Aniruddh Singh
9 Sep 2025
Aniruddh Singh
8 Sep 2025
मुंबई। एशिया के सबसे बड़े कारोबारी मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) एक बार फिर ऐसे कदम उठा रही है, जो अगले दिनों में भारतीय कॉर्पोरेट जगत की नई दिशा तय कर सकते हैं। जियो के आईपीओ की तैयारी के बीच कंपनी ने एक साथ दो नए क्षेत्रों पर दांव लगाया है। पहला है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और दूसरा फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) है। ये दोनों ही कारोबार आने वाले 5 से 7 सालों में रिलायंस की मौजूदा ताकत को पीछे छोड़ने की क्षमता रखते हैं। मुकेश अंबानी ने पहला बड़ा दांव रिलायंस इंटेलिजेंस के नाम से शुरू किए गए एआई बिजनेस पर लगाया है। इसके लिए रिलायंस ने मेटा के साथ 70:30 का ज्वाइंट वेंचर किया है जिसें शुरुआती 100 मिलियन डॉलर निवेश का लक्ष्य है।
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गूगल क्लाउड के साथ भी साझेदारी की है, ताकि गुजरात के जामनगर में एक अत्याधुनिक एआई-केंद्रित डेटा सेंटर और क्लाउड क्षेत्र तैयार किया जा सके। इस सुविधा को रिलायंस के नए ऊर्जा कारोबार से पावर मिलेगी और जियो की फाइबर कनेक्टिविटी के जरिए मुंबई और दिल्ली जैसे प्रमुख महानगरों से जोड़ा जाएगा। अनुमान है कि यदि यह डेटा सेंटर क्षमता 1 गीगावॉट तक जाती है, तो इसके लिए लाखों उच्च स्तरीय एआई चिप्स और लगभग 1.3 गीगावॉट 24x7 बिजली की जरूरत होगी। विश्लेषकों का मानना है कि यह भारत का सबसे बड़ा और महत्वाकांक्षी एआई नेटवर्क होगा जो आने वाले सालों में न केवल घरेलू बल्कि वैश्विक स्तर पर भी कई नए एआई उपयोग और मॉडल विकसित करेगा।
दूसरा बड़ा दांव रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (आरसीपीएल) पर है, जो एफएमसीजी व्यवसाय को संभाल रहा है। फिलहाल इसने लगभग 11,500 करोड़ रुपए का कारोबार किया है, लेकिन लक्ष्य है कि अगले 5 सालों में इसे बढ़ाकर 1 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचाया जाए। यानी करीब 9 गुना वृद्धि करने का लक्ष्य है । इतना ही नहीं, लंबी अवधि में यह भारत की सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी बनना चाहती है, जिसकी पहुंच वैश्विक स्तर तक होगी। आरसीपीएल ने अपनी रणनीति को दो भागों में बांटा है,. पहला है खुद के नए ब्रांड जैसे इंडिपेंडेंस और गुड लाइफ को खड़ा करना, दूसरा है पुरानी पहचान वाले ब्रांड्स का अधिग्रहण करना।
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इसी रणनीति के तहत कैंपा कोला, लोटस चॉकलेट्स और रावलगांव जैसे ब्रांड खरीदे गए। खास बात यह है कि कैंपा कोला ने कई राज्यों में अब डबल-डिजिट मार्केट शेयर हासिल कर लिया है और पिछले 30 साल से चले आ रहे विदेशी कंपनियों के दबदबे को तगड़ी चुनौती दी है। इंडिपेंडेंस ब्रांड पहले ही 1,000 करोड़ रुपए का कारोबार पार कर चुका है और अब भारत से बाहर पश्चिम एशिया, श्रीलंका, नेपाल और पश्चिम अफ्रीका तक पहुंच गया है। कंपनी का लक्ष्य अगले बारह महीनों में 25 देशों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराना है। इसके अलावा, अगले तीन वर्षों में लगभग 4.7 अरब डॉलर निवेश करके विशाल फूड पार्क यानी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित किए जाएंगे, जिससे स्केल एडवांटेज मिलेगा और उत्पाद सस्ते व प्रतिस्पर्धी बनेंगे।
आरसीपीएल का मौजूदा कारोबार पहले ही डाबर, जीसीपीएल और मैरिको जैसे स्थापित खिलाड़ियों के भारतीय कारोबार से बड़ा हो चुका है। इसकी पहुंच 32 सौ से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर और 10 लाख से अधिक खुदरा दुकानों तक है, जिनमें से दो-तिहाई बिक्री पारंपरिक किराना दुकानों से आती है। यह बताता है कि रिलायंस का एफएमसीजी पोर्टफोलियो अब केवल प्राइवेट लेबल तक सीमित नहीं है बल्कि एक बड़े राष्ट्रीय नेटवर्क का रूप ले चुका है। ब्रोकरज हाउसेज मानते हैं कि आरसीपीएल आगे चलकर रिलायंस समूह के लिए वैसा ही मूल्य पैदा करेगा जैसा रिटेल कारोबार ने किया है। कुछ विश्लेषकों के मुताबिक, इसे अभी तक रिलायंस की वैल्यूएशन में शामिल नहीं किया गया है, जिससे भविष्य में निवेशकों के लिए और अवसर पैदा हो सकते हैं।
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वहीं सीएलएसए का मानना है कि जियो की टैरिफ वृद्धि, रिटेल कारोबार की रफ्तार में सुधार और जियो के आईपीओ जैसे कारक अगले 12–15 महीनों में रिलायंस के शेयर को नई ऊंचाई पर ले जा सकते हैं। संक्षेप में कहें तो मुकेश अंबानी एक साथ दो ऐसे क्षेत्रों पर दांव लगा रहे हैं, जो आने वाले सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था का चेहरा बदल सकते हैं। एआई में रिलायंस इंटेलिजेंस भारत को दुनिया की नई तकनीकी क्रांति का केंद्र बना सकता है, जबकि एफएमसीजी कारोबार देश में उपभोक्ता वस्तुओं का सबसे बड़ा खिलाड़ी बनने की दिशा में बढ़ रहा है। चुनौती बड़ी है, निवेश भी विशाल है और जोखिम भी उतने ही हैं, लेकिन अगर यह रणनीति सफल होती है तो यह रिलायंस के लिए वैसा ही क्षण होगा जैसा जियो ने कुछ साल पहले दूरसंचार उद्योग में किया था।