Aniruddh Singh
12 Dec 2025
Manisha Dhanwani
11 Dec 2025
Aniruddh Singh
11 Dec 2025
Aniruddh Singh
11 Dec 2025
Manisha Dhanwani
5 Dec 2025
वाशिंगटन। अमेरिका ने दक्षिण कोरिया की प्रमुख सेमीकंडक्टर कंपनियों, सैमसंग और एसके हाइनिक्स, के लिए चीन में चिप निर्माण का काम और कठिन बना दिया है। अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने पहले इन कंपनियों को विशेष छूट दी थी, जिसके तहत वे अमेरिकी सेमीकंडक्टर उपकरण चीन में मौजूद अपनी फैक्ट्रियों के लिए इस्तेमाल कर सकती थीं। लेकिन अब यह छूट वापस ले ली गई है। इसका मतलब यह है कि आगे से इन कंपनियों को चीन में अपने कारखानों के लिए अमेरिकी उपकरण खरीदने और इस्तेमाल करने के लिए लाइसेंस लेना पड़ेगा। ये बदलाव 120 दिनों के भीतर लागू हो जाएंगे। अमेरिका ने यह भी साफ किया है कि वह केवल उन लाइसेंस आवेदनों को मंजूरी देगा, जिनका उद्देश्य चीन में पहले से मौजूद संयंत्रों का संचालन बनाए रखना होगा। लेकिन अगर कंपनियां अपनी क्षमता बढ़ाना चाहेंगी या नई तकनीक से अपग्रेड करना चाहेंगी, तो इसके लिए लाइसेंस मिलने की संभावना बहुत कम है।
इसका सीधा असर यह होगा कि सैमसंग और एसके हाइनिक्स जैसे बड़े कोरियाई प्लेयर चीन में अपनी तकनीक को आगे नहीं बढ़ा पाएंगे और धीरे-धीरे उनकी प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति कमजोर हो सकती है। एसके हाइनिक्स ने कहा है कि वह कोरियाई और अमेरिकी सरकार दोनों से लगातार संवाद बनाए रखेगा और अपने कारोबार पर असर कम करने के लिए जरूरी कदम उठाएगा। वहीं सैमसंग ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं की है। दक्षिण कोरिया की सरकार ने भी अमेरिकी वाणिज्य विभाग से अपील की है कि चीन में कोरियाई कंपनियों का स्थिर संचालन वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला की स्थिरता के लिए बेहद अहम है। सियोल ने साफ किया है कि वह वॉशिंगटन से बातचीत जारी रखेगा ताकि असर कम से कम हो। इस फैसले का नकारात्मक असर अमेरिकी उपकरण निर्माताओं पर भी पड़ेगा। केएलए कॉर्प, लैम रिसर्च और एप्लाइड मैटेरियल्स जैसी अमेरिकी कंपनियां जो कोरियाई कंपनियों को उपकरण सप्लाई करती हैं, अब चीन में उनकी मांग घटने से नुकसान झेल सकती हैं।
ये भी पढ़ें: रिलायंस जियो का आईपीओ अगले साल की पहली छमाही में लांच होगा, 52,000 करोड़ हो सकता है आकार
इस घोषणा के बाद इन कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट दर्ज की गई है। लैम के शेयर 4.4% गिरे, एप्लाइड मैटेरियल्स 2.9% नीचे चला गया और केएलए 2.8% गिर गया है। दूसरी ओर, इस कदम से चीन की घरेलू चिप बनाने वाली कंपनियों और अमेरिकी कंपनी माइक्रोन को फायदा हो सकता है। क्योंकि अगर कोरियाई कंपनियां नई तकनीक में पीछे रह जाएंगी, तो उनकी जगह चीनी कंपनियां और प्रतिस्पर्धी खिलाड़ी बाजार हिस्सेदारी हासिल कर सकते हैं। यह पूरा मामला अमेरिका-चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध और तकनीकी टकराव का हिस्सा है। फिलहाल दोनों देशों ने एक तरह का टैरिफ युद्धविराम किया हुआ है, जिसके तहत अमेरिका चीनी आयात पर 30% और चीन अमेरिकी सामान पर 10% शुल्क लगाए गए है। लेकिन यह समझौता केवल नवंबर तक मान्य है। अमेरिका पहले भी चेतावनी दे चुका था कि अगर दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता असफल हुई तो वह ऐसे कदम उठा सकता है।
ये भी पढ़ें: डब्ल्यूटीआई क्रूड सस्ता पड़ने की वजह से भारत ने अमेरिकी कच्चे तेल की खरीद बढ़ाई, व्यापार घाटे में कमी की उम्मीद
अब जबकि छूट रद्द कर दी गई है, यह साफ है कि अमेरिका चीन की तकनीकी प्रगति को सीमित करने की रणनीति पर काम कर रहा है। कुल मिलाकर, यह कदम वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए बड़े झटके जैसा है। सैमसंग और एसके हाइनिक्स जैसी कंपनियां चीन में बड़े स्तर पर चिप उत्पादन करती हैं और अगर उनकी उत्पादन क्षमता सीमित हो गई तो इससे पूरी दुनिया की चिप सप्लाई प्रभावित हो सकती है। इससे इलेक्ट्रॉनिक्स, स्मार्टफोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों के विकास पर भी असर पड़ने की संभावना है। यह मुद्दा केवल व्यापार तक सीमित नहीं बल्कि भू-राजनीतिक शक्ति संतुलन से भी जुड़ा हुआ है। अमेरिका चाहता है कि चीन उन्नत सेमीकंडक्टर तकनीक तक न पहुंच पाए और यही कारण है कि उसने अब कोरियाई कंपनियों पर भी प्रतिबंधों का दायरा कड़ा कर दिया है।