Manisha Dhanwani
21 Dec 2025
भारत में डायबिटीज एक गंभीर और तेजी से बढ़ती बीमारी बन चुकी है। आंकड़ों के मुताबिक देश में 10 करोड़ से ज्यादा लोग शुगर से जूझ रहे हैं। इनमें करीब 10 लाख मरीज टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित हैं, जिन्हें रोजाना इंसुलिन की जरूरत होती है। टाइप-2 डायबिटीज के कई मरीजों को भी इलाज के दौरान इंसुलिन लेनी पड़ती है। अब तक इंसुलिन लेने का मतलब था रोज का इंजेक्शन, दर्द और डर। लेकिन अब इसमें बड़ा अपडेट सामने आया है।
अब तक इंसुलिन शरीर में इंजेक्शन के जरिए दी जाती थी, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है। हालांकि, सुई का डर, दर्द और बार-बार इंजेक्शन लेने की परेशानी कई मरीजों के लिए बड़ी चुनौती रही है। इसी समस्या को देखते हुए दवा कंपनी Cipla ने डायबिटीज के इलाज में एक नया रास्ता खोलने का ऐलान किया है।
Cipla ने घोषणा की है कि वह भारत में ‘अफ्रेजा’ (Afrezza) नाम की रैपिड-एक्टिंग इन्हेल्ड इंसुलिन लॉन्च करने जा रही है। यह इंसुलिन पाउडर के रूप में होगी, जिसे मरीज सांस के जरिए शरीर में ले सकेंगे। यानी अब इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह उन मरीजों के लिए बड़ी राहत है, जो सुई से डरते हैं या लंबे समय तक इंसुलिन लेने से कतराते हैं।
कंपनी के अनुसार, इस नई इंसुलिन को भारत की दवा नियामक संस्था Central Drugs Standard Control Organisation (CDSCO) से मंजूरी मिल चुकी है। यह मंजूरी पिछले साल के अंत में दी गई थी। इसके बाद अब Cipla इसे भारतीय बाजार में व्यावसायिक रूप से पेश करने की तैयारी में है।

Cipla ने बताया है कि यह इन्हेल्ड इंसुलिन टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज वाले वयस्क मरीजों के लिए इंजेक्टेबल प्रैंडियल इंसुलिन का एक विकल्प है। मेडिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि इंजेक्शन का डर, इलाज की जटिल प्रक्रिया और मानसिक झिझक के कारण कई मरीज इंसुलिन थेरेपी शुरू करने में देरी करते हैं या बीच में छोड़ देते हैं। ऐसे में सांस से ली जाने वाली इंसुलिन इलाज को आसान बना सकती है।
अफ्रेजा का निर्माण अमेरिका की MannKind Corporation द्वारा किया जाता है। Cipla इसे भारत में एक्सक्लूसिव रूप से डिस्ट्रीब्यूट और मार्केट करेगी। कंपनी अपने मजबूत वितरण नेटवर्क के जरिए इसे ज्यादा से ज्यादा मरीजों तक पहुंचाने की योजना बना रही है।
Cipla के ग्लोबल चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर का कहना है कि अफ्रेजा के लॉन्च से कंपनी के डायबिटीज पोर्टफोलियो में एक नया और प्रभावी विकल्प जुड़ गया है। उनका कहना है कि भारत जैसे देश में, जहां डायबिटीज के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, वहां ऐसे इनोवेटिव इलाज की बेहद जरूरत है।