Aniruddh Singh
8 Sep 2025
Aniruddh Singh
8 Sep 2025
Aniruddh Singh
8 Sep 2025
Aniruddh Singh
8 Sep 2025
नई दिल्ली। भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंथा नागेश्वरन ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय उत्पादों पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.5 से 0.6 प्रतिशत तक की गिरावट हो सकती है। उन्होंने कहा कि यदि यह टैरिफ लंबे समय तक जारी रहा तो इसका असर और भी बड़ा होगा और यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर जोखिम बन सकता है। नागेश्वरन ने उम्मीद जताई कि यह अतिरिक्त दंडात्मक टैरिफ अस्थायी होगा और जल्द ही समाप्त हो जाएगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अगस्त में यह 50 प्रतिशत टैरिफ भारत पर सजा के रूप में लगाया था। उनका आरोप है कि भारत रूस से तेल खरीदकर अप्रत्यक्ष रूप से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के युद्ध को वित्तपोषित कर रहा है और इससे अमेरिका के शांति समझौते की कोशिशों को कमजोर किया जा रहा है। यह टैरिफ न केवल एशिया में सबसे ऊंचा है, बल्कि इससे भारतीय उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा खो देंगे। खासकर वियतनाम और बांग्लादेश जैसे प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में भारतीय वस्तुएं अब काफी महंगी पड़ेंगी, जिससे भारत के निर्यात को भारी झटका लग सकता है।
ये भी पढ़ें: जीएसटी हटने से बीमा प्रीमियम में मिली बड़ी राहत, लेकिन बचत कितनी होगी यह बीमाकर्तार्ओं पर है निर्भर
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। भारत से अमेरिका को किए जाने वाले निर्यात में श्रम-प्रधान उद्योगों का बड़ा हिस्सा है, जिनमें वस्त्र, परिधान और आभूषण प्रमुख हैं। इन क्षेत्रों में लाखों लोग कार्यरत हैं, इसलिए इस टैरिफ से इन उद्योगों पर सीधा असर पड़ेगा। इससे न केवल निर्यात कम होगा बल्कि रोजगार पर भी खतरा बढ़ेगा। नागेश्वरन ने कहा फिलहाल सरकार वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.3 से 6.8 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर के अपने अनुमान पर कायम है। उन्होंने इस विश्वास का आधार अप्रैल से जून तिमाही की मजबूत आर्थिक वृद्धि को बताया। इस तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जो पिछले एक वर्ष में सबसे तेज वृद्धि है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के हालिया कदम जैसे टैक्स में कटौती, कम मुद्रास्फीति, जीएसटी में राहत और वित्तीय सहायता कार्यक्रम अर्थव्यवस्था को सहारा देंगे और विकास की रफ्तार बनाए रखेंगे।
ये भी पढ़ें: एचडीएफसी बैंक ने अपने एमसीएलआर में की कटौती, कुछ कर्जों पर घटेगा ईएमआई का बोझ
हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यदि टैरिफ की अनिश्चितता अगले वित्त वर्ष तक बनी रही तो इसका असर और अधिक गहरा होगा। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। टैरिफ का यह झटका न केवल व्यापार संतुलन को बिगाड़ेगा बल्कि निवेशकों के विश्वास को भी प्रभावित कर सकता है। ट्रंप के इस फैसले ने दशकों पुरानी अमेरिकी कूटनीति को भी चुनौती दी है। अब भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह अपने निर्यात को सुरक्षित रखते हुए वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति बनाए रखे। सरकार को श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे वस्त्र और आभूषण उद्योग को विशेष पैकेज और प्रोत्साहन देकर इस नुकसान को कम करने की कोशिश करनी होगी। कुल मिलाकर, यह स्थिति भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी परीक्षा साबित हो सकती है और आने वाले महीनों में सरकार और उद्योग दोनों को मिलकर इससे निपटने की रणनीति बनानी होगी।
ये भी पढ़ें: तेल की कीमतों में देखने को मिली तेजी, ओपेक प्लस ने अक्टूबर से उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया