंगाई नवंबर में दूसरी बार लगातार 1% से नीचे दर्ज की गई। अक्टूबर में जहां हेडलाइन इंफ्लेशन 0.3% थी, वहीं नवंबर में यह बढ़कर 0.7% हो गई। हालांकि, यह दर अभी भी काफी कम है, पर इसका यह नहीं है कि हर चीज सस्ती हो गई है। कई जरूरी सामान जैसे अंडे, कॉफी और नारियल की कीमतें नवंबर में और भी बढ़ी हैं। वर्तमान महंगाई चक्र में यह दूसरी बार है, जब दो माह लगातार महंगाई 1% से कम रही है। महंगाई कम रहने का सबसे बड़ा कारण खाद्य पदार्थों के दामों में गिरावट है।
सब्जियों के दाम लगातार नरम बने हुए हैं और अनाज पर भी सीमित दबाव है। इसके चलते खाद्य महंगाई नकारात्मक दायरे में पहुंच गई है। यानी कई खाद्य वस्तुओं की कीमतें पिछले साल की तुलना में कम हैं। यही कारण है कि खाद्य पदार्थों की सस्ती कीमतों ने अन्य क्षेत्रों में बढ़ती कीमतों के असर को काफी हद तक संतुलित कर दिया है।
कोर इन्फ्लेशन अब भी 4% से ऊपर
लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि महंगाई का दबाव खत्म हो चुका है। कोर इंफ्लेशन, जिसमें खाद्य और ईंधन शामिल नहीं होते, अभी भी 4% से ऊपर है। यह संकेत है कि सेवाओं और मैन्युफैक्चर्ड गुड्स पर दाम बढ़ने का दबाव लगातार मौजूद है। इसका असर उपभोक्ताओं पर धीरे-धीरे महसूस हो रहा है-ज्वैलरी, कॉफी, खाने के तेल, और कुछ घरेलू उपकरणों की कीमतें औसत से तेज गति से बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक कमोडिटी कीमतों में उतार-चढ़ाव और घरेलू मांग की मजबूती, दोनों मिलकर इन चुनिंदा वस्तुओं के दाम बढ़ा रहे हैं।
खानपान से जुड़ी कुछ चीजों पर दबाव
कॉफी के दाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़े हैं, इसलिए भारत में भी इसकी कीमतें ऊपर गईं। इसी तरह, खानपान से जुड़ी कुछ वस्तुओं पर मौसमी दबाव बना हुआ है। कुल मिलाकर, नवंबर का डेटा दिखाता है कि भले ही समग्र महंगाई नियंत्रण में है, लेकिन कंज्यूमर बास्केट में मौजूद कई महत्वपूर्ण चीजों पर अभी भी ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है। आने वाले महीनों में खाद्य कीमतों की दिशा यह तय करेगी कि महंगाई नीचे रहेगी या फिर दोबारा बढ़ने लगेगी। यह भी साफ है कि महंगाई कम होने का फायदा हर वर्ग और हर उत्पाद को समान रूप से नहीं मिला है।