Aniruddh Singh
7 Oct 2025
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नई दिल्ली। भारत में रोजगार परिदृश्य से जुड़ी एक सकारात्मक खबर सामने आई है। सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के ताजा पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) के अनुसार जुलाई 2025 में देश की बेरोजगारी दर घटकर 5.2% पर आ गई, जो जून 2025 में 5.6% थी। यह गिरावट इस ओर संकेत करती है कि देश में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं और श्रम बाजार में सक्रियता पहले से बेहतर हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार जुलाई 2025 में 15 साल और उससे ऊपर की उम्र के लोगों के बीच लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (एलएफपीआर) यानी श्रम बल में भागीदारी दर 54.9% रही है, जबकि जून 2025 में यह 54.2% थी। इसका मतलब है कि अब अधिक लोग रोजगार की तलाश में श्रम बाजार में सक्रिय हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर 56.9% और शहरी क्षेत्रों में 50.7% रही है। ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में श्रम बल में भागीदारी बढ़ने से यह साफ होता है कि रोजगार के अवसर बढ़ रहे है।
ग्रामीण पुरुषों की श्रम भागीदारी दर जुलाई में 78.1% रही, जबकि शहरी पुरुषों की 75.1% दर्ज की गई। यह आंकड़े बताते हैं कि पुरुष श्रमिकों की सक्रियता दोनों क्षेत्रों में ऊंचे स्तर पर बनी हुई है। दूसरी ओर, ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय सुधार देखा गया। जून 2025 में जहां यह 35.2% थी, वहीं जुलाई में बढ़कर 36.9% हो गई। शहरी महिलाओं की स्थिति अपेक्षाकृत कमजोर रही, लेकिन कुल मिलाकर महिलाओं की भागीदारी में बढ़ोतरी देखी गई, जो रोजगार परिदृश्य में सकारात्मक संकेत है। रिपोर्ट में वर्कर पॉप्युलेशन रेशियो (डब्ल्यूपीआर) यानी काम कर रही आबादी का अनुपात भी दर्ज किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के बीच डब्ल्यूपीआर जुलाई में बढ़कर 54.4% हो गया, जबकि जून में यह 53.3% था। शहरी क्षेत्रों में भी मामूली सुधार देखने को मिला और यह 46.8% से बढ़कर 47% पर पहुंच गया। ग्रामीण महिलाओं का डब्ल्यूपीआर जुलाई 2025 में 35.5% रहा, जबकि शहरी महिलाओं का केवल 23.5%। इसका अर्थ है कि ग्रामीण महिलाएं अपेक्षाकृत अधिक रोजगार में सक्रिय हैं। देशभर में महिलाओं का कुल डब्ल्यूपीआर 31.6% रहा।
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इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि रोजगार के क्षेत्र में कुछ सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं। बेरोजगारी दर में कमी और श्रम भागीदारी दर में बढ़ोतरी दोनों संकेत देते हैं कि रोजगार सृजन की गति सुधर रही है। खासकर ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी में इजाफा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती और सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव की ओर इशारा करता है। हालांकि, शहरी महिलाओं की कम भागीदारी अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है। रोजगार की समानता सुनिश्चित करने के लिए इस वर्ग को और अधिक अवसर उपलब्ध कराना आवश्यक है। इसके अलावा, समग्र रूप से देखा जाए तो बेरोजगारी दर का 5.6% से घटकर 5.2% पर आना यह दशार्ता है कि देश की अर्थव्यवस्था रोजगार के नए रास्ते खोल रही है और कार्यबल का बड़ा हिस्सा धीरे-धीरे इससे लाभान्वित हो रहा है। कुल मिलाकर, जुलाई 2025 का पीएलएफएस आंकड़ा भारत की श्रम बाजार स्थिति को लेकर उत्साहजनक तस्वीर पेश करता है। यह न केवल रोजगार सृजन की बढ़ती गति को दर्शाता है, बल्कि भविष्य में और अधिक सकारात्मक सुधार की उम्मीद भी जगाता है।