Aakash Waghmare
4 Dec 2025
भारत के पुराने मित्र देश रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय दौरे पर शाम 7 बजे के भारत पहुंच गए हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका स्वागत कर दुनिया को यह संदेश दे दिया है की वे भी कूटनीति में किसी से कम नहीं है | पुतिन भारत में करीब 30 घंटे तक रहेंगे | इस दौरान रक्षा समेत कई महत्वपूर्ण समझौंतों पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं | दोनों नेताओं की इस मुलाकात पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं। यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से पुतिन पहली बार भारत की सरजमीं पर आ रहे है।
अमेरिका ने हाल ही में जिस तरह से टैरिफ के जरिए भारत के ऊपर दबाव बनाने की कोशिश की है, उसे लेकर यह मुलाकात वाशिंगटन के लिए एक कूटनीतिक इशारा माना जा है। इससे यह संकेत भी मिलते है की भारत अमेरिका के दबाव में एक हद के बाद नहीं झुकेगा और ना ही नई दिल्ली अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता से समझौता करेगी। पुतिन की इस यात्रा का मकसद भारत-रूस सामरिक और आर्थिक साझेदारी को मजबूत करना है, जब भारत के अमेरिका के साथ संबंधों में कुछ गिरावट आई है।
एक तरफ, यूक्रेन के साथ युद्ध की वजह से अमेरिका और यूरोपीय देश रूस से व्यापार रोकने के लिए भारत पर लगातार दबाव बना रहे हैं। ताजा उदाहरण में ट्रंप की टैरिफ नीति है। अमेरिका भारत पर मनमाने टैरिफ लगाकर उस पर रूस से ऊर्जा निर्भरता को कम करने के लिए लगातार दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है | रशिया से भारत आने वाले सस्ते तेल पर भी अमेरिका ने कैंची चलाई है | हालांकि, भारत ने अपना पक्ष साफ रखा कि वह अपने देश और यहां की जनता के हित पहले देखेगी। तमाम दबावों के बीच भारत ने अमेरिका के साथ अपने सैन्य समझौते जारी रखे हुए हैं। इसके अलावा भारत और रूस के बीच रक्षा समझौता काफी मजबूत है, जो पश्चिमी देशों के लिए चिंता का विषय है।
दरअसल यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी पूरी तरह से रूस और पुतिन का विरोध कर रहे हैं। इस वजह से भारत में पुतिन और मोदी की इस मुलाकात से यूरोपीय देशों और खासकर अमेरिका को मिर्ची लगनी तय है। जिस तरह से अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने भारत पर रूस के साथ व्यापारिक संबंध खत्म करने का दबाव बनाया, इसे देखते हुए पुतिन का ये दौरा इस बात का संकेत है कि भारत अपनी नीतियों पर निर्णय खुद लेने में सक्षम है। दूसरे देश भारत को नहीं बता सकते कि उसे क्या करना है।