Peoples Reporter
30 Oct 2025
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26 Oct 2025
धर्म डेस्क। तुलसी विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को होता है। इस दिन भगवान शालिग्राम (विष्णु जी का स्वरूप) और तुलसी माता का विवाह कराया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से कन्यादान के बराबर पुण्य मिलता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
इस साल तुलसी विवाह का पावन पर्व 2 नवंबर 2025 रविवार को मनाया जाएगा। यह तिथि अत्यंत शुभ है, क्योंकि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग का संयोग बन रहा है। जो सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना जाता है।
पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 2 नवंबर को सुबह 7:31 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 3 नवंबर को सुबह 5:07 बजे समाप्त होगी। वहीं, तुलसी विवाह का शुभ और उत्तम मुहूर्त प्रदोष काल यानी शाम के समय है जो शाम 5:35 बजे से शुरू होकर विशेष रूप से शाम 6:01 बजे तक गोधूलि वेला में विवाह संस्कार संपन्न कराने के लिए सबसे श्रेष्ठ है।
तुलसी विवाह के लिए मुख्य रूप से तुलसी का पौधा और भगवान शालिग्राम की मूर्ति या पत्थर आवश्यक है। मंडप के लिए गन्ने या केले के पत्ते, चौकी, और गेरू की व्यवस्था करें। श्रृंगार में तुलसी माता के लिए लाल चुनरी और सोलह श्रृंगार तथा शालिग्राम जी के लिए पीला वस्त्र रखें। पूजा सामग्री में अक्षत, सिंदूर, रोली, कच्चा सूत, हल्दी की गांठ, दीया, घी, पंचामृत और मौसमी फल जैसे मूली, गन्ना, आंवला आदि शामिल करें।
पूजा विधि में दोनों को चौकियों पर स्थापित कर गन्ने का मंडप बनाएं। शालिग्राम और तुलसी जी को तिलक लगाकर तुलसी को चुनरी अर्पित करें। विवाह की रस्म में शालिग्राम भगवान को पुरुष द्वारा हाथों में लेकर तुलसी के पौधे की सात परिक्रमा कराई जाती है जो सात फेरे दर्शाती है। अंत में आरती कर प्रसाद वितरण करें। यह अनुष्ठान सुख-समृद्धि लाता है वैवाहिक जीवन मधुर बनाता है। वहीं, कन्यादान के समान पुण्य प्रदान करता है।