Priyanshi Soni
4 Nov 2025
वाशिंगटन। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन इजराइल को 6.4 अरब डॉलर मूल्य के हथियार और सैन्य उपकरण बेचने की तैयारी कर रहा है। इस योजना को अमल में लाने के लिए अब अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी जरूरी होगी। जानकारी के अनुसार इस सौदे में 30 एएच-64 अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर और 3,250 ज्वाइंट लाइट टैक्टिकल वेहिकल्स शामिल हैं। इनका मूल्य क्रमशः 3.8 अरब डॉलर और 1.9 अरब डॉलर आंका गया है। इसके अलावा 750 मिलियन डॉलर के अतिरिक्त स्पेयर पार्ट्स, आर्मर्ड पर्सनल कैरियर्स के उपकरण और बिजली आपूर्ति से जुड़ी सामग्री भी पैकेज में रखी गई है। यह प्रस्ताव ऐसे समय में सामने आया है, जब इजराइल ने गाजा सिटी में हमास के ठिकानों पर सैन्य अभियान और तेज कर दिया है।
इजराइली सेना ने शुक्रवार को गाजा पर भारी बमबारी की और हमास के बुनियादी ढ़ांचे को निशाना बनाया। इस बीच गाजा के विस्थापित फिलिस्तीनियों का कहना है कि उनके पास भागने का कोई रास्ता नहीं बचा है और वे गंभीर मानवीय संकट में फंस गए हैं। इसी बीच, न्यूयॉर्क में अगले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा की वार्षिक बैठक होने वाली है। इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भी गाजा मुद्दे पर एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाने वाली है। ऐसे में इजराइल को बड़े पैमाने पर अमेरिकी हथियारों की आपूर्ति का यह प्रस्ताव अंतरराष्ट्रीय बहस और आलोचना को और तेज कर सकता है। अमेरिका के भीतर भी इस योजना को लेकर राजनीतिक मतभेद गहराते जा रहे हैं।
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रिपब्लिकन पार्टी और राष्ट्रपति ट्रंप खुलकर इजराइल का समर्थन कर रहे हैं और उसकी सैन्य जरूरतों को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके विपरीत डेमोक्रेटिक पार्टी के कई सांसद और सीनेटर गाजा पर इजराइल की कार्रवाई को लेकर सतर्कता जता रहे हैं। हाल ही में अमेरिकी सीनेट में पहली बार एक प्रस्ताव पेश किया गया जिसमें फलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने की बात कही गई। इसके अलावा आधे से अधिक डेमोक्रेटिक सीनेटरों ने इजराइल को और हथियार बेचने का विरोध किया। इस सौदे की खबर सबसे पहले वॉल स्ट्रीट जर्नल ने दी थी। हालांकि, व्हाइट हाउस ने इस पर अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं की है, लेकिन ट्रंप प्रशासन का यह रुख साफ है कि वह इजराइल को अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने में हर संभव मदद देना जारी रखेगा।
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यह अमेरिकी विदेश नीति में इजरायल के प्रति लगातार बढ़ते झुकाव और मध्य पूर्व में अमेरिकी रणनीतिक हितों को दर्शाता है। कुल मिलाकर, इजराइल को प्रस्तावित हथियारों की यह बड़ी खेप न केवल गाजा संघर्ष को और लंबा खींच सकती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका और उसके सहयोगियों की आलोचना का कारण भी बन सकती है। वहीं, अमेरिकी राजनीति में भी यह मुद्दा विभाजन का प्रतीक बन गया है-जहां रिपब्लिकन नेतृत्व इजरायल को मजबूत हथियारों से लैस करना चाहता है, वहीं डेमोक्रेटिक धड़ा मानवीय संकट को देखते हुए इसका विरोध कर रहा है। यह सौदा आगे जाकर अमेरिकी विदेश नीति और कांग्रेस के भीतर बहस का अहम विषय बनेगा।