Aniruddh Singh
22 Sep 2025
लंदन/नई दिल्ली। ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति को गति देने के लिए ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर ने दुनिया भर की बेहतरीन प्रतिभाओं को आकर्षित करने की योजना बनाई हैं। उनकी इस योजना के तहत विज्ञान, अकादमिक और डिजिटल क्षेत्रों के शीर्ष विशेषज्ञों के लिए वीजा फीस पूरी तरह खत्म की जा सकती है। उन्होंने यह पहल ऐसे समय में की है, जब अमेरिका ने अपने कार्य वीजा एच-1बी की फीस में भारी वृद्धि कर दी है। एच-1बी वीजा मुख्य रूप से अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। इसका बहुत बड़ा हिस्सा भारतीय आईटी पेशेवर पूरा करते हैं।
वर्तमान में ब्रिटेन का ग्लोबल टैलेंट वीजा प्रत्येक आवेदक के लिए £766 (करीब 77,000 रुपए) का है। इतना ही शुल्क उसके जीवनसाथी और बच्चों पर भी लागू होता है। इसके अलावा हर व्यक्ति को सालाना £1,035 (करीब 1 लाख रुपए) का हेल्थ सरचार्ज भी देना पड़ता है। इस वीजा का लक्ष्य विज्ञान, इंजीनियरिंग, मानविकी, चिकित्सा, डिजिटल टेक्नोलॉजी, कला और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में मान्यता प्राप्त विशेषज्ञों को आकर्षित करना है। यदि ऐसा होता है तो ब्रिटेन उच्च कौशल वाले भारतीयों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बन जाएगा।
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ब्रिटेन के अधिकारियों का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप के हालिया निर्णय ने ब्रिटेन के सुधार प्रयासों को और गति दी है। अमेरिकी वीजा महंगा होने से ब्रिटेन के लिए यह अवसर पैदा हुआ है कि वह वही प्रतिभाशाली लोगों का समूह अपनी ओर आकर्षित कर सके, जिसमें भारतीय वैज्ञानिक, इंजीनियर और टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ शामिल हैं। ब्रिटेन की योजना का नेतृत्व प्रधानमंत्री स्टारमर के बिजनेस सलाहकार वरुण चंद्रा और विज्ञान मंत्री लॉर्ड पैट्रिक वैलेंस कर रहे हैं। हालांकि होम आॅफिस ने इसे अभी आधिकारिक रूप से मंजूरी नहीं दी है, लेकिन सरकार के भीतर इस पर सहमति बन रही है। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम कुल प्रवासन बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि चुनिंदा उच्च कौशल वाले लोगों को ब्रिटेन लाने के लिए है।
इसके अलावा ब्रिटेन की वित्त मंत्री रेचेल रीव्स टैक्स सिस्टम की समीक्षा कर रही हैं ताकि इसे विदेशी पेशेवरों के लिए आकर्षक बनाया जा सके। हाल ही में टैक्स में हुए बदलाव को लेकर कुछ अमीर व्यक्तियों के ब्रिटेन छोड़ने की आशंका जताई गई थी, लेकिन शुरूआती आंकड़े बताते हैं कि इसका असर सीमित रहा है। यदि टैक्स सिस्टम और अनुकूल हो जाता है, तो यह भारत जैसे देशों से आने वाले कुशल पेशेवरों को और अधिक आकर्षित करेगा। जून 2023 तक समाप्त हुए वर्ष में ब्रिटेन ने 3,901 ग्लोबल टैलेंट वीजा जारी किए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 76% अधिक है। विश्वविद्यालयों ने इस बढ़ोतरी का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि और कदम उठाने की आवश्यकता है।
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भारतीय वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और डिजिटल विशेषज्ञों के लिए यह बदलाव बेहद लाभदायक हो सकता है। अमेरिकी विकल्प अब महंगा और जटिल हो गया है, जबकि ब्रिटेन में फीस और हेल्थ सरचार्ज हटने से शुरूआती खर्च में बड़ी कटौती होगी। इससे यह संदेश भी जाएगा कि ब्रिटेन उच्च कौशल वाले प्रतिभाओं के लिए खुला और स्वागत करने वाला देश है। यदि ये प्रस्ताव लागू हो जाते हैं, तो कई भारतीय पेशेवर जो पहले अमेरिका की ओर रुख करते थे, वे अब ब्रिटेन को प्राथमिकता दे सकते हैं। इससे ब्रिटेन की यूनिवर्सिटीज, रिसर्च लैब्स और टेक्नोलॉजी कंपनियों में भारतीयों की संख्या में वृद्धि हो सकती है और उन्हें एक बेहतर, कम खचीर्ला और तेज रास्ता मिलेगा।