Aniruddh Singh
7 Oct 2025
मुंबई। भारतीय शेयर बाजार मंगलवार को भी मजबूती से प्रदर्शन करता दिखाई दिया। शुरूआती तेजी के बीज सेंसेक्स 400 से अधिक अंकों की ऊंचाई पर जा पहुंचा। जबकि, निफ्टी भी 24,500 के स्तर से ऊपर निकल गया है। बाद में बिकवाली के दबाव में दोनों ही बेंचमार्क इंडेक्सों में कुछ गिरावट देखने को मिली। इस समय 2.13 बजे सेंसेक्स 228.36 अंकों की बढ़त के साथ 81508.30 के स्तर पर है। सेंसेक्स आज दिन के शुरुआती सत्र में 81,755.88 रुपए के स्तर तक जा पहु्ंचा था, लेकिन बाद में इसमें गिरावट शुरू हो गई। एनएसई का निफ्टी इस समय 62.70 अंक की तेजी के साथ 24,929.00 के स्तर पर ट्रेड कर रहा है। कारोबार के दौरान इसने एक समय 25,012.65 का स्तर छू लिया था। लेकिन इसके बाद से बिकवाली का दबाव शुरु होने से इसमें गिरावट देखने को मिली। यह बढ़त उस सकारात्मक माहौल की झलक है जो निवेशकों के बीच संभावित जीएसटी सुधारों और रूस-यूक्रेन शांति वार्ता को लेकर बनी है। पिछले सत्र से जारी तेजी इस दिन और मजबूत होती दिखी और निवेशकों का झुकाव खासकर ऑटो, ऑयल एंड गैस, मीडिया और ऊर्जा क्षेत्र के शेयरों की ओर रहा। इन क्षेत्रों में लगातार खरीदारी की वजह से बाजार ने अपनी स्थ
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पिछले 3 से 5 सालों में मिड और स्मॉलकैप फंड्स ने लार्ज कैप की तुलना में कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है। जहां निफ्टी 50 ने इस अवधि में औसतन 11% रिटर्न दिया है, वहीं मिड और स्मॉलकैप फंड्स ने लगभग 20 से 22% रिटर्न दिया है। इसका मतलब यह है कि खुदरा निवेशक अब इन श्रेणियों की तरफ अधिक आकर्षित हो रहे हैं और अस्थिरता के बावजूद परिपक्वता दिखा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, मिड और स्मॉलकैप शेयर हमेशा लार्ज कैप से ज्यादा जोखिम भरे नहीं होते। लंबी अवधि में इनके बीटा ट्रेंड (यानी उतार-चढ़ाव का अनुपात) 1 से कम रहता है, जो इन्हें एक सुरक्षित विविधीकरण का साधन बनाता है। आगे की कमाई का अनुमान भी दिलचस्प है। जहां लार्ज कैप कंपनियों से 2026–27 तक लगभग 10 से 11% वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) की उम्मीद है, वहीं मिड और स्मॉलकैप कंपनियों से 12 से 15% तक की वृद्धि का अनुमान है। मौजूदा वैल्यूएशन भी अभी आकर्षक माने जा रहे हैं। विशेषज्ञों की राय है कि आदर्श पोर्टफोलियो मिश्रण में 50 से 55% हिस्सेदारी लार्ज कैप में, 20 से 25% मिड कैप में और 20 से 25% स्मॉलकैप में होनी चाहिए।
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इसके साथ ही, एसआईपी (सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) में धैर्य बनाए रखने से सालाना औसतन 13 से 15% रिटर्न मिल सकता है। विदेशी मुद्रा बाजार की तरफ देखें तो रुपए ने अगस्त में अपनी सबसे ऊंची स्थिति दर्ज की। इसकी वजह अमेरिकी टैरिफ संबंधी जोखिमों का कम होना और घरेलू स्तर पर टैक्स कटौती से मिला बढ़ावा रहा। मजबूत रुपया भी निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत रहा, जिसने भारतीय बाज़ार में पूंजी प्रवाह को आसान किया। दूसरी ओर, एशियाई बाजारों में जापान का निक्केई इंडेक्स अपने रिकॉर्ड स्तर से नीचे फिसल गया। निक्केई 0.38% गिरकर 43,546 पर आ गया, जबकि इससे पहले इसने 43,876 का रिकॉर्ड उच्च स्तर छुआ था। टॉपिक्स इंडेक्स भी हल्की गिरावट के साथ 0.14% नीचे रहा। इसका कारण मुनाफावसूली और निवेशकों की सतर्कता रही। इसके अलावा, जापान के केंद्रीय बैंक द्वारा सितंबर में ब्याज दर बढ़ाने की संभावना भी निवेशकों के मन में बनी हुई है। निक्केई में बड़ी गिरावट का कारण सॉफ्टबैंक के शेयरों में 4% की गिरावट रही, क्योंकि कंपनी ने इंटेल में हिस्सेदारी लेने की योजना बनाई है।
हालांकि, टोक्यो इलेक्ट्रॉन और चुगाई फार्मास्युटिकल जैसे शेयरों में बढ़त देखने को मिली। यूरोपीय बाजारों ने भी मजबूती दिखाई और स्टॉक्स 600 इंडेक्स 0.1% ऊपर गया। यहां भी निवेशक रूस-यूक्रेन शांति वार्ता को लेकर सकारात्मक दिखे। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन की सुरक्षा के लिए अमेरिकी समर्थन की पुष्टि की और कहा कि 10 दिनों के भीतर औपचारिक सुरक्षा गारंटी दी जाएगी। अगले दो हफ्तों में जेलेन्स्की और पुतिन की सीधी मुलाकात की संभावना है और उसके बाद ट्रंप के साथ त्रिपक्षीय वार्ता की योजना बनाई जा रही है। इसका असर रक्षा कंपनियों के शेयरों पर नकारात्मक रहा और उनमें 0.7% तक की गिरावट आई। रेनक, राइनमेटल और हेंसोल्ट जैसी कंपनियों के शेयर 3% तक टूट गए। कुल मिलाकर, भारतीय बाजार की मजबूती इस बात का संकेत है कि घरेलू सुधारों और वैश्विक शांति प्रयासों से निवेशक उत्साहित हैं। जबकि एशियाई और यूरोपीय बाज़ार अपनी-अपनी चिंताओं और उम्मीदों के बीच संतुलन साध रहे हैं। आने वाले दिनों में फेडरल रिजर्व की नीति, जापान के केंद्रीय बैंक का फैसला और रूस-यूक्रेन वार्ता के परिणाम वैश्विक बाजार की दिशा तय करेंगे।