Mithilesh Yadav
23 Nov 2025
सर्दियां शुरू होते ही ठंड के कारण लोग अक्सर व्यायाम से दूरी बनाने लगते हैं। जिससे शरीर सुस्त हो जाता है और वजन बढ़ने लगता है। लेकिन, अगर कुछ आसान फिटनेस आदतें अपनाई जाएं तो सर्द मौसम में भी शरीर को एक्टिव और एनर्जेटिक रखा जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड में वर्कआउट करते समय शरीर को गर्म होने का समय दें और बहुत ज्यादा स्ट्रेन वाले एक्सरसाइज से बचें।
सर्दियों में बाहर निकलना मुश्किल हो तो घर के अंदर की जाने वाली कुछ आसान एक्सरसाइज से भी फिट रहा जा सकता है। सूर्य नमस्कार पूरे शरीर को स्ट्रेच कर मजबूती देता है। जबकि सीढ़ियां चढ़ना पैर की मांसपेशियों को मजबूत करता है और दिल की धड़कन बढ़ाता है। लेग लिफ्ट्स पेट और जांघों को टोन करने में मदद करती हैं और रस्सी कूदना कम जगह में बेहतरीन कार्डियो एक्सरसाइज है। जॉगिंग ऑन द स्पॉट घर पर दौड़ने का अच्छा विकल्प है। वहीं योग, प्राणायाम, कपालभाति और सेतुबंधासन जैसी गतिविधियां शरीर को मजबूत बनाती हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं।
अगर मौसम अनुकूल हो तो बाहर की गतिविधियां मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए बेहद फायदेमंद होती हैं। ठंडी हवा में पैदल चलना या तेज चाल से टहलना शरीर को सक्रिय रखता है और मूड भी बेहतर करता है। जॉगिंग या लंबी पैदल यात्रा यानी हाइकिंग दिल और फेफड़ों को मजबूत बनाने में मदद करती है। वहीं बर्फ वाले इलाकों में रहने वाले लोग स्कीइंग, आइस स्केटिंग या स्नोशूइंग जैसी एक्टिविटी का हिस्सा बनकर न सिर्फ कैलोरी बर्न कर सकते हैं। बल्कि इन मजेदार स्पोर्ट्स के जरिए फिटनेस और मनोरंजन दोनों का आनंद उठा सकते हैं।
सर्दियों में व्यायाम करते समय कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। बहुत गर्म या बहुत ज्यादा कपड़े पहनने से बचें, क्योंकि शरीर गर्म होने पर पसीना आता है और गीले कपड़े ठंड पकड़ने का कारण बन सकते हैं। एक्सरसाइज शुरू करने से पहले कम से कम 10 मिनट का वार्म-अप जरूर करें ताकि शरीर तैयार हो सके और चोट का खतरा कम हो जाए।
इसके अलावा ठंड में प्यास कम लगती है लेकिन हाइड्रेटेड रहना उतना ही जरूरी है इसलिए पर्याप्त पानी पिएं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने शरीर के संकेतों को समझें और आवश्यकता से अधिक तनाव या जोर न डालें। नियमित और संतुलित वर्कआउट न केवल शरीर को फिट और ऊर्जावान रखता है। बल्कि इससे मूड बेहतर होता है रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और नींद की गुणवत्ता भी सुधरती है।