Aniruddh Singh
9 Nov 2025
नई दिल्ली। केंद्र सरकार अब इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (e-NAM) का नया और उन्नत संस्करण e-NAM 2.0 लॉन्च करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसका मुख्य उद्देश्य राज्यों और मंडियों के बीच कृषि उत्पादों के व्यापार को बढ़ावा देना है। मौजूदा समय में ई-एनएएम प्लेटफॉर्म पर अधिकतर व्यापार स्थानीय स्तर यानी एक ही मंडी या राज्य के भीतर तक ही सीमित है। इस प्लेटफॉर्म की शुरुआत अप्रैल 2016 में की गई थी, लेकिन नौ साल बाद भी राज्यों के बीच कृषि व्यापार का दायरा बेहद छोटा बना हुआ है। आंकड़ों के अनुसार, अब तक ई-एनएएम पर कुल 14.47 लाख करोड़ रुपए के कृषि उत्पादों का व्यापार हुआ है, लेकिन इसमें केवल 76.8 करोड़ रुपए का व्यापार ही देश के विभिन्न राज्यों के बीच हुआ है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, e-NAM 2.0 में कई नई सुविधाएं जोड़ी जाएंगी।
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इनमें स्वचालित बोली लगाने की प्रणाली, मांग और आपूर्ति का डेटा उपलब्ध कराने की सुविधा, और डिजिटल कॉमर्स से जुड़ी सेवाएं जैसे असेसिंग, लॉजिस्टिक्स और फिनटेक सहायता भी शामिल होंगी। वर्तमान प्लेटफॉर्म पर निजी कंपनियों के जरिए किसानों को गुणवत्ता जांच और परिवहन जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन नए संस्करण में यह संभव होगा। इससे खासतौर पर अनाज, फल और सब्जियों जैसे उत्पादों का अंतर-राज्यीय व्यापार आसान होगा और किसानों को बेहतर कीमतें मिलेंगी। अधिकारियों ने कहा e-NAM 2.0 का उद्देश्य कृषि उत्पादों के व्यापार को तेज और अधिक पारदर्शी बनाना है। इससे फसल की बर्बादी कम होगी क्योंकि उत्पादों को जल्दी से जल्दी बाजार तक पहुंचाया जा सकेगा और बिचौलियों की भूमिका घटेगी। नया प्लेटफॉर्म उच्चतम सीजन के दौरान भारी मात्रा में लेन-देन को संभालने में सक्षम होगा, ताकि सिस्टम धीमा न पड़े।
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इसके साथ ही इसमें क्यूआर आधारित लॉट ट्रैकिंग और समय पर नोटिफिकेशन जैसी आधुनिक सुविधाएं भी होंगी। फिलहाल e-NAM प्लेटफॉर्म से 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 1,522 मंडियां जुड़ी हुई हैं। इनमें तमिलनाडु की 213, राजस्थान की 173, गुजरात की 144, महाराष्ट्र की 133, उत्तर प्रदेश की 162 और हरियाणा की 108 मंडियां शामिल हैं। इस प्लेटफॉर्म पर 17.94 मिलियन किसान, 4,557 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), 2,69,688 व्यापारी और 1,17,590 कमीशन एजेंट पंजीकृत हैं। अभी 238 कृषि और बागवानी उत्पाद ऑनलाइन ई-नीलामी के लिए अधिसूचित किए गए हैं। हालांकि देश में कुल 7,000 के करीब मंडियां हैं, जिनमें से अधिकांश अभी इस प्लेटफॉर्म से नहीं जुड़ी हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में e-NAM पर कुल 80,262 करोड़ रुपए का व्यापार हुआ है, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में मात्र 2% अधिक है। यह दिखाता है कि प्लेटफॉर्म का विकास धीमी गति से हो रहा है और राज्यों के बीच व्यापार का स्तर अभी बहुत कम है।
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2022-23 में पहली बार जम्मू-कश्मीर से झारखंड तक सेब का अंतर-राज्यीय व्यापार e-NAM के जरिए हुआ था, लेकिन यह अब भी बहुत सीमित पैमाने पर बना हुआ है। सरकार का मानना है कि e-NAM 2.0 किसानों को अपनी उपज सीधे विभिन्न राज्यों के बाजारों में बेचने का अवसर देगा। इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। साथ ही, लॉजिस्टिक चुनौतियों को दूर कर समय और लागत दोनों की बचत होगी। यह कदम कृषि क्षेत्र को डिजिटल और संगठित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा और इसके माध्यम से कृषि व्यापार को अधिक प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी बनाया जा सकेगा। सरकार इस योजना पर तेजी से काम कर रही है। उम्मीद है कि कुछ महीनों में e-NAM 2.0 योजना जमीन पर होगी। इसके शुरू होने से कृषि उत्पादों के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय डिजिटल बाजार का सपना साकार होगा।