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Aakash Waghmare
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इंदौर — जिस व्यक्ति को समाज “माता का उपासक” और “धर्म का मार्गदर्शक” मानता है, वही यदि अपने ही घर की लक्ष्मी का दुश्मन बन जाए, तो यह केवल एक पारिवारिक त्रासदी नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए शर्मनाक सवाल है। सात फेरों में जिसे जीवन भर साथ निभाने का वचन दिया, उसी धर्मपत्नी को अर्धांगिनी नहीं, बल्कि बोझ समझकर मानसिक और शारीरिक यातनाओं के दलदल में धकेल दिया गया। बताया जा रहा है कि खुद को पंडित बताने वाला यह व्यक्ति बाहर से देवी-देवताओं की आराधना करता रहा, लेकिन भीतर ही भीतर अपनी पत्नी पर अत्याचार की सारी सीमाएं लांघता चला गया। घर की चारदीवारी में पत्नी को लगातार अपमान, तिरस्कार और प्रताड़ना झेलनी पड़ी। हालात इतने भयावह हो गए कि अंततः पीड़िता ने मौत को ही अपनी मुक्ति समझ लिया। यह घटना न केवल एक महिला की असमय मौत का मामला है, बल्कि उस दोहरे चरित्र को भी उजागर करती है, जिसमें धर्म का चोला पहनकर घर में अधर्म का खेल खेला जाता है। सवाल यह भी है कि जो लोग समाज को भगवान की भक्ति और संस्कारों का पाठ पढ़ाते हैं, यदि वही अपने घर में नारी का सम्मान नहीं कर पाते, तो उनकी आराधना कितनी खोखली है?
मामले ने शहर में आक्रोश पैदा कर दिया है। लोग पूछ रहे हैं कि क्या केवल पूजा-पाठ और धार्मिक दिखावा किसी को निर्दोष बना देता है? या फिर ऐसे लोगों के चेहरे से नकाब उतरना अब जरूरी हो गया है। पुलिस जांच में जुटी है, लेकिन यह घटना समाज को यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि धर्म के नाम पर होने वाले पाखंड और घरेलू अत्याचारों के खिलाफ अब चुप्पी तोड़ना ही होगा।
पुजारी को क्या गिरफ्तार -
थाना प्रभारी चंद्रकांत पटेल ने बताया कि पुजारी राहुल यादव विजय नगर में कालका मंदिर में पुजारी हैं। विजय नगर थाना क्षेत्र में नवविवाहिता तमन्ना यादव की संदिग्ध मौत के मामले में पुलिस जांच ने पति की भूमिका को कठघरे में खड़ा कर दिया है। महज 21 वर्ष की तमन्ना की शादी 2 दिसंबर 2024 को पुजारी राहुल यादव से सामाजिक रीति-रिवाज से हुई थी, लेकिन शादी के कुछ ही दिनों बाद पति की तानाशाही और लगातार मानसिक प्रताड़ना ने उसकी जिंदगी छीन ली।
जांच में सच आया सामने -
जांच में सामने आया कि तमन्ना अपनी मौसी की बेटी जिया की शादी में शामिल होने के लिए पिछले चार माह से तैयारियां कर रही थी। योजना के अनुसार 17 नवंबर 2025 को पहले टीकमगढ़ और फिर वहां से कोटा (राजस्थान) जाना था, लेकिन पति पुजारी राहुल यादव ने अपने पिता के नाम को लेकर एकतरफा फैसला सुनाते हुए टीकमगढ़ जाने से मना कर दिया और सीधे 21 नवंबर 2025 को कोटा भेजने का दबाव बनाया। इस फैसले का तमन्ना ने विरोध किया, जिसके बाद नवंबर की शुरुआत से ही पति-पत्नी के बीच नियमित विवाद शुरू हो गए। मायके पक्ष के अनुसार, पुजारी राहुल यादव ने अपनी जिद और तानाशाही रवैये से तमन्ना को उसके सामाजिक और पारिवारिक रिश्ते निभाने से रोका और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया।
ससुराल ने की शिकायत
6 मार्च 2025 को तमन्ना ने अपनी बहन नम्रता को फोन कर बताया था कि ससुराल में उसे अत्यधिक परेशान किया जा रहा है और यदि उसे कुछ दिनों के लिए मायके नहीं ले जाया गया तो वह जहर खा लेगी। इस शिकायत के बाद ससुराल पक्ष के साथ बैठक भी हुई, जिसमें तमन्ना से लिखवाया गया कि यदि वह कुछ करती है या कोई शिकायत करती है तो उसकी जिम्मेदारी उसी की होगी।
जेल भेजा
14 नवंबर 2025 को तमन्ना ने घर में ही चूहा मार दवा का सेवन कर लिया। हालत बिगड़ने पर पति पुजारी राहुल यादव उसे विवेक मेमोरियल अस्पताल, देवास नाका, इंदौर लेकर पहुंचा, जहां 15 नवंबर 2025 को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मायके पक्ष के बयान और उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने साफ तौर पर माना कि यदि तमन्ना को उसकी इच्छा के अनुसार टीकमगढ़ जाने दिया जाता और पति द्वारा उस पर तानाशाही निर्णय नहीं थोपे जाते, तो वह आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठाती।पुलिस जांच में दहेज की मांग व मानसिक प्रताड़ना को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण की बात सामने आई जिसके बाद शनिवार कोरोपी पंडित को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।