Aniruddh Singh
30 Oct 2025
Aniruddh Singh
30 Oct 2025
Aniruddh Singh
29 Oct 2025
ई दिल्ली। एलन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट कंपनी स्टारलिंक ने भारत में अपनी सेवाओं की शुरुआत के लिए जमीनी कामकाज शुरू कर दिया है। कंपनी डेटा सेंटर ऑपरेटरों, टेलीकॉम कंपनियों और इंटरनेट एक्सचेंज प्रदाताओं के साथ उन्नत स्तर पर बातचीत कर रही है। इन साझेदारियों का उद्देश्य भारत में एक मजबूत जमीनी इकोसिस्टम तैयार करना है, ताकि सैटेलाइट कनेक्टिविटी बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराई जा सके। भारत में नियम है कि उपग्रह से आने वाला सारा ट्रैफिक देश के भीतर ही संग्रहित किया जाना चाहिए, इसी वजह से जमीनी ढ़ांचे का विकास जरूरी है।
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स्टारलिंक फिलहाल भारत में डेटा सेंटर कंपनियों जैसे सिफी टेक्नोलॉजीज, एसटीटी, इक्विनिक्स, इंटरनेट एक्सचेंज प्रदाताओं जैसे डीई-सीआईएक्स और एक्सट्रीम, फाइबर इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों जैसे माइक्रोस्कैन और टेलीकॉम दिग्गज भारती एयरटेल, रिलायंस जियो और टाटा कम्युनिकेशंस से बातचीत कर रही है। इन समझौतों के जरिए अमेरिकी कंपनी भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं का नेटवर्क खड़ा करेगी। विश्लेषकों का अनुमान है कि शुरुआती निवेश लगभग 500 करोड़ रुपए का होगा।
स्टारलिंक इस माह अपने साझेदारों को लेटर आफ इंटेंट भेजने वाली है। कंपनी को भारतीय अधिकारियों से सभी जरूरी मंजूरी मिल चुकी है और परीक्षण के लिए बैंडविड्थ भी प्रदान कर दिया गया है। यह स्पष्ट है कि स्टारलिंक भारत के तेजी से बढ़ते स्पेस-आधारित इंटरनेट बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहती है, जहाँ पहले से भारती समर्थित यूटेलसैट वनवेब और रिलायंस जियो-एसईएस का संयुक्त उद्यम मौजूद है। भारत का स्पेस इकोनॉमी क्षेत्र बेहद तेजी से आगे बढ़ रहा है।
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भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन एवं प्राधिकरण केंद्र का अनुमान है कि 2033 तक देश का स्पेस इकोनॉमी बाजार 44 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है, जिससे भारत की वैश्विक हिस्सेदारी वर्तमान 2% से बढ़कर 8% हो जाएगी। इसी परिप्रेक्ष्य में मस्क की कंपनी ने देश भर में 17 लोकेशन तय की हैं, जहां ग्राउंड स्टेशन बनाए जाएंगे। ये ग्राउंड स्टेशन स्टारलिंक के लो-अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) सैटेलाइट्स को जमीनी फाइबर और डेटा नेटवर्क से जोड़ेंगे और हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध कराएंगे।
हालांकि एलईओ सैटेलाइट्स सीधे यूजर्स के टर्मिनलों तक इंटरनेट बीम कर सकते हैं, लेकिन भारतीय नियमों के अनुसार यह जरूरी है कि सारा डाउनलिंक डेटा देश के भीतर ही स्टोर हो। यही कारण है कि ग्राउंड स्टेशन, डेटा सेंटर और इंटरनेट एक्सचेंज इस पूरे सैटकॉम ढांचे के लिए केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। स्टारलिंक के शुरुआती समझौते यह दिखाते हैं कि कंपनी बड़े पैमाने पर सेवाएं देने की तैयारी कर रही है। भारत में सैटेलाइट और जमीनी सेवाओं का इकोसिस्टम साझेदारी पर आधारित मॉडल होगा।
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इसका मतलब है कि विदेशी और घरेलू कंपनियां एक ही तरह के ग्राहकों के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगी। एयरटेल और जियो के साथ स्टारलिंक की बातचीत केवल वितरण तक सीमित नहीं है, बल्कि शुरुआती मार्केटिंग समझौतों से आगे बढ़कर अन्य तरह के सहयोग पर भी चर्चा हो रही है। इस बीच कंपनी ने लॉन्च की तैयारियों को मजबूत बनाने के लिए अन्य समझौते भी शुरू कर दिए हैं। स्टारलिंक भारत को एक हाई-ग्रोथ मार्केट मान कर अपने नेटवर्क की नींव डाल रही है। अमेजन की कुइपर और एप्पल की साझेदार ग्लोबलस्टार भी भारत में प्रवेश के लिए अनुमति मांग चुकी हैं।