Manisha Dhanwani
27 Dec 2025
Manisha Dhanwani
27 Dec 2025
ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने कहा कि, उनका देश इस समय अमेरिका, इजरायल और यूरोप के साथ बड़े पैमाने की जंग में फंसा हुआ है। पेजेशकियन ने इस संघर्ष को ईरान-इराक युद्ध से अधिक जटिल और खतरनाक बताया। उनका बयान ऐसे समय में आया जब इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका दौरे पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने वाले हैं।
पेजेशकियन ने कहा कि, 1980 के दशक में इराक के साथ युद्ध में हालात स्पष्ट थे, मिसाइलें दागी जाती थीं और जवाब देना आसान था। लेकिन अब की जंग में हर मोर्चे पर दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि, यह संघर्ष केवल सैन्य नहीं है, बल्कि आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और सुरक्षा से जुड़े सभी क्षेत्रों में ईरान पर दबाव बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि, चारों तरफ से ईरान को घेरा जा रहा है। लगातार समस्याएं पैदा की जा रही हैं। पश्चिमी देशों का लक्ष्य ईरान को कमजोर करना है। पेजेशकियन ने चेतावनी दी कि, अगर दुश्मन टकराव का रास्ता अपनाता है, तो ईरान कड़ा जवाब देगा।
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू राष्ट्रपति ट्रंप से मिलने जा रहे हैं। वह ईरान पर संभावित सैन्य कार्रवाई और अन्य विकल्पों पर चर्चा करेंगे। पश्चिमी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान ने अपने बैलिस्टिक मिसाइल उत्पादन ढांचे को फिर से मजबूत किया है और जून में हुए संघर्ष के दौरान क्षतिग्रस्त एयर डिफेंस सिस्टम की मरम्मत कर रहा है। हालिया मिसाइल अभ्यास किसी बड़े हमले की तैयारी का संकेत हो सकता है।
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पेजेशकियन ने दावा किया कि 12 दिनों की इजरायल के साथ हुई जंग के बाद ईरान अब पहले से अधिक मजबूत है। उन्होंने कहा कि, उपकरण और मानव संसाधन दोनों में ईरान पहले से ज्यादा ताकतवर है। उन्होंने चेतावनी दी कि, अगर दुश्मन टकराव का रास्ता चुनता है, तो उसे सख्त जवाब मिलेगा।
जून 2025 में इजरायल ने ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले और गुप्त अभियान चलाए थे, जिनमें हजारों लोग मारे गए। जवाब में ईरान ने सैकड़ों मिसाइल और ड्रोन दागे। बाद में अमेरिका ने भी ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए थे।
विशेषज्ञों का कहना है कि, पेजेशकियन का बयान केवल सैन्य संघर्ष तक सीमित नहीं है। यह संकेत है कि अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगी ईरान को हर मोर्चे पर दबाव में लाने की रणनीति अपनाए हुए हैं। इससे क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।
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