Aniruddh Singh
8 Sep 2025
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8 Sep 2025
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8 Sep 2025
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8 Sep 2025
सिंगापुर। सोमवार को एशियाई शेयर बाजारों में सकारात्मक रुख देखने को मिला। इसका सबसे बड़ा कारण था अमेरिका की हाल की रोजगार रिपोर्ट, जिसमें नरमी दिखने के बाद निवेशकों को यह उम्मीद जगी है कि फेडरल रिजर्व आगामी 16-17 सितंबर को होने वाली बैठक में ब्याज दरों में कम से कम 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगा। निवेशकों का मानना है कि ब्याज दरें घटने से कंपनियों और उपभोक्ताओं के लिए कर्ज लेना सस्ता होगा और आर्थिक गतिविधि को गति मिलेगी। इसी संभावना ने एशियाई शेयर बाजारों को मजबूती दी, हालांकि अमेरिका की अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार को लेकर सतर्कता भी बनी रही। जापान के शेयर बाजारों में सबसे तेज उछाल देखने को मिली। निक्केई 225 और टॉपिक्स इंडेक्स क्रमशः 1.5% और 1.1% ऊपर चढ़ कर अगस्त के मध्य में दर्ज रिकॉर्ड स्तरों के करीब जा पहुंचे। इसके पीछे दो अहम कारण रहे।
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पहला कारण, जापान की दूसरी तिमाही की जीडीपी के आंकड़े उम्मीद से कहीं बेहतर आए। तेज निर्यात और घरेलू उपभोग ने जापान की अर्थव्यवस्था को गति दी है। दूसरा, निवेशकों में यह धारणा बढ़ी कि बैंक ऑफ जापान अब आगे ब्याज दरें नहीं बढ़ाएगा, क्योंकि अर्थव्यवस्था को अतिरिक्त प्रोत्साहन की जरूरत है। हालांकि जापान में राजनीतिक अनिश्चितता भी बढ़ गई है। प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने अप्रत्याशित रूप से अपने पद से इस्तीफा दे दिया। कुछ ही सप्ताह पहले उनकी पार्टी-लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी को ऊपरी सदन के चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा था। इशिबा ने कहा कि वे तब इस्तीफा दे रहे हैं, जब जापान अमेरिका के साथ व्यापार समझौता कर चुका है, जिसके तहत जापानी वस्तुओं पर अपेक्षाकृत कम शुल्क लगेगा।
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हालांकि, उनके अचानक हटने से जापान में सत्ता संघर्ष की संभावना बढ़ गई है। राजनीतिक अनिश्चितता के बावजूद शेयर बाजारों ने तेजी दिखाई, क्योंकि निवेशकों को उम्मीद है कि नया नेतृत्व राजकोषीय मामलों में पहले से कम सख्त रुख अपनाएगा। जापान की तुलना में बाकी एशिया में उतना उत्साह नहीं रहा। चीन का सीएसआई 300 इंडेक्स 0.2% गिरा क्योंकि निवेशकों ने अगस्त के शानदार लाभ के बाद मुनाफावसूली की। शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग इंडेक्स केवल 0.1% ऊपर रहे। बाजार अब चीन के व्यापार और महंगाई के ताजा आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं ताकि यह पता चल सके कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था किस हद तक संभल रही है।
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ऑस्ट्रेलिया का एएसएक्स 200 सूचकांक पीछे रह गया, क्योंकि खनन और बैंकिंग जैसे आर्थिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों से निवेशकों ने पैसा निकाल लिया। दक्षिण कोरिया का कोस्पी और सिंगापुर का स्ट्रेट्स टाइम्स इंडेक्स केवल 0.1% बढ़े। भारत के निफ्टी 50 इंडेक्स के फ्यूचर्स में 0.3% की बढ़त हुई, हालांकि पिछले सप्ताह इसे भारी नुकसान उठाना पड़ा था क्योंकि अमेरिका ने भारत पर 50% व्यापार शुल्क लगाने का फैसला किया है। कुल मिलाकर, एशियाई बाजारों में सोमवार को जोश दिखाई दिया, लेकिन यह मुख्यतः ब्याज दर कटौती की उम्मीदों पर आधारित था। अमेरिका की आर्थिक मंदी की आशंका और एशियाई राजनीति व व्यापार से जुड़ी अनिश्चितताओं ने इस बढ़त को सीमित रखा। जापान के मज़बूत आंकड़ों और राजनीतिक घटनाक्रम ने बाजार को सबसे ज़्यादा प्रभावित किया, जबकि अन्य देशों के बाजार अपेक्षाकृत शांत रहे।