Aniruddh Singh
30 Oct 2025
Aniruddh Singh
30 Oct 2025
Aniruddh Singh
29 Oct 2025
मुंबई। फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) और सीमेंट क्षेत्र के डीलर और वितरक जीएसटी 2.0 सुधारों को लेकर अनिश्चितता की स्थिति में हैं। इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के प्रावधान को लेकर उनका अनिश्चय बना हुआ है। हालांकि, केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वितरक पूरी तरह से आईटीसी का उपयोग आउटपुट टैक्स देनदारी को समायोजित करने के लिए कर सकते हैं, लेकिन कई एफएमसीजी डीलर सतर्क हैं, क्योंकि अतीत में आईटीसी क्लेम से जुड़े कई तकनीकी और प्रक्रियात्मक मुद्दे सामने आए थे। ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष धैर्यशील पाटिल ने कहा सरकार ने सामान्य स्तर पर स्पष्टता जरूर दी है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसे कैसे लागू किया जाएगा, यह अभी भी साफ नहीं है। उनका कहना है कि वर्तमान में वितरकों के पास लगभग 45 दिनों का स्टॉक मौजूद है।
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यदि 22 सितंबर से लागू होने वाली नई जीएसटी दर की गणना में 20 दिन घटा भी दिए जाएं, तब भी लगभग 25 दिन का स्टॉक पुराने ऊंचे जीएसटी दरों पर रहेगा। ऐसे में यह जरूरी है कि आईटीसी को समायोजित करने या फिर रिफंड करने की प्रक्रिया आसान और पारदर्शी हो। केंद्र सरकार द्वारा घोषित सुधारों के तहत अधिकतर खाद्य और पर्सनल केयर उत्पादों को 12% या 18% टैक्स स्लैब से घटाकर 5% टैक्स स्लैब में ला दिया गया है। यह उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात है, लेकिन इससे वितरकों के सामने अब एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। एफएमसीजी वितरकों का कहना है कि कंपनियों को यह स्पष्ट दिशा-निर्देश देने चाहिए कि नई टैक्स दर लागू होने के बाद मौजूदा स्टॉक पर 7% और 13% के टैक्स अंतर को कैसे निपटाया जाएगा।
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फेडरेशन जल्द ही विभिन्न एफएमसीजी कंपनियों को इस विषय में पत्र लिखने की तैयारी कर रहा है, ताकि इस मुद्दे पर स्पष्टता मिल सके। दूसरी ओर, सीमेंट डीलरों की स्थिति कुछ अलग है। जीएसटी परिषद ने बुधवार को सीमेंट पर कर की दर को 28% से घटाकर 18% कर दिया है, जो उद्योग की लंबे समय से चली आ रही मांग थी। इस फैसले से सीमेंट की कीमतों में गिरावट आने और आने वाले महीनों में बिक्री में बढ़ोतरी की उम्मीद है। सीमेंट डीलर अब कंपनियों के साथ अधिक छूट के लिए बातचीत की तैयारी कर रहे हैं, ताकि नई दरें लागू होने तक उन्हें इसका लाभ मिल सके। डीलरों के बीच यह आशंका भी बढ़ रही है कि कीमतों में कमी के बाद बाजार में डि-स्टॉकिंग (पुराने स्टॉक को तेजी से खत्म करने) की स्थिति पैदा हो सकती है। ऐसे में कंपनियों को इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।
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अडाणी समूह के सीमेंट व्यवसाय के सीईओ विनोद बहेती ने बताया सामान्य प्रथा के अनुसार, नई जीएसटी दर लागू होने के बाद बनाए जाने वाले सभी चालान संशोधित 18% जीएसटी दर पर होंगे। डिपो पहले आया-पहले निकला प्रणाली पर चलते हैं और संस्थागत आपूर्ति अधिकांशतः प्लांट और डिपो से जस्ट-इन-टाइम आधार पर की जाती है, इसलिए पुराने माल की वापसी की जरूरत नहीं होगी। कुल मिलाकर, एफएमसीजी और सीमेंट दोनों क्षेत्रों में नए जीएसटी सुधारों से सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है। जहां सीमेंट क्षेत्र में बिक्री और मांग में वृद्धि की उम्मीद है, वहीं एफएमसीजी क्षेत्र में वितरकों की चिंताओं को दूर करना और स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करना कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती होगी।