Aniruddh Singh
20 Sep 2025
मुंबई। भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने अचानक से आक्रामक रूप से निवेश करना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त को जीएसटी दरों के सरलीकरण की घोषणा के बाद एफआईआई ने सिर्फ एक महीने में ऑटो स्टॉक्स में 4,500 करोड़ रुपए का निवेश किया है। यह निवेश ऐसे समय हो रहा है जब 22 सितंबर से नई दरें लागू हो रही हैं और विश्लेषकों का मानना है कि इससे उपभोक्ता मांग में बड़ा उछाल आएगा। जीएसटी काउंसिल के फैसले के मुताबिक एसयूवी वाहनों (4 मीटर से ऊपर) पर जीएसटी की दरें 50% से घटाकर 40% कर दी गई हैं, जबकि ट्रैक्टरों पर यह दर 18% से घटाकर 5% कर दी गई है। इस बदलाव का सीधा असर गाड़ियों की कीमतों पर पड़ेगा और डीलरशिप पर ग्राहकों की भीड़ बढ़ने की संभावना है।
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बिक्री में बढ़ोतरी की संभावना को देखते हुए विदेशी निवेशकों ने पहले से ही ऑटो सेक्टर में अपनी हिस्सेदारी बढ़ानी शुरू कर दी है। एनएसडीएल के आंकड़े बताते हैं कि सितंबर की पहली पंद्रह दिनों में एफआईआई ने अकेले 1,908 करोड़ रुपए ऑटो स्टॉक्स में लगाए, जो अगस्त के पूरे महीने के 1,803 करोड़ रुपए निवेश से अधिक है। अगस्त के अंत में हुई 2,617 करोड़ रुपये की खरीदारी को मिलाकर यह आंकड़ा 4,500 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। ऑटो सेक्टर के साथ-साथ एफआईआई ने इस महीने मेटल्स, कैपिटल गुड्स और फाइनेंशियल सर्विसेज में भी निवेश किया है। मेटल्स में 1,394 करोड़ रुपए का निवेश दर्ज हुआ, जबकि कैपिटल गुड्स में 1,518 करोड़ रुपए आए।
वहीं, वित्तीय सेवाओं में लंबे समय से हो रही बिकवाली के बाद 1,039 करोड़ रुपए का प्रवाह देखा गया। इसके बावजूद उपभोक्ता सेवाओं, आईटी और रियल एस्टेट सेक्टर से भारी निकासी हुई है। सितंबर की पहली पखवाड़े में उपभोक्ता सेवाओं से 3,246 करोड़ रुपए, आईटी से 2,014 करोड़ रुपए और रियल एस्टेट से 2,095 करोड़ रुपए का पैसा बाहर निकला। स्टॉक मार्केट में भी ऑटो सेक्टर का प्रदर्शन शानदार रहा है। 14 अगस्त से अब तक निफ्टी ऑटो इंडेक्स करीब 13% चढ़ चुका है। इस अवधि में आईशर मोटर्स 17% बढ़ा है जबकि मारुति सुजुकी, टीवीएस मोटर और संवर्धन मदरसन जैसी कंपनियों ने भी मजबूत रिटर्न दिए हैं। बड़ी ब्रोकरेज फर्मों ने इस सेक्टर पर सकारात्मक रुख जताया है।
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मोतीलाल ओसवाल का मानना है कि मारुति सुजुकी और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसे प्रमुख प्लेयर्स नए प्रोडक्ट लॉन्च और ग्रामीण मांग की वापसी से 16-20% तक की आय वृद्धि दर्ज कर सकते हैं। नोमुरा ने कहा दाम घटने से उपभोक्ता हैचबैक से एसयूवी की ओर शिफ्ट हो सकते हैं, जिससे कंपनियों का ऑपरेटिंग मार्जिन 100-150 बेसिस पॉइंट तक बढ़ सकता है। एचएसबीसी ने भी लंबी अवधि में मारुति और हुंडई की निर्यात क्षमता पर भरोसा जताया है, हालांकि उसने चेतावनी दी है कि मौजूदा वैल्यूएशन 10 साल के औसत से 15% ऊपर है। एफआईआई सितंबर के पहली पखवाड़े में शुद्ध विक्रेता रहे हैं और 9,759 करोड़ रुपए का शुद्ध बहिर्वाह हुआ है। लेकिन ऑटो सेक्टर में बड़े पैमाने पर की गई खरीदारी यह संकेत देती है कि विदेशी निवेशक त्योहारों के मौसम में होने वाली खपत में भारी उछाल की उम्मीद कर रहे हैं।