Aniruddh Singh
7 Nov 2025
Aniruddh Singh
7 Nov 2025
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट संदेश दिया है कि जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) में की गई कटौती का लाभ सीधे आम आदमी तक पहहुंचना चाहिए। 22 सितंबर से लागू होने वाली नई कर दरों पर सरकार कड़ी नजर रख रही है। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि निर्माता, उद्योग जगत और राज्य सरकारें नागरिकों को राहत देने में कोई कोताही न बरतें। वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा है कि यदि किसी राज्य में जीएसटी सुधारों का लाभ जनता तक नहीं पहुंचा तो वहां के वित्त मंत्री से जवाब-तलब किया जाएगा। सीतारमण का यह बयान विपक्ष और आम जनता की उन चिंताओं के बीच आया है, जिसमें सवाल उठाए जा रहे थे कि जीएसटी दर में कटौती का फायदा अक्सर यानी कंपनियों और खुदरा विक्रेताओं के पास ही रह जाता है।
ये भी पढ़ें: ऊर्जा क्षेत्र पर अलग-अलग रूप में देखने को मिलेगा जीएसटी दरों में होने वाले बदलाव का असर
उपभोक्ता तक इसकी पूरी पहुंच नहीं हो पाती। उन्होंने कहा केंद्र सरकार लगातार निर्माताओं से लेकर राज्य सरकारों तक से बातचीत कर रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस बदलाव का लाभ आम आदमी तक पहुंच रहा है या नहीं। उन्होंने जीएसटी 2.0 के समय और उद्देश्य को लेकर भी विस्तार से बताया। वित्त मंत्री ने कहा सरकार महंगाई को काबू में रखने के लिए हर संभव प्रयास करती है और इसके लिए किसी विशेष मुहूर्त का इंतजार नहीं किया जा सकता। यानी सुधार तब लागू होंगे जब उनकी जरूरत होगी। उन्होंने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जीएसटी दरें किसी भी पूर्व-जीएसटी कर दर से बहुत अलग नहीं हैं, और जो भी आलोचना हो रही है वह बिना तथ्य जांचे की जा रही है। वैश्विक आर्थिक दबावों पर सीतारमण ने कहा कि सुधारों का संबंध बाहरी चुनौतियों से नहीं है।
ये भी पढ़ें: जीएसटी सुधारों के बाद इनपुट टैक्स क्रेडिट को लेकर एफएमसीजी और सीमेंट के डीलरों में अनिश्चय कायम
उन्होंने कहा, सुधार हेडविंड्स पर निर्भर नहीं करते, चाहे वो ट्रंप की टैरिफ नीति ही क्यों न हो। मध्यवर्ग पर कर संरचना के प्रभाव पर उन्होंने कहा कि सरकार ने दरें तय करते समय मध्यम वर्ग का विशेष ध्यान रखा है। शिक्षा क्षेत्र को लेकर उन्होंने स्पष्ट किया कि स्कूल और कॉलेज पर कर घटाया गया है, लेकिन निजी कोचिंग संस्थान और ट्यूशन सेंटर इसमें शामिल नहीं हैं। यानी राहत मुख्यधारा की शिक्षा संस्थाओं तक सीमित रहेगी। राज्यों की चिंता राजस्व घाटे को लेकर भी सामने आई। कई राज्यों ने कहा है कि नई कर दरों से उनकी आय पर दबाव पड़ेगा। इस पर वित्त मंत्री ने माना कि कुछ समय के लिए असर दिख सकता है, लेकिन इसे स्थायी नुकसान नहीं कहा जा सकता। उनका कहना था कि जीएसटी से कर संग्रहण में धीरे-धीरे तेजी आएगी और राजस्व की स्थिति बेहतर होगी।
ये भी पढ़ें: एप्पल ने भारत में की रिकॉर्ड 9 अरब डॉलर की वार्षिक बिक्री, नए आउटलेट्स खोलने से 13% बढ़ी सेल
उन्होंने यह भी जोड़ा कि मुआवजा व्यवस्था को स्थाई रूप से जारी रखना संभव नहीं है, क्योंकि अब लक्ष्य कर संरचना में स्वाभाविक लचीलापन पैदा करना है। कुल मिलाकर, वित्त मंत्री का संदेश यह है कि केंद्र सरकार सुधारों को लेकर गंभीर है और चाहती है कि आम आदमी को राहत सीधे मिले। उद्योग जगत, निर्माता और राज्य सरकारों पर इसकी जिम्मेदारी डाली गई है कि वे किसी भी स्तर पर लाभ को रोक न सकें। आगे आने वाले महीनों में केंद्र इस पर कड़ी निगरानी रखेगा कि जनता को जीएसटी दर कटौती का वास्तविक लाभ मिल रहा है या नहीं। यह रुख बताता है कि सरकार महुंगाई को काबू में रखने और आम जनता का विश्वास जीतने के लिए आक्रामक निगरानी नीति अपनाने के मूड में है।