Peoples Reporter
7 Oct 2025
एंकोरेज। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच यूक्रेन युद्ध को लेकर अलास्का के एंकोरेज के एयरबेस में हुई शिखर बैठक बिना किसी ठोस समझौते के समाप्त हो गई। बैठक के बाद ट्रंप से जब पूछा गया कि वह इस मुलाकात को कितने अंक देंगे, तो उन्होंने इसे 10 में से 10 बताया और कहा कि उनका पुतिन के साथ तालमेल बेहतरीन रहा। डोनाल्ड ट्रंप ने आगे कहा अब जिम्मेदारी यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की और यूरोपीय देशों की है कि वे मिलकर समझौते को आगे बढ़ाएं। डोनाल्ड ट्रंप के अनुसार रूस और यूक्रेन अब ऐसी वार्ता करेंगे जिसमें पुतिन और जेलेंस्की दोनों मौजूद रहेंगे। उन्होंने यह स्पष्ट करने से इनकार कर दिया कि वह एक बड़ी बात क्या रही, जिस पर दोनों पक्ष सहमत नहीं हो पाए। ट्रंप ने पुतिन की तारीफ करते हुए कहा कि अगर वह उस समय राष्ट्रपति होते जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, तो यह युद्ध कभी शुरू ही नहीं होता। उन्होंने इस युद्ध को ऐसा संघर्ष बताया जो कभी होना ही नहीं चाहिए था और कहा कि दुनिया में कई युद्ध बेवजह हुए हैं। इसका कारण यह रहा कि गलत समय पर गलत लोग आगे बढ़कर बातचीत कर रहे थे।
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इस दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन पर आरोप लगाया कि उन्होंने रूस के आक्रमण को रोकने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए, जिससे यह स्थिति बनी। अलास्का से उड़ान भरने से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में, कहा हमारी बातचीत बहुत अच्छी रही। उन्होंने कहा कि पुतिन के साथ उनकी हमेशा से बेहतरीन समझ रही है और इस मुलाकात में भी वही माहौल देखने को मिला। उन्होंने कहा कि अब देखना यह है कि आगे क्या होता है, लेकिन उनकी प्राथमिकता है कि लोग मरने नहीं चाहिए। खास बात यह रही कि पहले यह बैठक केवल ट्रंप और पुतिन के बीच, अनुवादकों के साथ, होने वाली थी। लेकिन अंतिम समय में बदलाव कर इसमें कई वरिष्ठ अधिकारियों और सलाहकारों को भी शामिल किया गया। ये सभी उच्च-स्तरीय लोग वार्ता और दोनों नेताओं के वक्तव्य के दौरान मौजूद रहे, लेकिन किसी ने पत्रकारों से बात नहीं की। इस बैठक को कवर करने अलास्का पहुंचे सैकड़ों पत्रकारों को को कोई अंदरूनी जानकारी नहीं मिल सकी। इस तरह बैठक का माहौल सकारात्मक होने के बावजूद, मुख्य मुद्दे पर कोई समाधान नहीं निकल सका और अब अगला कदम रूस-यूक्रेन तथा यूरोपीय पक्षों की प्रत्यक्ष वार्ता पर निर्भर करेगा।
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अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई वार्ता बिना किसी ठोस समझौते के जरूर खत्म हो गई, लेकिन यूक्रेन के लिए यह राहत भरी स्थिति है कि उसकी गैर-मौजूदगी में उसके खिलाफ कोई गुप्त सौदा नहीं किया गया। बैठक के बाद ट्रंप थके और असंतुष्ट दिखे, जबकि पुतिन पूरी तरह आत्मविश्वास में नजर आए। उन्होंने न केवल युद्ध के तथाकथित मूल कारणों की बात की बल्कि यूक्रेन और यूरोपीय देशों को अप्रत्यक्ष धमकी भी दी कि वे इस प्रक्रिया में बाधा डालने की कोशिश न करें। पुतिन ने कहा उन्हें उम्मीद है कि कीव और यूरोपीय राजधानियां इस प्रक्रिया को सकारात्मक रूप में लेंगी और कोई रुकावटें या गुप्त चालें नहीं चलेंगी।
