Aniruddh Singh
23 Oct 2025
Aniruddh Singh
23 Oct 2025
Aniruddh Singh
23 Oct 2025
नई दिल्ली। भारत सरकार ने बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को पूरी तरह से खोलने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की है, जिसके अनुसार अब बीमा कंपनियों में 100% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) संभव होगा। हालांकि, यह कदम संसद की मंजूरी मिलने के बाद ही पूरी तरह लागू होगा, लेकिन इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार बीमा क्षेत्र को और अधिक उदार बनाने को लेकर गंभीर है। अब तक बीमा कंपनियों में विदेशी निवेश की अधिकतम सीमा 74% है।
अब इस सीमा को हटाकर यह व्यवस्था कर दी गई है कि निवेश की सीमा वही होगी, जो बीमा अधिनियम, 1938 में तय की गई है। अधिसूचना में कहा गया है कि बीमा कंपनियों में विदेशी निवेश स्वचालित मार्ग यानी ऑटोमैटिक रूट से किया जा सकेगा। इसका मतलब है कि निवेशकों को हर बार सरकार से अलग से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। लेकिन, निवेश से संबंधित सभी प्रस्तावों की जांच और पुष्टि बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) द्वारा की जाएगी।
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सरकार ने इस साल फरवरी के बजट में यह घोषणा की थी कि बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 74% से बढ़ाकर 100% कर दी जाएगी। साथ ही यह भी शर्त रखी गई थी कि जिन कंपनियों में 100% विदेशी निवेश होगा, उन्हें अपने पूरे प्रीमियम का निवेश भारत के अंदर ही करना होगा। इसका उद्देश्य यह है कि देश की बचत और संसाधन विदेश न जाकर भारत की अर्थव्यवस्था में ही उपयोग हों। इस कदम से बीमा क्षेत्र में नए पूंजी निवेश की संभावनाएं काफी बढ़ जाएंगी।
सरकार का मानना है कि बीमा कंपनियों में पूंजी प्रवाह बढ़ने से बीमा कवरेज यानी लोगों तक बीमा सेवाएं पहुंचाने की क्षमता में इज़ाफ़ा होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में कहा था कि 100% एफडीआई से बीमा क्षेत्र की पूरी क्षमता खुलकर सामने आएगी। इसके साथ ही बीमा उद्योग अगले 5 सालों में औसतन 7.1% की दर से बढ़ेगा, जो वैश्विक और उभरते हुए बाज़ारों की औसत वृद्धि दर से अधिक है।
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इसके अलावा, प्रस्तावित बीमा कानून (संशोधन) विधेयक में कुछ और अहम बदलाव भी शामिल हैं। इनमें मिश्रित लाइसेंस (कॉम्पोजिट लाइसेंस) जारी करने का प्रावधान है, जिसके तहत एक ही कंपनी जीवन बीमा, सामान्य बीमा और स्वास्थ्य बीमा जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर सकेगी। साथ ही विदेशी नागरिकों को भारतीय बीमा कंपनियों में मुख्य प्रबंधकीय पदों (केएमपी) पर नियुक्त करने की अनुमति भी दी जाएगी। इससे बीमा उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर का अनुभव और विशेषज्ञता प्राप्त होगी। सरकार का कहना है कि इस सुधार के साथ ही विदेशी निवेश से जुड़े नियमों और शर्तों को भी आसान बनाया जाएगा।
इससे निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और भारत को बीमा क्षेत्र में अधिक पूंजी मिलेगी। बीमा कंपनियों की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी और वे देश के कोने-कोने तक बीमा सेवाएं पहुंचाने में सक्षम होंगी। संक्षेप में, बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई का फैसला भारत के लिए एक बड़ा आर्थिक सुधार है। इससे जहां विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने का रास्ता खुलेगा, वहीं देश के बीमा उद्योग में प्रतिस्पर्धा, पारदर्शिता और विकास की गति भी तेज होगी। लंबे समय से अपेक्षित इस बदलाव से उम्मीद है कि बीमा कवरेज बढ़ेगा, अधिक लोगों को बीमा कवर मिलेगा और भारत की वित्तीय समावेशन को गति मिलेगी।