Aakash Waghmare
20 Nov 2025
आशीष नसवा
तेहरान। हम 19 लोगों का एक डेलिगेशन ईरान गया था, जो अलग-अलग फील्ड से थे। मैं कवि के तौर पर इसमें शामिल था। हमें ईरानी सरकार ने आमंत्रित किया था।
ईरान में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और ‘अतिथि देवो भव’ इन दोनों के अर्थ सार्थक दिखे। पहले मैं सोच रहा था कि पता नहीं वहां किस तरह का माहौल होगा, किस तरीके के लोग होंगे, वहां हमारा कैसा स्वागत होगा, कहीं कोई डर का माहौल तो नहीं मिलेगा? क्योंकि जब हम गूगल पर देखते हैं, ईरान और कहीं-कहीं हिंदुस्तान के बारे में भी गलत धारणा पढ़ने को मिल जाएगी। जैसे कि ईरान में जाना खतरे से खाली नहीं है। क्योंकि गूगल और सोशल मीडिया पर अमेरिकी अधिकार है।

ईरान के लोग हिंदुस्तानियों की बहुत अच्छे से खातिरदारी करते हैं। हां, भारत की पॉलिटिक्स को लेकर किसी में कोई दिलचस्पी नहीं दिखी। ईरानी हिन्दुस्तानी फिल्में देखते हैं। वे अमिताभ बच्चन को जानते हैं। जैसे ही उन्हें पता चला कि हम हिंदुस्तान से आए हैं, तो उनके मुंह से सिर्फ एक ही बात निकली-ओहो! अमिताभ बच्चन! ऐसे कई बच्चे मिले, जिन्होंने ‘शोले’ तीन-चार बार देखी थी ‘बागवान’ भी।
ईरान स्वच्छता को लेकर अत्यंत सजग है।सुबह करीब 4 बजे सड़कों की धुलाई हो जाती है।सिस्टम ऐसा कि सारा पानी सड़कों से ढुलकर जमीन में उतर जाता है, ताकि वॉटर लेवल बना रहे। ईरान में प्रदूषण नहीं दिखा। धूल-मिट्टी नहीं है।
वहां के लोग फलों के बड़े शौकीन हैं। वहां फलों के अलावा सब्जियां बहुत अच्छी होती हैं। नाश्ते में सलाद-जूस अधिक पसंद करते हैं। लोग थैले में फल आदि लेकर चलते हैं, ताकि रास्ते में भूख लगने पर उपयोग किया जा सके। अच्छी बात यह है कि लोग छोटी थैलियां रखते हैं, ताकि फलों का कचरा उसमें भरकर किसी डस्टबिन में फेंक सकें। वहां केसर बहुत अच्छा है और सस्ता भी।

तेहरान में हमने देखा कि खाली दीवारों पर पेंटिंग्स की गई थीं, ताकि उन्हें गंदगी से बचाया जा सके। हालांकि ईरानी साफ-सफाई को लेकर काफी सजग हैं। वहां पेट्रोल काफी सस्ता है। बताया गया कि लोगों को एक महीने के लिए यानी 60 लीटर पेट्रोल फ्री दिया जाता है। उसके बाद 1 रुपए प्रति/लीटर मिलता है। बिजली की कीमत दुनिया में सबसे कम है। आप कहीं भी चले जाइए, रोटी फ्री है। होटल में केवल सब्जी आदि के पैसे लिए जाते हैं।

मुझे वहां एक हिंदुस्तानी फैमिली मिली, जो मेरी फेसबुक फॉलोअर है। तेहरान में उनका ‘चिंगारी’ नाम से रेस्टोरेंट है। उन्होंने अच्छे से खातिरदारी की। वहां की चाय में दूध इस्तेमाल नहीं होता है। चायपत्ती की क्वालिटी बहुत अच्छी होती है।
ईरान को लेकर पहले जो परसेप्शन था, वहां जाकर पूरी तरह बदल गया। अमेरिकी पाबंदियों के कारण कुछ परेशानियां हो रही हैं, लेकिन भारतीयों के लिए ईरान एक अच्छा दोस्त है।
(जैसा कि अमिताभ बुधौलिया को बताया)