Aniruddh Singh
29 Sep 2025
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29 Sep 2025
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28 Sep 2025
नई दिल्ली। अमेरिकी टेक दिग्गज एप्पल भारत में अपने कारोबार का तेजी से विस्तार कर रही है। हाल के सालों में कंपनी ने भारत को न केवल एक बड़ा बाजार माना है, बल्कि इसे अपने विनिर्माण और सप्लाई चेन नेटवर्क का महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विकसित किया है। एप्पल की सप्लाई चेन से जुड़ी कंपनियों की संख्या अब बढ़कर 45 हो गई है। यह बदलाव दिखाता है कि भारत धीरे-धीरे एप्पल के वैश्विक उत्पादन ढांचे में एक अहम कड़ी बनता जा रहा है। एप्पल के लिए भारत का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि कंपनी चीन पर निर्भरता कम करना चाहती है। पिछले कुछ सालों में चीन में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, व्यापारिक नीतियों में अस्थिरता और उत्पादन लागत में बढ़ोतरी ने एप्पल को वैकल्पिक उत्पादन केंद्रों की तलाश करने के लिए मजबूर किया है।
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भारत, अपनी विशाल जनसंख्या, बढ़ते उपभोक्ता बाजार, सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम और अपेक्षाकृत सस्ती श्रम लागत के कारण एप्पल के लिए एक आदर्श विकल्प साबित हो रहा है। एप्पल की सप्लाई चेन से जुड़ी 45 कंपनियों का भारत से जुड़ना केवल एप्पल के लिए ही नहीं, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण है। इनमें आईफोन असेंबली, पुर्जों का निर्माण, कैमरा मॉड्यूल, डिस्प्ले, बैटरी और पैकेजिंग से जुड़ी कई बड़ी और मध्यम स्तर की कंपनियां शामिल हैं। उदाहरण के तौर पर, फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन जैसी कंपनियां पहले से ही भारत में आईफोन का निर्माण कर रही हैं। अब इनके अलावा कैमरा और चिप बनाने वाली कई कंपनियां भी भारत में अपने यूनिट्स स्थापित कर रही हैं।
इसका सीधा फायदा यह होगा कि भारत में स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, विदेशी निवेश में वृद्धि होगी और देश का इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट सेक्टर मजबूत होगा। सरकार की ओर से भी इस बदलाव को प्रोत्साहित किया जा रहा है। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों का उद्देश्य भारत को वैश्विक विनिर्माण हब बनाना है। पीएलआई स्कीम के तहत सरकार कंपनियों को उत्पादन बढ़ाने पर वित्तीय प्रोत्साहन देती है। इसी कारण कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां अब भारत में अपने कारखाने लगाने और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए आगे आ रही हैं। एप्पल का यह कदम लंबे समय में भारत के मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को बदल सकता है।
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अभी तक भारत मुख्य रूप से मोबाइल फोन के असेंबली केंद्र के रूप में देखा जाता था, लेकिन जैसे-जैसे ज्यादा कंपनियां यहां अपने पुर्जे और महत्वपूर्ण घटकों का उत्पादन शुरू करेंगी, भारत का दर्जा एक ‘हाई-वैल्यू मैन्युफैक्चरिंग हब’ के रूप में बढ़ सकता है। इससे न केवल घरेलू बाजार की मांग पूरी होगी, बल्कि भारत वैश्विक बाजार में भी एक मजबूत निर्यातक के रूप में उभरेगा। इसके अलावा, एप्पल के इस कदम से अन्य वैश्विक टेक कंपनियों को भी भारत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। जब बड़ी कंपनियां सप्लाई चेन के साथ भारत में मजबूत आधार बनाती हैं, तो इसका असर पूरे इकोसिस्टम पर पड़ता है। छोटे और मध्यम स्तर के उद्यमियों को भी नए अवसर मिलते हैं और देश का स्टार्टअप सेक्टर मजबूत होता है।