Manisha Dhanwani
5 Dec 2025
अखिल सोनी, इंदौर
देश में बढ़ती महंगाई और आय-अनिश्चितता के बीच सोना-चांदी खरीद में नया ट्रेंड उभर आया है। बड़े आभूषणों की मांग लगभग स्थिर है, लेकिन 1 से 2 ग्राम वाले माइक्रो-गोल्ड आइटम तेजी से लोकप्रिय हुए हैं। पिछले चार वर्षों में इनकी हिस्सेदारी 12% से बढ़कर 36% तक पहुंच गई। यह बढ़त शहरों की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में और तेज दिखी है। इसी तरह चांदी में भी 50-100 ग्राम श्रेणी वाली वस्तुओं की बिक्री 28% बढ़ी। बाजार विशेषज्ञ इसे कम बजट में सुरक्षित निवेश की मजबूती से जोड़ रहे हैं।

इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर के अलावा प्रदेश के छोटे बड़े ज्वेलर्स ने ‘1 ग्राम जोन’ बनाना शुरू कर दिया है। कुछ ब्रांडों के अनुसार, माइक्रो-गोल्ड से आने वाला रेवेन्यू अब कुल बिक्री का 18-22% तक पहुंच चुका है। जो पांच साल पहले सिर्फ 8% था।
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत 2027 तक दुनिया का सबसे बड़ा माइक्रो-गोल्ड बाजार बन सकता है, यह बदलाव बताता है कि सोना-चांदी अब सिर्फ लग्जरी नहीं, बल्कि जनता का नया बचत उपकरण बन रहा है।
सराफा ऐसोसिएशन के अध्यक्ष हुकुम सोनी कहते हैं कि शहर की अपेक्षा गांव में निवेश बढ़ा है। ग्रामीण आज से नहीं सालों से सोना-चांदी खरीदते आ रहे हैं। उनकी सोच रहती है कि मुसीबत में काम आता है। अब ट्रेंड बदल रहा है, 50-100 ग्राम की जगह 1 से 5 ग्राम तक ही ले रहे हैं।
सोनकच्छ के किसान मलखान पटेल ने कहा कि मैं छोटा किसान हूं, ढाई एकड़ जमीन है, पहले सोना सस्ता था तो दो-चार तोला खरीद लेता था, ताकि शादी या मुसीबत में काम आए। जब से कीमतें बढ़ी हैं फसल का पैसा आते ही कभी 1 तो कभी 3 ग्राम सोना ही ले लेता हूं।