Aniruddh Singh
20 Oct 2025
Aniruddh Singh
20 Oct 2025
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20 Oct 2025
Aniruddh Singh
20 Oct 2025
Aniruddh Singh
19 Oct 2025
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19 Oct 2025
भोपाल। जैक्सन इंजीनियर्स ने मध्यप्रदेश में विशाल सौर ऊर्जा निर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए 8,000 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश की घोषणा की है। यह राज्य में अब तक का सबसे बड़ा सौर निर्माण निवेश है। ऊर्जा और अवसंरचना समाधान क्षेत्र में काम करने वाले जैक्सन समूह की कंपनी जैक्सन इंजीनियर्स अगले 15 दिनों में मक्सी फेज-2 क्षेत्र में 6 गीगावाट क्षमता वाले एकीकृत सौर मॉड्यूल, सेल और वेफर प्लांट की स्थापना पर काम शुरू कर देगी। इस परियोजना को दो चरणों में विकसित किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के लिए प्रदेश सरकार ने 110 एकड़ भूमि आवंटित की है। पहले चरण में 2,000 करोड़ रुपए का निवेश से 3 गीगावाट क्षमता वाले सौर मॉड्यूल और 3 गीगावाट सौर सेल का उत्पादन शुरू किया जाएगा। जबकि, दूसरे चरण में 6 गीगावाट क्षमता का सौर वेफर प्लांट स्थापित किया जाएगा।
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इसके साथ ही दूसरे चरण में अतिरिक्त 3 गीगावाट मॉड्यूल और 3 गीगावाट सेल का भी उत्पादन शुरू किया जाएगा। इस चरण पर 6,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया जाएगा। कंपनी के अनुसार इस संयंत्र से पहली खेप में सौर मॉड्यूल मई 2026 तक तैयार होकर बाजार में आ जाएंगे और उसके तुरंत बाद सौर सेल का उत्पादन भी शुरू कर दिया जाएगा। इसका मतलब है आने वाले दो सालों में मध्यप्रदेश सौर ऊर्जा निर्माण का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन जाएगा। इस परियोजना का महत्व केवल निवेश और रोजगार सृजन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की दिशा में भी एक बड़ी पहल है। भारत तेजी से अक्षय ऊर्जा की ओर बढ़ रहा है और सौर ऊर्जा इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
Solar panel
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ऐसे में जैक्सन इंजीनियर्स का यह निवेश देश के स्वदेशी सौर विनिर्माण ढांचे को मजबूत करेगा और आयात पर निर्भरता कम करेगा। मध्यप्रदेश में इस मेगा प्रोजेक्ट के आने से राज्य में हजारों लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। साथ ही, यह परियोजना स्थानीय उद्योगों और सेवाओं को भी गति देगी। इस तरह, यह निवेश न केवल ऊर्जा क्षेत्र में बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान देगा। जैक्सन समूह की यह पहल देश के बढ़ते सौर ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह परियोजना देश की हरित ऊर्जा रणनीति को नई दिशा देगी और 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के भारत के लक्ष्य को मजबूत बनाएगी।