Mithilesh Yadav
24 Nov 2025
Mithilesh Yadav
23 Nov 2025
Garima Vishwakarma
22 Nov 2025
Mithilesh Yadav
21 Nov 2025
Mithilesh Yadav
21 Nov 2025
सुबह ऑफिस के लिए तैयार होते समय हल्की बेचैनी, किसी से बहस का डर या अनकहे दबाव का एहसास - ये सिर्फ थकान नहीं, बल्कि टॉक्सिक ऑफिस कल्चर का पहला संकेत हो सकता है। धीरे-धीरे यह माहौल हमारी सोच, नींद और आत्मविश्वास पर असर डालता है, और अक्सर हम यह महसूस भी नहीं करते कि हमारी खुशियाँ कब दूर हो गईं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारत में कर्मचारियों के तनाव का सबसे बड़ा कारण सिर्फ काम नहीं, बल्कि काम करने का माहौल है। सही वातावरण में कठिन काम भी आसान लगते हैं, लेकिन गलत माहौल में साधारण काम भी बोझ बन जाता है। इसलिए जानना जरूरी है कि टॉक्सिक ऑफिस कल्चर कैसे असर डालता है और खुद को इससे कैसे सुरक्षित रखा जाए।
आजकल कई ऑफिसों में लगातार दबाव और अवास्तविक अपेक्षाए कर्मचारियों को थका देती हैं। काम का भारी बोझ, ओवरटाइम की मजबूरी और लगातार टारगेट का दबाव धीरे-धीरे व्यक्ति को भावनात्मक रूप से कमजोर कर देते हैं और आत्मविश्वास कम कर देते हैं।
टॉक्सिक ऑफिस का सबसे बड़ा संकेत ऑफिस पॉलिटिक्स और गॉसिप है। कौन किसके खिलाफ है, कौन पीछे से नीचा दिखा रहा है - ऐसे माहौल में काम से ज्यादा समय माहौल को समझने में निकल जाता है। यह मानसिक थकान और एंग्जायटी बढ़ाता है।
जब बॉस अपनी पसंद के लोगों को तरजीह देता है और दूसरों को नीचा दिखाता है, या छोटी-छोटी बातों पर सार्वजनिक रूप से डांट देता है, तो माहौल जहरीला बन जाता है। इस तरह की नेतृत्व शैली कर्मचारियों में डर और असुरक्षा पैदा करती है।
लगातार भावनात्मक संघर्ष दिमाग को थका देता है और व्यक्ति धीरे-धीरे खुद पर शक करने लगता है। क्या मैं अच्छा हू? क्या मेरी नौकरी खतरे में है? इसी तरह की सोच आत्मविश्वास को कमजोर कर देती है। तनाव शरीर पर भी असर डालता है - नींद कम हो जाती है, भूख बिगड़ जाती है और काम में ध्यान नहीं लगता। कर्मचारी धीरे-धीरे ऑटो मोड पर काम करने लगते हैं, जहा भावनाए सुन्न हो जाती हैं। टॉक्सिक ऑफिस का असर पर्सनल लाइफ पर भी पड़ता है। घर पर भी ऑफिस का दबाव छाया रहता है, जिससे रिश्तों, बातचीत और जीवन की क्वालिटी प्रभावित होती है।
इस तरह के माहौल में अपनी इमोशनल बाउंड्री सेट करना बेहद जरूरी है। तय करें कि कौन-सी बात को दिल पर लेना है और क्या सिर्फ शोर है। आफ्टर ऑफिस घंटे में काम न करें, अनावश्यक बहस से बचें और अपनी ऊर्जा उन लोगों पर खर्च करें जो आपको सपोर्ट करते हैं। काम का दबाव अचानक कम नहीं होगा, लेकिन इसे स्मार्ट तरीके से मैनेज किया जा सकता है। काम को छोटे हिस्सों में बांटें, प्राथमिकता तय करें और समय-सीमा में पूरा करें।
टॉक्सिक लोगों से दूरी बनाना भी महत्वपूर्ण है। लगातार शिकायत करने वाले, गॉसिप करने वाले और आलोचना करने वाले लोगों से धीरे-धीरे दूरी बनाएं। इसके साथ ही दोस्ताना और सपोर्टिव लोगों से जुड़ें जो माहौल को हल्का बनाए रखें और मुश्किल समय में भावनात्मक सहारा दें। अपनी मानसिक सेहत को प्राथमिकता दें। मेडिटेशन, वॉक, जर्नलिंग और अपनी पसंद के काम मानसिक ऊर्जा बढ़ाते हैं और तनाव कम करते हैं। यदि समस्या गंभीर हो तो HR से लिखित रूप से संपर्क करें।
हर लड़ाई लड़ने की जरूरत नहीं होती। अगर ऑफिस का माहौल आपकी सेहत, नींद या रिश्तों को प्रभावित कर रहा है, या आप अपनी क्षमता पर संदेह करने लगे हैं, तो यह संकेत है कि बदलाव का समय आ गया है। काम आपके जीवन का हिस्सा होना चाहिए, बोझ नहीं।