Aniruddh Singh
20 Oct 2025
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20 Oct 2025
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20 Oct 2025
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20 Oct 2025
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20 Oct 2025
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता को चुनौती देते हुए फेडरल रिजर्व की गवर्नर लीसा कुक को हटाने का ऐलान किया है। उन आरोप है कि उनकी व्यक्तिगत मॉर्टगेज घोषणाओं में गड़बड़ियां हैं। फेडरल रिजर्व बोर्ड में शामिल होने वाली पहली अश्वेत महिला लीसा कुक ने अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा वह अपना कार्यकाल पूरा करेंगी, क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उन्हें गलत तरीके से हटाने का प्रयास कर रहे हैं। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या राष्ट्रपति के पास वास्तव में फेडरल रिजर्व के किसी गवर्नर को हटाने का कानूनी अधिकार है या नहीं। अगर ऐसा नहीं है, तो यह मामला लंबी कानूनी लड़ाई में बदल जाएगा। दिलचस्प बात यह है बाजारों ने ट्रंप के इस बयान पर अधिक प्रतिक्रिया नहीं की। स्टॉक मार्केट ऊपर गया जबकि बॉन्ड मार्केट में भी कोई बड़ा बदलाव नहीं देखने को मिला। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि निवेशकों की यह बेफिक्री गहरे खतरे को नजरअंदाज कर रही है। कई विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता पर इस तरह का राजनीतिक दबाव लंबे समय में अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
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आर्थिक विशेषज्ञ एरिक विनोग्राद ने इस स्थिति की तुलना उस मशहूर दृष्टांत से की जिसमें एक मेढक को धीरे-धीरे गर्म पानी में डालने पर वह समय रहते खतरे को नहीं समझ पाता और अंततः उबलकर मर जाता है। उन्होंने कहा वर्तमान में बाजार इस खतरे को उतना गंभीर नहीं ले रहे, लेकिन अगर यह प्रक्रिया लगातार जारी रही तो एक समय ऐसा आएगा जब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाएगी। फेडरल रिजर्व अमेरिका का केंद्रीय बैंक है, जिसकी सबसे अहम जिम्मेदारी है अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखना, ब्याज दरों को नियंत्रित करना और महंगाई पर लगाम लगाना। इस संस्था की ताकत और विश्वसनीयता उसकी राजनीतिक स्वतंत्रता पर टिकी होती है। अगर राष्ट्रपति या सरकार सीधे तौर पर इसके निर्णयों में हस्तक्षेप करने लगेगी तो उसकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग सकता है और निवेशकों का उस पर से भरोसा डगमगा सकता है।
हालांकि वॉल स्ट्रीट के बड़े बैंकों जैसे जेपी मॉर्गन चेज, बैंक ऑफ अमेरिका और गोल्डमैन सैक्स ने इस मामले पर सार्वजनिक टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। इसका अर्थ यह है कि वित्तीय जगत इस विषय पर फिलहाल सतर्क है और शायद खुलकर प्रतिक्रिया देने से बच रहा है। लेकिन अंदरूनी तौर पर चिंता गहराती जा रही है कि अगर राष्ट्रपति बार-बार फेडरल रिजर्व की कार्यप्रणाली में दखल देने की कोशिश करते रहे तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था के प्रबंधन की विश्वसनीयता पर गंभीर असर पड़ सकता है। कुल मिलाकर, यह घटनाक्रम दिखाता है कि ट्रंप प्रशासन अमेरिका फर्स्ट की अपनी नीतियों के साथ-साथ अब स्वतंत्र संस्थाओं पर भी अधिक नियंत्रण हासिल करने की कोशिश कर रहा है। अगर यह प्रवृत्ति बढ़ती रही तो आने वाले सालों में अमेरिका की आर्थिक नीतियों की दिशा और स्थिरता दोनों ही पर बड़ा प्रश्नचिह्न लग सकता है। अभी बाजार इस खतरे को नजरअंदाज कर रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर यही क्रम जारी रहा, तो इसका असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दिखाई देगा।
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फेड गवर्नर लीसा कुक ने कहा वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के खिलाफ मुकदमा करेंगी ताकि उन्हें बर्खास्त करने से रोका जा सके। वाशिंगटन में लंबे समय से वकील रहीं एब्बे लोवेल ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के पास फेडरल रिजर्व गवर्नर लीसा कुक को हटाने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि केवल एक रेफरल पत्र के आधार पर उन्हें बर्खास्त करने का राष्ट्रपति ट्रंप के प्रयास का कोई कानूनी आधार नहीं है। उन्होंने कहा हम इस अवैध कार्रवाई को चुनौती देने के लिए शीर्ष कोर्ट में मुकदमा दायर करेंगे। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने इस फैसले के पीछे फेडरल हाउसिंग फाइनेंस एजेंसी के डायरेक्टर विलियम पल्प के क्रिमिनल रेफरल को आधार बनाया है। बता दें कि फेडरल रिजर्व एक्ट 1913 के तहत किसी गवर्नर को केवल फॉर कॉज यानी गंभीर कदाचार की स्थिति में ही हटाया जा सकता है। ऐसे में यह मामला अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच सकता है और फेड जैसी स्वतंत्र संस्था पर राष्ट्रपति के कानूनी अधिकार की सीमाओं को और स्पष्ट रूप से परिभाषित करेगा। हालांकि, अब तक वाइट हाउस और जस्टिस डिपार्टमेंट ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।