हालांकि ट्रंप ने यूक्रेन और नाटो सहयोगियों से बातचीत का आह्वान किया, लेकिन उनके चेहरे और शब्दों से साफ था कि कोई ऐसा समझौता नहीं हुआ, जिसे वे ठोस सफलता मान सकें। यहां तक कि दोनों नेताओं ने एक साथ भोजन भी नहीं किया और पुतिन जल्दी ही अपने विमान से लौट गए। डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया कि अब भी बड़ी बातें बाकी हैं जिन पर सहमति नहीं बन पाई है। इसका अर्थ है कि मुख्य मुद्दे, जैसे कि पुतिन कितनी भूमि चाहते हैं और युद्धविराम की शर्तें क्या होंगी, पर कोई ठोस प्रगति नहीं हुई।
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पुतिन बैठक से दो बड़ी जीत लेकर गए। पहली जीत उनकी छवि को लेकर रही। अमेरिका में उनका रेड कारपेट स्वागत हुआ, उन्हें ट्रंप की खास गाड़ी द बीस्ट में बैठाया गया। यह सब एक ऐसे नेता के लिए बड़ी प्रतिष्ठा का प्रतीक है जिसे पश्चिमी दुनिया युद्ध अपराधी मानती है। यूक्रेनियों के लिए यह दृश्य बेहद पीड़ादायक रहा, क्योंकि वही पुतिन, जो खुद को यूक्रेन का भाईचारा रखने वाला कह रहे थे, पिछले साढ़े तीन साल से उसके नागरिकों की हत्या करते आ रहे हैं। दूसरी जीत समय से जुड़ी है। पुतिन ने इस वार्ता के जरिए अपनी सेनाओं के लिए और वक्त ले लिया है। उनकी गर्मियों की सैन्य आक्रामकता अब छोटे-छोटे लाभों को रणनीतिक जीत में बदलने की स्थिति में है।
ट्रंप भविष्य में अतिरिक्त प्रतिबंध लगाते हैं या नहीं, यह अनिश्चित है, लेकिन पुतिन ने अपने बर्ताव से यह संकेत दिया कि उन्हें कोई जल्दबाजी नहीं है और आगे भी मुलाकातें जारी रहेंगी। अंततः, यूक्रेन की स्थिति में कोई त्वरित बदलाव नहीं आया। न तो कोई नया अमेरिकी-रूसी सौदा हुआ और न ही कोई शांति योजना सामने आई। इसका मतलब है कि यूक्रेन के लिए आज की सुबह भी उसी भयावह स्थिति में होगी, जिसमें वह अब तक जी रहा है। पुतिन को अंतरराष्ट्रीय मंच पर वैधता और समय जैसे दो अहम फायदे मिल गए, जबकि ट्रंप खाली हाथ लौटे।
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अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की वार्ता के बाद, नाटो में अमेरिका के पूर्व राजदूत डगलस ल्यूट ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि इस बैठक से ट्रंप को कोई ठोस लाभ नहीं मिला। हालांकि, पुतिन को इससे जरूर फायदा मिला। अब तक अंतरराष्ट्रीय जमात में अलग-थलग पड़े पुतिन को इस बैठक से अलगाव से बाहर निकलने का मौका मिला है। ल्यूट ने कहा कि पुतिन एक बड़े मंच पर अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ दिखे, जहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया, रेड कारपेट बिछा, वह ट्रंप की कार में सवार हुए और दोनों शांति की दिशा में प्रयास करते दिखाई।
जबकि वास्तव में पुतिन का कामकाज इसके एकदम विपरीत है। उन्होंने कहा इस सौदे में पुतिन ने तो अपनी छवि को वैश्विक मंच पर मजबूती दी, लेकिन ट्रंप को इसके बदले कुछ नहीं मिला। ल्यूट के अनुसार, हमने बहुत कम हासिल किया है और हम यूक्रेन में शांति समझौते के पहले से ज्यादा दूर हो सकते हैं। उन्होंने अपनी बात सीधी करते हुए कहा भले ही बैठक का माहौल और तस्वीरें सकारात्मक दिखें, लेकिन वास्तविक कूटनीतिक प्रगति नहीं हुई, और इससे रूस को अंतरराष्ट्रीय वैधता का लाभ मिला, जबकि अमेरिका के लिए कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
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