Hemant Nagle
28 Dec 2025
इंदौर।
शहर में धर्म, सेवा और करुणा की भावनाओं को ढाल बनाकर की जा रही हाईटेक ठगी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। कर्नाटक से आई एक शातिर और संगठित लुटेरी गैंग इंदौर की कॉलोनियों में सक्रिय पाई गई, जो वृद्धाश्रम, दिव्यांग, मुखबधिर और निराश्रित बच्चों के नाम पर लोगों से नकद, अनाज, राशन, तेल और पुराने कपड़े तक वसूल रही थी। जागरूक नागरिकों की सतर्कता से इस गैंग के 15 में से 4 वाहन पकड़ में आए, जिससे पूरे नेटवर्क पर से पर्दा उठना शुरू हो गया है।
सुबह-सुबह खुला खेल
मामला शुक्रवार सुबह करीब 9 बजे लसूडिया थाना क्षेत्र के राजीव आवास विहार का है, जहां रहवासियों ने कर्नाटक पासिंग एक लोडिंग वाहन को संदिग्ध हालात में पकड़ा। वाहन पर “श्री साईं सहारा वृद्धाश्रम, जिला पुणे” लिखा बैनर लगा था और लाउडस्पीकर के जरिए भावनात्मक अपील की जा रही थी। कभी वृद्धाश्रम के नाम पर, तो कभी मुखबधिर बच्चों, विकलांग आश्रय और निराश्रित बच्चों के आश्रम के नाम पर दान मांगा जा रहा था। लोगों से खुलेआम नकद रुपये, राशन, अनाज, कपड़े और तेल इकट्ठा किया जा रहा था।
एक संस्था, चार-चार आश्रम! यहीं टूटा भ्रम
जब कॉलोनी के वरिष्ठ नागरिकों ने सवाल उठाए तो पूरे कथानक की पोल खुलने लगी। रहवासियों ने आपत्ति जताई कि एक ही संस्था के नाम पर एक साथ इतने अलग-अलग आश्रमों का संचालन कैसे संभव है। शक गहराने पर वाहन में मौजूद लोगों ने अहमदनगर की किसी एनजीओ के लेटरपैड और दस्तावेज दिखाने शुरू किए, जो पहली नजर में ही फर्जी और एआई-जेनरेटेड प्रतीत हुए।
दान का नंबर… चालक का निजी मोबाइल!
सबसे चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ, जब दान के लिए बैनर पर लिखा मोबाइल नंबर किसी संस्था का नहीं, बल्कि सीधे वाहन चालक का निजी नंबर निकला। यही नहीं, कोई पंजीकरण प्रमाण, वैध अनुमति या प्रशासनिक स्वीकृति भी प्रस्तुत नहीं की जा सकी। इससे साफ हो गया कि यह कोई सेवा कार्य नहीं, बल्कि धर्म के नाम पर चलाया जा रहा सुनियोजित गोरखधंधा है।
धर्म को बनाया धंधा, भावनाओं से सीधा खेल
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह गैंग धार्मिक भावनाओं को हथियार बनाकर लोगों को ठग रही है। भिक्षा वृत्ति पर सख्ती और रोक के बाद इन्होंने नया हाईटेक तरीका अपनाया—एनजीओ और आश्रम का नकाब पहनकर कॉलोनियों में प्रवेश करना। सूत्रों की मानें तो यह पूरा नेटवर्क फ्रेंचाइजी मॉडल पर काम कर रहा है, जिसमें अलग-अलग राज्यों से वाहन भेजे जाते हैं और तय इलाकों में दान के नाम पर वसूली की जाती है।
पुलिस तक पहुंचा मामला, लेकिन सवाल कायम
संदेह पुख्ता होने पर रहवासियों ने तुरंत लसूडिया थाने को सूचना दी और पुलिस को मौके पर बुलाया। पुलिस ने वाहन और उसमें सवार लोगों से पूछताछ की, हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या इस कथित गैंग के पीछे बैठे सरगनाओं तक पुलिस पहुंचेगी, या धर्म की आड़ में चल रहा यह हाईटेक लूट का खेल यूं ही जारी रहेगा?