Aniruddh Singh
28 Oct 2025
Manisha Dhanwani
28 Oct 2025
Aniruddh Singh
28 Oct 2025
नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) जल्दी ही अपने सदस्यता की अनिवार्य वेतन सीमा को 15,000 से बढ़ाकर 25,000 रुपए प्रति माह करने पर विचार कर रहा है। वर्तमान में जिन कर्मचारियों का बेसिक वेतन 15,000 रुपए प्रति माह से अधिक है, उनके लिए ईपीएफ (ईपीएफ) और कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में शामिल होना वैकल्पिक है। लेकिन सीमा बढ़ने के बाद अधिक वेतन पाने वाले कर्मचारियों को भी इन योजनाओं में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की अगली बैठक दिसंबर या जनवरी में हो सकती है, जिसमें इस प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी दी जाएगी। श्रम मंत्रालय के आंतरिक आकलन के मुताबिक, सीमा 25,000 रुपए करने से लगभग 1 करोड़ नए कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आ जाएंगे।
श्रमिक संगठनों की लंबे समय से यह मांग रही है कि वेतन सीमा बढ़ाई जाए, क्योंकि महानगरों में कई निम्न और मध्यम कौशल वाले कर्मचारियों का वेतन पहले से ही ₹15,000 प्रति माह से अधिक है। ईपीएफओ नियमों के अनुसार, नियोक्ता और कर्मचारी दोनों को वेतन का 12 प्रतिशत-12 प्रतिशत हिस्सा हर महीने अंशदान के रूप में देना होता है। कर्मचारी का पूरा 12 प्रतिशत ईपीएफ खाते में जाता है, जबकि नियोक्ता का 12 प्रतिशत दो हिस्सों में बंटता है-3.67 प्रतिशत ईपीएफ में और 8.33 प्रतिशत ईपीएस में। जब यह सीमा 25,000 रुपए तक बढ़ेगी, तो ईपीएफ और ईपीएस दोनों योजनाओं में अंशदान की राशि बढ़ेगी, जिससे भविष्य निधि और पेंशन कोष में वृद्धि होगी। इसका सीधा लाभ कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद उच्च पेंशन और ब्याज अर्जन के रूप में मिलेगा।
वर्तमान में ईपीएफओ का कुल कोष लगभग 26 लाख करोड़ रुपए है और इसमें करीब 7.6 करोड़ सक्रिय सदस्य हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रस्ताव सामाजिक सुरक्षा कवरेज को व्यापक बनाने और मौजूदा वेतन स्तरों के अनुरूप सीमा तय करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे अधिक कर्मचारियों को दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा और सेवानिवृत्ति लाभों का फायदा मिलेगा, जो मौजूदा आर्थिक अस्थिरता के दौर में अत्यंत प्रासंगिक है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इससे नियोक्ताओं की वैधानिक लागत और अनुपालन बोझ बढ़ सकता है। वहीं कुछ कर्मचारी, विशेषकर निम्न और मध्यम आय वर्ग वाले, हाथ में मिलने वाले वेतन में कटौती के कारण इसका विरोध कर सकते हैं।