Peoples Reporter
7 Oct 2025
Shivani Gupta
7 Oct 2025
Shivani Gupta
7 Oct 2025
नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर भारी टैरिफ लगाने की धमकी और रूस के साथ भारत के तेल व्यापार पर आपत्ति जताने के बाद भारत ने सख्त लहजे में जवाब दिया है। भारत ने साफ किया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा और अमेरिका सहित यूरोपीय देश खुद रूस के साथ बड़े पैमाने पर व्यापार कर रहे हैं। इस बीच ट्रंप का एक बयान भी सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि अमेरिका रूस से क्या खरीद रहा है। ट्रंप का यह बयान ANI के एक सवाल के जवाब में आया, जिसे उन्होंने टालने की कोशिश की।
व्हाइट हाउस में भारतीय मीडिया के ANI पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल पर ट्रंप ने कहा, "मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता। हमें इसकी जांच करनी होगी।"
उनसे पूछा गया था कि अमेरिका रूस से अब भी यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, केमिकल्स और उर्वरक क्यों खरीद रहा है, जबकि वह भारत के रूस से व्यापार को लेकर नाराजगी जता रहे हैं। भारत ने सोमवार को ही एक बयान में कहा था कि अमेरिका अब भी रूस से ऐसे कई उत्पाद मंगा रहा है, जिनका उपयोग उसकी ऊर्जा और कृषि सुरक्षा के लिए किया जा रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को संकेत दिया था कि वे भारत पर और अधिक टैरिफ लगाने की घोषणा कर सकते हैं। इससे पहले 30 जुलाई को उन्होंने भारत पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। ट्रंप का आरोप है कि भारत रूस के साथ व्यापार करके यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दे रहा है। उनका कहना है कि रूस से भारत द्वारा सस्ता तेल खरीदना और उसे वैश्विक बाजार में बेचना युद्ध को लंबा खींचने में मदद कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को इस बात की कोई परवाह नहीं है कि यूक्रेन में कितने लोग मारे जा रहे हैं।
भारत सरकार ने ट्रंप के बयानों और अमेरिकी रवैये पर सख्त प्रतिक्रिया दी है। भारत ने कहा है कि आलोचना करने वाले देशों को खुद के दामन में झांकना चाहिए। अमेरिका और यूरोपीय संघ खुद रूस से व्यापार कर रहे हैं और भारत को ही निशाना बनाना एकपक्षीय और गलत है। भारत ने बताया कि यूक्रेन युद्ध के बाद भारत को रूस से तेल खरीदना पड़ा, क्योंकि पारंपरिक आपूर्तिकर्ता देशों ने अपनी खेप यूरोप को भेजनी शुरू कर दी थी। ऐसे समय में अमेरिका ने भारत को रूस से सस्ता तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित भी किया था।
भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि 2024 में यूरोपीय संघ ने रूस के साथ करीब 85 बिलियन यूरो का व्यापार किया। साथ ही अमेरिका ने भी न्यूक्लियर इंडस्ट्री के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर के लिए पैलेडियम और उर्वरक तथा केमिकल्स का आयात किया है। भारत ने सवाल किया कि क्या ये व्यापार यूक्रेन युद्ध को समर्थन नहीं देते?
भारतीय मूल की रिपब्लिकन नेता और पूर्व संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि निक्की हेली ने ट्रंप के बयानों पर नाराजगी जताई है। उन्होंने एक्स पर लिखा कि अमेरिका को भारत जैसे मजबूत और रणनीतिक सहयोगी से संबंध बिगाड़ने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को रूस से तेल खरीदने पर निशाना बनाया जा रहा है, जबकि चीन अमेरिका का रणनीतिक विरोधी है और सबसे बड़ा रूसी-ईरानी तेल खरीदार है, लेकिन उसे 90 दिनों की टैरिफ छूट दे दी गई है। हेली ने पूछा कि यह कैसी नीति है जिसमें विरोधी को छूट दी जा रही है और मित्र देश को सजा?
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भारत ने अपने स्पष्टीकरण में कहा कि यूक्रेन युद्ध से पहले वह रूस से बहुत कम तेल (0.2% या लगभग 68,000 बैरल प्रतिदिन) आयात करता था, लेकिन युद्ध के बाद यह 2023 में 45% (20 लाख बैरल प्रतिदिन) और 2025 के शुरुआती महीनों में 17.8 लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गया। यह बदलाव भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी था। पिछले दो वर्षों में भारत ने हर साल औसतन 130 अरब डॉलर से अधिक का रूसी तेल खरीदा है। सरकार का कहना है कि यह कदम भारत की आर्थिक स्थिरता और आम जनता के हित में था।