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नई दिल्ली। भारत जल्द ही रूस से तेल के आयात में कटौती कर सकता है। यह मुद्दा उस समय की चर्चा का केंद्र बन गया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दावा किया कि पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत अब रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर देगा। हालांकि भारत सरकार ने इस दावे की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन सरकारी और निजी तेल कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने संकेत दिया है कि वे आने वाले महीनों में रूसी तेल की खरीद में धीरे-धीरे कटौती करने की तैयारी कर रहे हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, तीन अलग-अलग स्रोतों ने बताया कि भारत के प्रमुख रिफाइनर (तेल शोधन संयंत्र) अब इस मुद्दे पर सरकार से औपचारिक निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं। ट्रंप के बयान से उद्योग जगत में हलचल मच गई है, क्योंकि अब तक भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदकर अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को संतुलित किया था।
अमेरिका ने हाल ही में भारत पर दोगुने टैरिफ (आयात शुल्क) लगाए हैं और यह दबाव बनाया है कि नई दिल्ली रूस से तेल आयात घटाए। अमेरिकी वार्ताकारों का कहना है कि अगर भारत रूसी तेल की खरीद कम करता है, तो इन टैरिफ को कम करने और द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की संभावना बढ़ जाएगी। ट्रंप ने बुधवार को व्हाइट हाउस में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, मुझे अच्छा नहीं लगा कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है। लेकिन आज प्रधानमंत्री मोदी ने मुझे भरोसा दिलाया है भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। इस बयान के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा भारत की प्राथमिकता स्थिर ऊर्जा कीमतें बनाए रखना और ऊर्जा आपूर्ति को सुरक्षित रखना है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत की आयात नीति हमेशा भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा पर केंद्रित रही है। हालांकि, ट्रंप के दावे पर मंत्रालय ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया।
वर्तमान में चीन और भारत रूस के समुद्री मार्ग से तेल के दो सबसे बड़े खरीदार हैं। यूरोप और अमेरिका द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद रूस को भारी डिस्काउंट पर तेल बेचना पड़ा, जिसका लाभ भारत ने उठाया। भारत ने अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच औसतन 17.5 लाख बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) रूसी तेल आयात किया, जो पिछले वर्ष के 40% हिस्से से घटकर अब 36% रह गया है। वहीं, अमेरिका से तेल आयात 6.8% बढ़कर 2.13 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया, जबकि मध्य पूर्वी देशों से आयात का हिस्सा 42% से बढ़कर 45% हो गया है। भारतीय तेल कंपनियों का कहना है कि तुरंत रूस से तेल खरीद बंद करना आसान नहीं होगा क्योंकि अचानक दूसरे स्रोतों से तेल खरीदने पर वैश्विक कीमतें बढ़ सकती हैं और भारत में मुद्रास्फीति (महंगाई) का दबाव बढ़ जाएगा। इस बीच, भारत और अमेरिका के बीच ऊर्जा सहयोग को लेकर बातचीत जारी है।