Aniruddh Singh
7 Oct 2025
मुंबई। अगले तीन माह यानी 28 अगस्त से 27 नवंबर के बीच में लगभग 1.75 लाख करोड़ रुपए के शेयर बाजार में अनलॉक होने वाले हैं। इसका कारण यह है कि 57 कंपनियों में प्रमोटरों, एंकर निवेशकों और अन्य शुरुआती शेयरधारकों पर लगे प्री-लिस्टिंग लॉक-इन पीरियड की समय सीमा पूरी होने जा रही है। बता दें कि किसी भी आईपीओ लान्च के बाद एक निश्चित अवधि तक शुरुआती निवेशक और प्रमोटर अपने शेयर नहीं बेच सकते। इस अवधि को लॉक-इन कहा जाता है। अब जब यह अवधि खत्म हो रही है तो बड़ी मात्रा में शेयर बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि सभी निवेशक अपने हिस्सेदारी बेच देंगे। ज्यादातर शेयर प्रमोटरों और लंबे समय के निवेशकों के पास हैं, जो आमतौर पर लंबे समय तक अपनी हिस्सेदारी बनाए रखते हैं। फिर भी, अतिरिक्त आपूर्ति आने से शेयरों पर बिकवाली का दबाव बढ़ सकता है, जिससे उनके दामों में अस्थायी गिरावट देखने को मिल सकती है।
28 अगस्त को सात कंपनियों का लॉक-इन पीरियड समाप्त हो रहा है। इनमें श्लॉस बेंगलुरु (होटल श्रृंखला द लीला की मालिक), ब्रिगेड होटल्स और एजिस वोपाक टर्मिनल्स जैसी कंपनियां शामिल हैं। इनके शेयर अब बाजार में स्वतंत्र रूप से खरीदे-बेचे जा सकेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले 30 दिनों में सबसे बड़ी आपूर्ति प्रीमियर एनर्जीज से होगी, जिसकी 12 महीने की लॉक-इन अवधि 1 सितंबर को पूरी हो रही है। इसके बाद 125 करोड़ अतिरिक्त शेयर बाजार में उपलब्ध होंगे, जिनकी कीमत लगभग 19,325 करोड़ रुपए होगी। यह सबसे बड़ी मात्रा है। इसके अलावा एनपी गाडगिल ज्वैलर्स, सिरमा एसजीएस टेक और गोपाल स्नैक्स जैसी कंपनियों के शेयर भी अनलॉक होने वाले हैं।
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शेयर मूल्य के लिहाज से देखा जाए तो प्रीमियर एनर्जीज के शेयर अपने इश्यू प्राइस से 131% ऊपर हैं, सिरमा एसजीएस टेक 227% ऊपर है, जबकि गोपाल स्नैक्स के शेयर 8% नीचे आ चुके हैं। इसका मतलब यह है कि जिन शेयरों में जबरदस्त तेजी रही है, वहां निवेशक मुनाफावसूली के लिए बेच सकते हैं, जबकि कमजोर शेयरों में दबाव पहले से ही मौजूद है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि इस अवधि के दौरान बिकवाली का दबाव जरूर देखने को मिलेगा, क्योंकि शुरुआती निवेशक अपने मुनाफे को सुरक्षित करना चाहेंगे। यह दबाव लंबे समय तक नहीं रहेगा। मोतीलाल ओसवाल के रिसर्च हेड रुचित जैन ने कहा कि अच्छे फंडामेंटल वाले शेयरों पर स्थाई असर नहीं होगा। वहां केवल अल्पकालिक मुनाफावसूली देखने को मिल सकती है।
इससे पहले भी भारी सब्सक्रिप्शन वाले आईपीओ जैसे विभोर स्टील ट्यूब्स और बोराना वीव्स के शेयरों का लॉक-इन खुला था। विभोर स्टील पिछले दो सत्रों में लगभग 2% गिरा और बोराना वीव्स 1.2% टूटा है। यह उदाहरण दिखाता है कि बिकवाली का दबाव अस्थाई तौर पर जरूर आता है, लेकिन अच्छे व्यवसाय वाली कंपनियां समय के साथ फिर से स्थिर हो जाती हैं। कुल मिलाकर, आने वाले तीन महीनों में इतनी बड़ी मात्रा में शेयरों के अनलॉक होने से बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है। अल्पकालिक निवेशकों को उतार-चढ़ाव से सावधान रहना होगा, जबकि दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह मजबूत कंपनियों में अच्छे स्तर पर प्रवेश का अवसर भी साबित हो सकता है।
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