Hemant Nagle
20 Dec 2025
Hemant Nagle
20 Dec 2025
Hemant Nagle
20 Dec 2025
Naresh Bhagoria
20 Dec 2025
इंदौर। आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा की पदोन्नति के लिए रचे गए फर्जी अदालती फैसले का मामला अब बेहद गंभीर और निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। इस हाई-प्रोफाइल फर्जीवाड़े की परतें खोलने में जुटी एसआईटी (विशेष जांच दल) ने निलंबित स्पेशल जज विजेंद्र रावत की कोर्ट से 300 से ज्यादा केस फाइलें जब्त कर ली हैं। हर फाइल को बारीकी से खंगाला जा रहा है, ताकि यह पता चल सके कि फर्जी फैसले की मूल प्रति आखिर कहां छिपाई गई।
एसआईटी के सामने फिलहाल फर्जी फैसले की केवल सत्यापित छाया प्रति मौजूद है, जबकि असली मूल प्रति अब तक सामने नहीं आई है। इसी वजह से जांच एजेंसी ने कोर्ट रिकॉर्ड को सीज कर एक-एक दस्तावेज की फॉरेंसिक स्तर पर जांच शुरू कर दी है। खास तौर पर जज विजेंद्र रावत के हस्ताक्षरों की सूक्ष्म तुलना की जा रही है, ताकि यह साबित किया जा सके कि फर्जी फैसले पर जानबूझकर अलग हस्ताक्षर किए गए।
जांच में बड़ा खुलासा तब हुआ, जब एसआईटी ने जज रावत की कोर्ट से जब्त किए गए कंप्यूटर सिस्टम से फर्जी फैसले की एक डिजिटल कॉपी रिकवर कर ली। इससे यह लगभग साफ हो गया कि फैसला कोर्ट परिसर के अंदर ही तैयार किया गया था।
गुरुवार रात एसआईटी ने कोर्ट में पदस्थ रहे टाइपिस्ट नीतू सिंह चौहान के शिक्षक नगर स्थित घर पर छापा मारा। छापे के दौरान पुलिस ने उसका कंप्यूटर और एक पेन ड्राइव जब्त की। जांच में चौंकाने वाली बात सामने आई—पेन ड्राइव में भी वही फर्जी फैसला सेव था, जिसे संतोष वर्मा के पक्ष में इस्तेमाल किया गया।
तकनीकी जांच और मोबाइल टावर लोकेशन के आधार पर एसआईटी ने यह भी पुष्टि की है कि फर्जी फैसला सुबह 4 बजे से 7 बजे के बीच टाइप किया गया। यह समयावधि इस बात की ओर इशारा कर रही है कि साजिश बेहद सुनियोजित थी और इसे चुपचाप अंजाम दिया गया।
जांच अधिकारियों का दावा है कि जज विजेंद्र रावत ने इस फैसले पर अपने सामान्य हस्ताक्षरों से अलग साइन किए, फिर इसे आवक-जावक शाखा में भिजवाया गया, ताकि आईएएस संतोष वर्मा को इसकी सत्यापित प्रति आसानी से मिल सके और पदोन्नति का रास्ता साफ हो जाए।
एमजी रोड थाने में दर्ज इस सनसनीखेज मामले में निलंबित स्पेशल जज विजेंद्र रावत और आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा को पहले ही जमानत मिल चुकी है। वहीं, टाइपिस्ट नीतू सिंह चौहान पुलिस रिमांड पर थी। शुक्रवार को रिमांड के दौरान ही उसकी ओर से जमानत अर्जी दाखिल की गई, जिस पर दिनभर चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने उसे भी जमानत दे दी।
एसआईटी अब 300 से अधिक फाइलों, डिजिटल साक्ष्यों, पेन ड्राइव, कंप्यूटर डेटा और हस्ताक्षर मिलान रिपोर्ट के आधार पर अगली कार्रवाई की तैयारी कर रही है। संकेत साफ हैं कि आने वाले दिनों में इस फर्जी फैसले के पीछे के पूरे नेटवर्क और बड़े नामों पर शिकंजा कस सकता है। यह मामला न सिर्फ न्याय प्रणाली की साख पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कागज, कलम और सिस्टम का दुरुपयोग कर कैसे बड़े पदों तक पहुंचने की कोशिश की गई। अब सबकी नजर एसआईटी की अगली चाल पर टिकी है।