रियल एस्टेट सेक्टर में नई जान फूंकेगी जीएसटी कटौती, सस्ती आवास परियोजनाओं के विकास को मिलेगी गति
मुंबई। केंद्र सरकार द्वारा निर्माण सामग्री पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में की गई कटौती सस्ते आवास क्षेत्र को बड़ा बढ़ावा दे सकती है। विशेषज्ञों और विश्लेषकों का मानना है कि सीमेंट और अन्य निर्माण सामग्री की कीमतों में कमी से मकानों की लागत घटेगी, जिससे घरों के दाम भी कम होंगे और लोगों की खरीद क्षमता बढ़ेगी। सीमेंट पर जीएसटी को 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है, जबकि अन्य निर्माण और फिनिशिंग सामग्री पर कर 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। यह बदलाव रियल एस्टेट सेक्टर, खासकर किफायती मकानों की मांग को बढ़ावा देगा। किफायती आवास वे मकान होते हैं, जिनकी कीमत 40 लाख रुपए से कम होती है। पिछले कुछ सालों में इस श्रेणी में बिक्री में लगातार गिरावट देखी गई है। साल 2019 में कुल मकान बिक्री में किफायती घरों की हिस्सेदारी 38% थी, जो 2024 में घटकर केवल 18% रह गई है। नई आपूर्ति के मामले में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली है, जो 2019 में 40% थी और 2025 की पहली छमाही में घटकर 12% रह गई। इसका मुख्य कारण निर्माण लागत में बढ़ोतरी और ऊंची ब्याज दरें रही हैं।
सस्ते आवास की लागत में सीमेंट का हिस्सा 20%
शहरों सीमेंट किसी भी आवासीय परियोजना की कुल निर्माण लागत का लगभग 20% हिस्सा होता है। पहले 28% जीएसटी होने के कारण यह लागत बहुत ज्यादा हो जाती थी, क्योंकि इसका क्रेडिट नहीं लिया जा सकता था। इस वजह से मकानों की अंतिम कीमत बढ़ जाती थी और खरीदारों के लिए सस्ती दरों पर घर खरीदना मुश्किल हो जाता था। विशेषज्ञों का कहना है कि अब सीमेंट पर कर घटने से निर्माण लागत में कमी आएगी, जिससे डेवलपर्स को राहत मिलेगी और यह बचत खरीदारों तक पहुंचाई जा सकेगी। हिरानंदानी ग्रुप के प्रबंध निदेशक और नारेडको के चेयरमैन निरंजन हिरानंदानी का कहना है कि यह कदम सरकार की सबके लिए आवास योजना को आगे बढ़ाएगा। शापूरजी पल्लोनजी रियल एस्टेट के प्रबंध निदेशक वेंकटेश गोपालकृष्णन के अनुसार, निर्माण लागत में लगभग 5% तक की कमी आ सकती है। इससे डेवलपर्स को बेहतर मार्जिन मिलेगा और खरीदारों को अधिक किफायती दामों पर घर उपलब्ध होंगे।
शहरी क्षेत्रों में 1 करोड़ बजट मकानों की कमी
अनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि वर्तमान में देश में शहरी क्षेत्रों में लगभग 1 करोड़ बजट मकानों की कमी है। यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो 2030 तक यह संख्या बढ़कर 2.5 करोड़ हो सकती है। इसलिए यह कदम न केवल वर्तमान मांग को पूरा करने में मदद करेगा बल्कि भविष्य की जरूरतों को भी ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण साबित होगा। आईसीआरए की उपाध्यक्ष अनुपमा रेड्डी के मुताबिक, ग्रामीण आवास पर इसका सीधा असर होगा। ग्रामीण इलाकों में सीमेंट की लागत कुल निर्माण खर्च का लगभग 10-12% होती है। जीएसटी में कमी के कारण कुल निर्माण लागत में 0.8% से 1% की कमी आएगी। इसके अलावा, एक सीमेंट बैग की कीमत में 26 से 28 रुपये की गिरावट आएगी, जिसका सीधा लाभ खुदरा ग्राहकों को मिलेगा और सीमेंट कंपनियों की लाभप्रदता पर भी इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। कुल मिलाकर, यह कर कटौती न केवल डेवलपर्स को राहत देगी बल्कि लाखों मध्यम और निम्न आय वर्ग के परिवारों के लिए घर का सपना पूरा करने का रास्ता भी खोलेगी। इससे रियल एस्टेट सेक्टर में नई जान आएगी और देश में आवासीय विकास को गति मिलेगी।