Aniruddh Singh
30 Oct 2025
Aniruddh Singh
30 Oct 2025
Aniruddh Singh
29 Oct 2025
नई दिल्ली। जीएसटी दरों में हालिया बदलाव का असर ऊर्जा क्षेत्र पर अलग-अलग रूप में देखने को मिलेगा। तेल और गैस क्षेत्र में जीएसटी बढ़ने से उत्पादन लागत में भारी बढ़ोतरी हो सकती है, जबकि कोयला और थर्मल पावर सेक्टर को कुछ हद तक राहत मिलने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि तेल और गैस की खोज, विकास और उत्पादन (ईडीपी) अनुबंधों पर जीएसटी को 12% से बढ़ाकर 18% कर दिया गया है, जिससे अपस्ट्रीम ऑपरेशंस यानी कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन की लागत बढ़ जाएगी। चूंकि ये दोनों उत्पाद जीएसटी के दायरे में नहीं आते, इसलिए कंपनियों को इस अतिरिक्त कर का कोई क्रेडिट नहीं मिलेगा और यह फंसा हुआ टैक्स बन जाएगा। आईसीआरए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और कॉर्पोरेट रेटिंग्स के सह-समूह प्रमुख प्रचंत वशिष्ठ ने बताया कि तेल और गैस उत्पादकों के लिए यह दोहरी मार साबित होगी।
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एक ओर वैश्विक बाजार में कीमतों में गिरावट के कारण उनकी आमदनी पहले ही कम हो रही है, वहीं दूसरी ओर उत्पादन लागत में बढ़ोतरी से उनकी लाभप्रदता और प्रभावित होगी। इससे कुछ परियोजनाओं को कम मुनाफे के कारण आगे बढ़ाना भी मुश्किल हो सकता है। भारत अपनी कच्चे तेल की 85% और प्राकृतिक गैस की 50% जरूरतें आयात से पूरी करता है। ऐसे समय में जब सरकार घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है, यह टैक्स वृद्धि एक नई चुनौती लेकर आई है। इससे घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। दूसरी तरफ, कोयला और थर्मल पावर सेक्टर के लिए यह बदलाव राहत भरा साबित हो सकता है। कोयले पर जीएसटी दर 5% से बढ़ाकर 18% कर दी गई है, लेकिन इसके साथ ही राष्ट्रीय आपदा अधिभार (कंपनसेशन सेस) को हटा दिया गया है, जो पहले 400 रुपये प्रति टन लगाया जाता था। सरकार के अनुसार, यह दर जीएसटी में समाहित कर दी गई है, जिससे उपभोक्ताओं और कंपनियों पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।
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विशेषज्ञों का कहना है कि घरेलू कोयले का उपयोग करने वाले थर्मल पावर प्लांट्स के लिए यह कदम ईंधन लागत को घटाएगा, जिससे बिजली उत्पादन की कुल लागत कम होगी। इससे न केवल थर्मल पावर सस्ती होगी बल्कि वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) की वित्तीय स्थिति में भी सुधार होगा। जेएसडब्ल्यू एनर्जी के संयुक्त प्रबंध निदेशक और सीईओ शरद महेंद्र ने कहा कि यह बदलाव देश के बेस लोड पावर को सस्ता बनाएगा और बिजली उपभोक्ताओं को भी राहत देगा। डेलॉइट इंडिया के पार्टनर जिमित देवानी ने कहा कि इसका वास्तविक प्रभाव कोयले की कीमत और गुणवत्ता पर निर्भर करेगा। कम कीमत वाले कोयले के लिए स्थायी सेस हटने से जीएसटी बढ़ोतरी का असर संतुलित हो जाएगा और टैक्स लागत घटेगी। वहीं, उच्च कीमत वाले कोयले पर जीएसटी दर में बढ़ोतरी का प्रभाव अधिक होगा, जिससे टैक्स आउटफ्लो यानी कर भुगतान में मध्यम स्तर की वृद्धि होगी।