Manisha Dhanwani
1 Nov 2025
Aniruddh Singh
30 Oct 2025
Aniruddh Singh
30 Oct 2025
नई दिल्ली। अमेरिका के भारतीय उत्पादों के निर्यात पर 50% टैरिफ लगाया है। ऐसे में यह सवाल स्वाभाविक है कि इस कदम से भारत की अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ेगा। क्या इसका बोझ मुख्य रूप से भारतीय निर्यातकों पर पड़ेगा या अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी महंगा सामान के रूप में इसकी कीमत अदा करनी पड़ेगी ? भारत की जीडीपी और निर्यात के परिप्रेक्ष्य में देखें तो साल 2024 में भारत की जीडीपी लगभग 3.9 ट्रिलियन डॉलर थी। इनमें से 79.4 अरब डॉलर का निर्यात अमेरिका को किया गया। यानी भारत की कुल जीडीपी में अमेरिकी निर्यात का हिस्सा लगभग 2.2 % बैठता है।
यदि सबसे खराब स्थिति में अमेरिकी निर्यात पूरी तरह बंद हो जाए, तो भारत की जीडीपी में 2.2% की ही गिरावट आएगी। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए निश्चित रूप से झटका होगा, लेकिन इसे आपदा जैसी स्थिति नहीं माना जा सकता। उल्लेखनीय है कि अमेरिका निर्यात होने वाली हर चीज पर 50 फीसदी दर नहीं लगती। टेक्सटाइल, झींगा और कुछ औद्योगिक वस्तुओं पर यह दर 50% है, लेकिन कई निर्यात अभी भी छूट के दायरे में हैं या उन पर पहले जैसी कम दरें ही लागू हैं। 50% टैरिफ वाले और छूट वाले उत्पादों को मिलाकर औसत दर 33% प्रभावी है। इसी औसत दर के आधार पर यह गणना की गई है।
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क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था 7.8% की दर से बढ़ रही है, ऐसे में 2 % की गिरावट के बाद भी भारत की अर्थव्यवस्था सकारात्मक गति से आगे बढ़ती रहेगी। हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2024 की शुरुआत में अमेरिका को मासिक आयात 285 अरब डॉलर का किया गया, जो जून 2024 तक घटकर 266 अरब डॉलर रह गया। यानी निर्यात में 7% की गिरावट आई। इसी अवधि में अमेरिकी उपभोक्ताओं पर प्रभावी टैरिफ दर 2% से बढ़कर 9% हो गई। इसका मतलब यह है कि टैरिफ दर में हर 1% की बढ़ोतरी से अमेरिकी आयात में लगभग 1% की गिरावट आई। यदि इसी तर्क से भारत के मामले का अनुमान लगाएं तो भारतीय निर्यात पर प्रभावी टैरिफ दर अब 33% हो चुकी है।
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पहले यह केवल 2% थी, यानी 31% की बढ़ोतरी हुई है। इसका सीधा मतलब है कि भारत के अमेरिकी निर्यात में लगभग 31% की गिरावट आ सकती है। यह केवल एक अनुमान है, क्योंकि इतने बड़े बदलाव पर सीधा अनुपात लागू करना हमेशा सही नहीं होता। लेकिन मोटे तौर पर इससे स्थिति की गंभीरता का पता चलता है। 31% की गिरावट का भारत की जीडीपी पर क्या असर होगा। यदि अमेरिकी निर्यात 79.4 अरब डॉलर से घटकर लगभग 55 अरब डॉलर तक आ जाता है, तो भारत की जीडीपी पर इसका असर लगभग 0.6% का होगा। यानी भारत की कुल विकास दर थोड़ी धीमी होगी, लेकिन यह संकट की स्थिति नहीं होगी। यह विश्लेषण मुख्य रूप से अल्पकालिक प्रभावों को समझाने के लिए है। दीर्घकाल में तस्वीर अलग हो सकती है।
एक ओर अमेरिकी उपभोक्ता भारतीय सामान की जगह अन्य देशों से सस्ते विकल्प तलाश सकते हैं, जिससे भारत का नुकसान और बढ़ सकता है। दूसरी ओर भारतीय कंपनियां अपने सामान के लिए नए बाजार भी खोज सकती हैं, जैसे यूरोप, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका या एशिया के अन्य देश। यह प्रक्रिया समय लेती है, लेकिन इससे भारत को संतुलन बनाने में मदद मिल सकती है। लब्बोलुआब यह कि अमेरिकी टैरिफ से भारत की अर्थव्यवस्था को अल्पकाल में झटका जरूर लगेगा, लेकिन यह झटका घातक नहीं होगा। 0.6% की अनुमानित गिरावट भारत की तेजी से बढ़ती जीडीपी के लिए संभालने योग्य कठिनाई है। लंबी अवधि में भारतीय निर्यातकों को अपनी रणनीति बदलनी होगी और नए बाजारों पर ध्यान देना होगा, इससे इस प्रभाव को भी पूरी तरह खत्म किया जा सकेगा।