Aniruddh Singh
7 Nov 2025
Aniruddh Singh
7 Nov 2025
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मुंबई। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने स्टॉक ब्रोकरों के ऑनलाइन ट्रेडिंग सिस्टम (ओटीएस) में आने वाली तकनीकी खराबियों से जुड़े नियमों को आसान बनाने का प्रस्ताव रखा है। इसका उद्देश्य तकनीकी गड़बड़ियों की परिभाषा को स्पष्ट करना, वित्तीय दंड संरचना को तर्कसंगत बनाना और छोटे ब्रोकरों को इन कठोर नियमों से बाहर करना है। सेबी के नए प्रस्ताव के अनुसार, अब ऐसी तकनीकी खराबियों को परिभाषा से बाहर रखा जाएगा जो ट्रेडिंग घंटों के बाद होती हैं या जो ब्रोकरों के नियंत्रण में नहीं होतीं। सेबी के सर्कुलर में कहा गया कि तकनीकी गड़बड़ी का मतलब स्टॉक ब्रोकर के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में किसी भी तरह की खराबी होगी, जिसमें हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, नेटवर्क, बैंडविड्थ, प्रक्रियाएं या सेवाओं में आने वाली गड़बड़ी शामिल होगी, जो सीधे या परोक्ष रूप से ट्रेडिंग और रिस्क मैनेजमेंट से जुड़ी हो और यह खराबी स्टॉक एक्सचेंज के ट्रेडिंग समय के दौरान हुई हो।
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इस पर जनता और उद्योग से जुड़े हितधारक 12 अक्टूबर 2025 तक अपने सुझाव दे सकेंगे। यह नया ढांचा उन स्टॉक ब्रोकरों पर लागू होगा जो इंटरनेट बेस्ड ट्रेडिंग (आईबीटी) या सिक्योर ट्रेडिंग वर्कस्टेशन (एसटीडब्ल्यूटी) प्लेटफॉर्म के माध्यम से सेवाएं देते हैं और जिनके पास 31 मार्च 2025 तक 10,000 से अधिक पंजीकृत ग्राहक हैं। इस प्रस्ताव से 457 छोटे स्टॉक ब्रोकरों को बड़ी राहत मिलेगी, जिनकी ग्राहक संख्या कम है और जिनके ट्रेडिंग सिस्टम में तकनीक का उपयोग सीमित है। इससे उन्हें अनुपालन (कंप्लायंस) में आसानी होगी और उनके ऊपर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। सही नाम की बेंगलुरु स्थित ब्रोकरेज फर्म के सीईओ डेल वाज़ ने कहा कि सेबी का यह नया ढांचा एक प्रगतिशील कदम है, जो ब्रोकरों को अपने ट्रेडिंग और रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम की मजबूती और प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगा।
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गौरतलब है कि इससे पहले तकनीकी गड़बड़ियों को नियंत्रित करने के लिए नियम नवंबर 2022 में जारी किए गए थे। इसके बाद दिसंबर 2022 में स्टॉक एक्सचेंजों ने इन नियमों पर विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए थे। अब सेबी ने उद्योग जगत और अन्य हितधारकों से राय लेकर मौजूदा नियमों का पुनरीक्षण किया है। नए नियमों के तहत, जब भी कोई तकनीकी खराबी होगी, ब्रोकरों को दो घंटे के भीतर स्टॉक एक्सचेंज और अपने ग्राहकों को इसकी जानकारी देनी होगी। इसके लिए एसएमएस, ईमेल, वेबसाइट या पॉप-अप अलर्ट का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, एक दिन के भीतर प्रारंभिक घटना रिपोर्ट (टी+1) जमा करनी होगी और 14 कैलेंडर दिनों के भीतर विस्तृत जांच रिपोर्ट देनी होगी। सेबी के इस कदम का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि तकनीकी खराबियों को लेकर पारदर्शिता बनी रहे, ग्राहकों को समय पर जानकारी मिले और छोटे ब्रोकर अनावश्यक दंड और नियमों के बोझ से मुक्त रह सकें।