Aniruddh Singh
20 Oct 2025
Aniruddh Singh
20 Oct 2025
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20 Oct 2025
Aniruddh Singh
20 Oct 2025
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20 Oct 2025
मुंबई। रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने 2025 की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में घोषणा की है कि रिलायंस जियो का बहुप्रतीक्षित आईपीओ 2026 की पहली छमाही में लाया जाएगा। यह भारतीय शेयर बाज़ार के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ हो सकता है। जियो का यह कदम न केवल निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि भारतीय पूंजी बाज़ार के लिए भी ऐतिहासिक साबित हो सकता है। रिलायंस जियो का आईपीओ लगभग 52,000 करोड़ रुपए का हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो यह पिछले साल आए हुंडई इंडिया के 28,000 करोड़ रुपये के आईपीओ को बहुत पीछे छोड़ देगा। इससे साफ है कि यह इश्यू भारत के इतिहास का सबसे बड़ा होगा। जियो प्लेटफॉर्म्स में पहले से ही गूगल और मेटा वैश्विक दिग्गज निवेशक शामिल हैं, जिन्होंने 2020 में कंपनी में 20 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है। उस समय जियो प्लेटफॉर्म्स की वैल्यूएशन 58 अरब डॉलर आंकी गई।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने हाल ही में आईपीओ नियमों में ढील देने का प्रस्ताव रखा है। पहले किसी भी कंपनी जिसकी वैल्यूएशन 5 लाख करोड़ से अधिक हो, उसे न्यूनतम 5% शेयर जनता को ऑफर करने होते थे। इस नियम के तहत जियो का आईपीओ 6 अरब डॉलर से अधिक का होना पड़ता, जिसे भारतीय बाजार के लिए संभालना कठिन था। अब सेबी ने प्रस्ताव दिया है कि इतनी बड़ी कंपनियों के लिए न्यूनतम फ्लोट को घटाकर 2.5% कर दिया जाए। इससे जियो का इश्यू आकार घटकर लगभग 3 अरब डॉलर हो जाएगा, जिसे बाजार आसानी से अवशोषित कर सकेगा। निवेशकों के लिए इसका मतलब यह है कि जियो और आगे चलकर रिलायंस रिटेल के लिस्ट होने से रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरधारकों को मूल्य अनलॉक होने का फायदा मिलेगा। आज रिलायंस के 44 लाख से अधिक शेयरधारक हैं और जियो की स्वतंत्र लिस्टिंग से उनकी हिस्सेदारी की वैल्यू और बढ़ सकती है।
हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि जब जियो और रिटेल दोनों अलग-अलग कंपनियों के रूप में लिस्ट हो जाएंगे, तो रिलायंस इंडस्ट्रीज के मूल शेयरों पर होल्डिंग कंपनी डिस्काउंट का असर दिख सकता है, यानी उनकी कीमत में थोड़ी कमी भी संभव है। मुकेश अंबानी ने एजीएम में यह भी कहा कि जियो का भविष्य 5 बड़े वादों पर टिका है हर भारतीय को मोबाइल और होम ब्रॉडबैंड से जोड़ना, हर घर को डिजिटल सेवाओं से लैस करना, हर व्यवसाय को डिजिटलाइज करना, देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की क्रांति लाना और भारत से बाहर भी अपने संचालन का विस्तार करना। इसी के तहत रिलायंस ने रिलायंस इंटेलीजेंस नामक एक नई सहायक कंपनी भी लॉन्च की है, जो एआई तकनीक को बढ़ावा देगी। इसके अलावा, कंपनी ने गूगल के साथ साझेदारी और मेटा के साथ संयुक्त उद्यम की भी घोषणा की है। इन गठजोड़ों से यह स्पष्ट होता है कि जियो केवल टेलीकॉम कंपनी नहीं रहना चाहती, बल्कि भविष्य में एक व्यापक डिजिटल और तकनीकी दिग्गज बनने की दिशा में आगे बढ़ रही है।