Manisha Dhanwani
28 Dec 2025
Manisha Dhanwani
28 Dec 2025
Naresh Bhagoria
27 Dec 2025
Naresh Bhagoria
27 Dec 2025
नई दिल्ली। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के बयान के बाद पार्टी के भीतर वैचारिक स्पष्टता और रणनीतिक दिशा को लेकर बहस तेज हो गई है। इस मुद्दे ने कांग्रेस के अंदर अलग-अलग सोच और दृष्टिकोण को उजागर कर दिया है। जहां पार्टी के कुछ नेता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को सिरे से खारिज कर रहे हैं, वहीं कुछ वरिष्ठ नेता संगठनात्मक कार्यशैली के संदर्भ में उससे सीख लेने की बात कह रहे हैं। इस टकराव ने कांग्रेस की वैचारिक एकजुटता और भविष्य की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सलमान खुर्शीद ने कहा कि दिग्विजय सिंह के बारे में कोई दूर-दूर तक नहीं सोच सकता कि वे कांग्रेस की विचारधारा से हटकर कोई बात कहेंगे। उन्होंने कहा कि वो कांग्रेस पार्टी के एक स्तंभ हैं और अगर उन्होंने कोई विशेष भाषा का उपयोग किया है तो समझना चाहिए कि उनका संदर्भ क्या था और उनका निशाना क्या था और करना क्या चाह रहे थे। कहना उनका यह है कि हम जो भी कदम उठाएं वो आज देश और कांग्रेस पार्टी की मजबूती के लिए उठाएं। यहीं संदेश था उनका, ये संदेश लोगों को नहीं समझ आया तो लोग क्या समझेंगे
दिग्विजय सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि आरएसएस से सीखने जैसा कुछ भी नहीं है। खेड़ा ने कहा कि जिस संस्था का नाम नाथूराम गोडसे से जुड़ा रहा हो, वह महात्मा गांधी द्वारा स्थापित संस्था कांग्रेस को क्या सिखा सकती है। उनका इशारा गांधीजी की हत्या के दोषी गोडसे की ओर था, जिसके आरएसएस से कथित संबंधों का जिक्र होता रहा है। खेड़ा ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस जैसी ऐतिहासिक संस्था को किसी भी हाल में आरएसएस से सबक लेने की जरूरत नहीं है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंह देव ने दिग्विजय सिंह का बचाव किया। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह ने आरएसएस की विचारधारा को साफ तौर पर नकारा है और उनके बयान को गलत संदर्भ में देखा जा रहा है। सिंह देव ने कहा कि विचारधारा और काम करने का तरीका अलग-अलग बातें हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, 'आप कई संगठनों से जुड़े हो सकते हैं। क्या आप अन्य संगठनों से उदाहरण लेकर कुछ बदलाव नहीं कर सकते? आप उनकी विचारधारा नहीं अपनाते, अगर ऑस्ट्रेलिया और भारत क्रिकेट मैच खेल रहे हैं और हम देखते हैं कि दूसरी टीम कैसे खेल रही है और हमें खुद में सुधार की जरूरत महसूस होती है तो क्या हमें ऐसा नहीं करना चाहिए?
कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा कांग्रेस नेताओं के बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है। श्रीनेत ने कहा कि कांग्रेस ने ब्रिटिश शासन और उसके अन्यायों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया और उसे जन आंदोलन बनाया। ऐसे में कांग्रेस को किसी भी संगठन से सीखने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि देश को कांग्रेस के इतिहास और योगदान से सीखना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि आरएसएस से सीखने का कोई औचित्य नहीं है।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी पार्टी संगठन को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया। कांग्रेस के 140वें स्थापना दिवस के मौके पर थरूर ने कहा कि संगठन को सशक्त बनाना बेहद जरूरी है। दिग्विजय सिंह के बयान पर चल रही बहस के बीच थरूर ने कहा कि पार्टी के इतिहास और उसके योगदान को याद करने के साथ-साथ संगठनात्मक मजबूती पर भी ध्यान देना होगा। उन्होंने इसे कांग्रेस के लिए आत्ममंथन और आगे बढ़ने का महत्वपूर्ण अवसर बताया।
कांग्रेस पार्टी की संगठनात्मक क्षमता के सवाल पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैं इतना ही कह सकता हूं कि सुधार की गुंजाइश है और हर संगठन में सुधार की गुंजाइश होनी ही चाहिए। मैं कई बार कह चुका हूं कि कांग्रेस आंदोलन की पार्टी है और रहनी भी चाहिए, क्योंकि किसी भी मुद्दे को आंदोलन बनाने में कांग्रेस पार्टी होशियार है। वो अच्छी तरीके से ये काम करती है और तभी आंदोलन भी होते हैं लेकिन उस मूवमेंट को वोटों में तब्दील करने में हम कमजोर हो जाते हैं।