Naresh Bhagoria
4 Dec 2025
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Manisha Dhanwani
4 Dec 2025
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शाहिद खान
भोपाल। राजधानी में पर्यावरण संरक्षण की एक लड़ाई में असत्य पर सत्य की जीत का मामला पिछले साल अक्टूबर में सामने आया था। मामला प्रोफेसर कॉलोनी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट से जुड़ा था। यहां अफसरों ने झूठ बोलकर हरियाली की बलि चढ़ाने की तैयारी की थी, लेकिन पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में लंबी लड़ाई लड़ी और आखिर सत्य की जीत हुई। प्रोजेक्ट बनाने वाली एजेंसी ने माना की बेवजह 280 पेड़ों को काटा जा रहा था, जिन्हें अब नहीं काटा जाएगा। दरअसल पुराने और नए शहर के बीच स्थित प्रोफेसर कॉलोनी के रीडेंसिफिकेशन की योजना मप्र गृह निर्माण मंडल ने तैयार की थी। जिसके लिए यहां पुराने बंगलों को तोड़कर नया कलेक्ट्रेट, कंपोजिट आॅफिस कॉम्पलेक्स, एक हैबिटेट सेंटर और स्टेट गेस्ट हाउस बनाया जाना है। वहीं छोटे तालाब पर एक नया पुल और पूरे इलाके में नई सड़कें बनेंगी। हाउसिंग बोर्ड ने इस डेवलपमेंट प्लान में 390 पेड़ों को काटने की जरूरत बताई थी।
याचिका दायर होने के बाद हाउसिंग बोर्ड बैकफुट पर आ गया। ट्रिब्यूनल में दायर अपने हलफनामे में बोर्ड ने स्वीकार किया कि अब प्रोजेक्ट के लिए केवल 110 पेड़ ही काटे जाएंगे, जबकि 90 पेड़ों को स्थानांतरित (ट्रांसप्लांट) किया जाएगा। सबसे अहम बात यह है कि हलफनामे में बोर्ड ने साफ-साफ माना कि अधिकारियों द्वारा गलत योजना बनाई गई थी, जिसके कारण 280 पेड़ बेवजह काटे जा रहे थे।
ऐसे में पर्यावरण प्रेमियों ने साबित कर दिया कि सच्चाई और जनहित के लिए उठाई गई आवाज किस तरह एक असत्य योजना के 'रावण' का विरोध करके 'सत्य' की विजय सुनिश्चित कर सकती है। पेड़ों को बचाने पर्यावरण कार्यकर्ता नितिन सक्सेना और भोपाल सिटीजन फोरम ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा था कि यह प्रोजेक्ट वेटलैंड नियमों का उल्लंघन है और इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों को काटने की जरूरत नहीं है।
ऐसे सत्र बच्चों और शिक्षकों दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह बच्चों के विकास-कौशल में मददगार रहे हैं। शिक्षकों ने भी इस प्रशिक्षण को उपयोगी बताया और कहा उनके दृष्टिकोण और व्यवहार में बदलाव आया है।
अमृत राज झरिया, प्रिंसिपल, एकलव्य आवासीय विद्यालय