Aniruddh Singh
29 Sep 2025
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28 Sep 2025
मुंबई। भारत के प्राथमिक बाजार यानी आईपीओ ने पिछले एक साल में ऐसा जबर्दस्त प्रदर्शन किया है, जिसने गिरते सेकेंडरी मार्केट को भी पीछे छोड़ दिया है। अक्टूबर 2024 से सितंबर 2025 के बीच कुल 86 आईपीओ के जरिए कंपनियों ने 1,70,897 करोड़ जुटाए, जो पिछले साल की तुलना में लगभग दोगुना है। यह उछाल उस समय देखने को मिली, जब बीएसई सेंसेक्स 3.5% और निफ्टी 4.4% टूट गए। इस तरह निवेशकों ने सेकेंडरी मार्केट से पैसा निकालकर प्राइमरी मार्केट यानी आईपीओ की ओर रुख किया है। पिछले साल इसी अवधि में 88 आईपीओ आए थे, लेकिन उनसे केवल 90,436 करोड़ रुपए जुटाए गए थे। इस साल की मजबूती का आधार कई बड़े इश्यू, सेक्टरों में विविधता और घरेलू निवेशकों की गहरी भागीदारी रही। खासकर म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियों और खुदरा निवेशकों के प्रवाह ने विदेशी पूंजी पर निर्भरता घटा दी।
कोटक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के प्रबंध निदेशक वी. जयरामन ने कहा अक्टूबर से दिसंबर 2024 का तिमाही शायद अब तक का सबसे बेहतरीन दौर था, जब 30 आईपीओ ने ₹95,513 करोड़ जुटा लिए। हालांकि 2025 की पहली छमाही धीमी रही, लेकिन जुलाई-सितंबर में 37 आईपीओ ने फिर ₹45,551 करोड़ जुटाकर बाज़ार में जान फूंक दी। 2025 के पहले नौ महीनों में ही 56 आईपीओ से ₹75,384 करोड़ जुटे, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 60 आईपीओ से ₹64,011 करोड़ ही आए थे। इस बार सबसे बड़ा इश्यू एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज का ₹12,500 करोड़ का रहा, इसके बाद हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज़ का ₹8,750 करोड़ और एनएसडीएल का ₹4,010 करोड़ का इश्यू आया।
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विश्लेषकों का मानना है कि सेकेंडरी मार्केट में कमाई मुश्किल हो गई है, इसलिए निवेशकों का रुझान तेजी से आईपीओ की ओर बढ़ रहा है। असित सी मेहता के रिसर्च हेड सिद्धार्थ भामरे ने कहा कि आईपीओ बाजार बुल रन और लिक्विडिटी का प्रतिबिंब होता है, और यह जोश आगे भी जारी रहेगा। 2024 में हुंडई मोटर इंडिया का ₹27,859 करोड़ का इश्यू सबसे बड़ा था, इसके बाद स्विगी का ₹11,327 करोड़ और एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी का ₹10,000 करोड़ का इश्यू रहा। उस साल केवल शीर्ष 5 आईपीओ ने कुल जुटान का 70% हिस्सा दिया था। इसके विपरीत 2025 में पूंजी जुटान का आधार कहीं अधिक विविधतापूर्ण रहा है।
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आगे की संभावनाओं की बात करें तो पाइपलाइन बेहद मजबूत है। प्राइम डाटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया के अनुसार सेबी के पास 150 से अधिक आईपीओ लंबित हैं, जिनका संयुक्त आकार लगभग 3 लाख करोड़ रुपए है। इनमें डिजिटल टेक्नोलॉजी, एनबीएफसी, उपभोक्ता और रिटेल, ऑटो, नवीकरणीय ऊर्जा और टीएमटी (टेक्नोलॉजी, मीडिया व टेलीकॉम) जैसे सेक्टर शामिल हैं। आने वाले महीनों में टाटा कैपिटल (17,000 करोड़), एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स (10,000 करोड़), वीवर्क, हीरो फिनकॉर्प, हीरो मोटर्स और बोट जैसे बड़े नाम बाज़ार में उतरने की तैयारी में हैं। इससे साफ है कि आईपीओ का यह उत्सव अभी थमने वाला नहीं है और निवेशकों के लिए नए अवसर लगातार खुलते रहेंगे।