Aniruddh Singh
30 Oct 2025
Aniruddh Singh
30 Oct 2025
Aniruddh Singh
29 Oct 2025
बीजिंग। दक्षिण कोरिया के बुसान में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक के बीच चीन ने गुरुवार को घोषणा की है कि वह रेयर अर्थ (दुर्लभ पृथ्वी तत्वों) से संबंधित कुछ निर्यात प्रतिबंधों को एक वर्ष के लिए स्थगित करेगा। ये प्रतिबंध 9 अक्टूबर को घोषित किए गए थे, जिनका उद्देश्य रेयर अर्थ उद्योग और उससे जुड़ी तकनीकों के निर्यात को नियंत्रित करना था। अब बीजिंग ने कहा है कि वह इन नियंत्रणों को अस्थायी रूप से लागू नहीं करेगा और आने वाले एक वर्ष में इन नीतियों की समीक्षा करके उन्हें और परिष्कृत करेगा। चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया चीन 9 अक्टूबर को घोषित संबंधित निर्यात नियंत्रण उपायों के कार्यान्वयन को एक वर्ष के लिए निलंबित करेगा और इस अवधि में विशिष्ट योजनाओं का अध्ययन एवं संशोधन करेगा।
इसका अर्थ है कि फिलहाल ये नियंत्रण प्रभावी नहीं होंगे, लेकिन चीन इस पर भविष्य में नई रणनीति तैयार कर सकता है। रेयर अर्थ मिनरल्स 17 प्रकार की धातुएं होती हैं, जो उच्च-प्रौद्योगिकी उत्पादों जैसे स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन, पवन टरबाइन, मिसाइल और रक्षा उपकरणों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। चीन विश्व का सबसे बड़ा रेयर अर्थ उत्पादक और निर्यातक देश है-विश्व आपूर्ति का लगभग 60% हिस्सा चीन से आता है। इस कारण, चीन की नीतियों में कोई भी बदलाव वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर गहरा असर डाल सकता है। 9 अक्टूबर को घोषित नियंत्रणों का उद्देश्य था कि कुछ विशिष्ट रेयर अर्थ खनिजों, उनके मिश्रणों और उनसे संबंधित प्रसंस्करण तकनीकों के निर्यात को सीमित किया जाए।
यह कदम उस समय आया था जब अमेरिका और उसके सहयोगी देश इन धातुओं पर अपनी निर्भरता कम करने की दिशा में प्रयास कर रहे थे। अब चीन द्वारा एक साल के लिए इन पाबंदियों को निलंबित करने का मतलब यह है कि वह फिलहाल अंतरराष्ट्रीय दबाव और व्यापारिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए नरम रुख अपना रहा है। यह फैसला अमेरिका और अन्य देशों के साथ चल रही कूटनीतिक बातचीत को सहज बनाने के लिए लिया गया है, विशेष रूप से उस समय जब अमेरिका-चीन व्यापार वार्ताएँ फिर से शुरू हुई हैं। इस निर्णय से वैश्विक बाजारों को अस्थायी राहत मिली है, क्योंकि रेयर अर्थ आपूर्ति में किसी संभावित बाधा का खतरा फिलहाल टल गया है। साथ ही यह भी स्पष्ट है कि चीन इस क्षेत्र में अपना नियंत्रण बनाए रखना चाहता है।