People's Reporter
11 Nov 2025
Aniruddh Singh
9 Nov 2025
Aniruddh Singh
9 Nov 2025
Aniruddh Singh
9 Nov 2025
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक आज से शुरू हो गई है। एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक इस पर देशभर के निवेशकों, उद्योग जगत और आम जनता की नजरें लगी हुई हैं। इस बैठक में चर्चा का मुक्य विषय इस बार यह रहेगा कि मौजूदा स्थिति में केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को यथावत रखेगा या फिर कटौती का ऐलान करेगा। अधिकांश अर्थशास्त्री और बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि फिलहाल आरबीआई रेपो रेट स्थिर रख सकता है। इसका कारण यह है कि खुदरा महंगाई दर में अभी स्थाई रूप से गिरावट नहीं आई है और अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव बना हुआ है, जिससे मुद्रास्फीति पर अगले दिनों में दबाव दिख सकता है।
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जब ब्याज दरें ऊंची रहती हैं, तो बैंकों से लोन महंगे हो जाते हैं और लोगों की खरीदारी क्षमता थोड़ी कम हो जाती है। इससे बाजार में मांग घटती है और महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलती है। दूसरी ओर, ऊंची ब्याज दरें उद्योग और व्यापार के लिए परेशानी का कारण भी बनती हैं क्योंकि उनके लिए कर्ज महंगा हो जाता है। यही वजह है कि अब उद्योग जगत और गृह ऋण लेने वालों को उम्मीद है कि आरबीआई जल्द ही दरों में कटौती करेगा। ब्रोकरेज फर्म नुवामा ने अपने आकलन में कहा है कि आरबीआई इस बैठक में शायद कोई बदलाव न करे और रेपो रेट को यथावत रखे। हालांकि, नुवामा को उम्मीद है कि इस साल के अंत तक ब्याज दरों में कटौती देखने को मिल सकती है।
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कारण यह है कि आने वाले महीनों में आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन देने की जरूरत बढ़ेगी। यदि महंगाई का स्तर नियंत्रण में रहता है और वैश्विक बाजार स्थिर रहते हैं, तो साल के अंत तक आरबीआई उद्योग और उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए दरों में कटौती कर सकता है। इस बैठक के नतीजे का असर शेयर बाजार, बॉन्ड बाजार और रुपए की विनिमय दर पर सीधा पड़ेगा। अगर आरबीआई दरों को स्थिर रखता है, तो बाजार में ज्यादा हलचल नहीं होगी, लेकिन यदि अप्रत्याशित रूप से दरों में कटौती की जाती है, तो निवेशकों की भावना सकारात्मक हो सकती है और शेयर बाजार में तेजी देखने को मिलेगी। वहीं, रुपए की मजबूती या कमजोरी भी ब्याज दरों के फैसले से प्रभावित होगी।
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आज सोमवार से शुरू हुई यह बैठक तीन दिन चलेगी और अंतिम दिन यानी एक अक्टूबर को आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा एमपीसी की बैठक में लिए गए फैसले की जानकारी देंगे। फिलहाल केंद्रीय बैंक महंगाई और आर्थिक वृद्धि के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है। फिलहाल नीतिगत ब्याज दर घटाने की फिलहाल उम्मीद नहीं है। महंगाई हालांकि नियंत्रण में है, लेकिन घरेलू दबावो और वैश्विक अनिश्चितताओं की वजह से आगे महंगाई दबाव बना सकती है। इस वजह से केंद्रीय बैंकब्याज दरों में फिलहाल यथास्थिति बनाए रख सकता है।