Naresh Bhagoria
4 Dec 2025
नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कुछ देर पहले भारत पहुंच चुके हैं। भारत के पुराने दोस्त के राष्ट्राध्यक्ष के आगमन को लेकर दुनियाभर की निगाहें, मोदी और पुतिन की मुलाकात पर है।दोनों देश व्यापार और सैन्य सहित कई मुद्दों पर बातचीत करेंगे। वहां उनके सम्मान में डिनर भी रखा गया है। पुतिन शुक्रवार सुबह अपने आधिकारिक कार्यक्रमों की शुरुआत औपचारिक स्वागत समारोह के साथ करेंगे। इसके बाद हैदराबाद हाउस में 23वां भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन कार्यक्रम होगा। इसमें प्रधानमंत्री मोदी रूसी राष्ट्रपति और उनके प्रतिनिधिमंडल शामिल होंगे।
भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान व्यापार मुद्दे पर भी विशेष फोकस रहेगा। रूस की तरफ से कोशिश की जा रही है कि रिटेल, आईटी व टेक्नोलॉजी क्षेत्र की भारतीय कंपनियां वहां प्लांट लगाएं, जबकि भारतीय पक्ष यह चाहता है कि रूस ज्यादा से ज्यादा उत्पादों व सेवाओं का आयात भारत से करे, ताकि कारोबारी घाटा को पूरा किया जा सके।
भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान S-400 एयर डिफेंस सिस्टम जैसे मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। भारत ने 2018 में पांच S-400 इकाइयों के लिए 5 अरब अमेरिकी डॉलर का सौदा किया था। तीन स्क्वाड्रन वितरित किए जा चुके हैं और अगले साल के मध्य तक दो और स्क्वाड्रन मिलने की उम्मीद है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इन डिफेंस सिस्टम का प्रभावी ढंग से उपयोग किया गया था। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव के अनुसार इस सम्मेलन के दौरान पांचवीं पीढ़ी के Su-57 फाइटर जेट में भारत की रुचि पर भी चर्चा हो सकती है।
इसके अलावा ऊर्जा सुरक्षा पर विशेष रूप से चर्चा होने की संभावना है। रूसी कच्चे तेल के भारतीय आयात पर अमेरिकी प्रतिबंधों का प्रभाव चर्चा का विशेष विषय हो सकता है। भारत की खरीद कुछ समय के लिए कम हो सकती है, हालांकि रूस आपूर्ति बनाए रखने के प्रयास कर रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की बैठक के अलावा, दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों- राजनाथ सिंह और आंद्रे बेलौसोव भी साथ बैठेंगे। इस दौरान महत्वपूर्ण सैन्य हार्डवेयर की आपूर्ती को लेकर बातचीत हो सकती है। गौरतलब है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब अमेरिका ने भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया, जिसके चलते भारत-अमेरिका संबंधों में कुछ उतार-चढ़ाव आए हैं। राष्ट्रपति पुतिन द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को यूक्रेन संघर्ष के संबंध में नवीनतम अमेरिकी कूटनीतिक पहलों से भी अवगत कराने की उम्मीद है।