Aniruddh Singh
7 Oct 2025
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में बदलाव का प्रस्ताव छोटी कारों की बिक्री को नई ऊर्जा दे सकता है। पिछले कुछ सालों में देश में एसयूवी और बड़ी कारों की लोकप्रियता इस तेजी से बढ़ी है, कि छोटी हैचबैक और कॉम्पैक्ट कारों की बिक्री दबाव में आ गई है। अब प्रस्तावित जीएसटी सुधारों के तहत छोटी कारों पर कर का बोझ कम होने से इनकी बिक्री बढ़ने की उम्मीद है। 4 मीटर तक लंबाई और 1200 सीसी (पेट्रोल, सीएनजी और एलपीजी) तक इंजन क्षमता वाली छोटी कारों को 18% टैक्स स्लैब में लाने का प्रस्ताव है। फिलहाल इन पर 28% जीएसटी और 1% सेस लगता है, यानी कुल कर बोझ करीब 29% बैठता है। अगर जीएसटी की दर में बदलाव लागू होता है, तो कर में लगभग 11% की कमी आएगी, जिससे इनकी एक्स-शोरूम कीमत में 12-12.5% तक की गिरावट आ सकती है। इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा और एंट्री-लेवल कार खरीदने वालों के लिए यह बड़ी राहत होगी।
इसके विपरीत, बड़ी कारों और एसयूवी पर 40% विशेष टैक्स दर लागू करने की योजना है। अभी इन वाहनों पर 43-50% तक का टैक्स बोझ है। यानी सरकार का इरादा है कि मध्यम वर्ग और शुरूआती उपभोक्ताओं की पसंद को सस्ता किया जाए, जबकि लक्जरी और प्रीमियम वाहनों पर अपेक्षाकृत ऊंचा टैक्स जारी रहे। इलेक्ट्रिक वाहनों पर फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा और उन पर 5% की रियायती दर बनी रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में इस बदलाव की झलक दिखाते हुए कहा था कि यह अगली पीढ़ी का जीएसटी सुधार होगा, जिससे पूरे देश में कर बोझ कम होगा और यह दिवाली से पहले जनता को उपहार की तरह होगा। इस बार सरकार ने जीएसटी दर संरचना को सरल बनाने का प्रस्ताव रखा है। अब केवल 5% और 18% की दरें होंगी, जबकि 12% और 28% की पुरानी दरें खत्म की जाएंगी। हालांकि 6-7 वस्तुओं पर विशेष 40% टैक्स लागू होगा। रोजमर्रा की उपयोग की वस्तुएं 5% स्लैब में रहेंगी, जबकि औद्योगिक सामान और मध्यम वर्ग के उपभोग की चीजें 18% टैक्स के दायरे में आएंगी।
ये भी पढ़ें: कोटक महिंद्रा पहली भारतीय कंपनी जिसे यूएई में मिली खुदरा निवेशकों को फंड बेचने की मंजूरी
प्रस्ताव को मंत्रियों के समूह (जीओएम) के पास भेजा गया है और सितंबर के तीसरे सप्ताह में जीएसटी परिषद इस पर अंतिम निर्णय लेगी। वाहन उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि अगर छोटी कारों की कीमत 20,000-25,000 रुपए तक कम होती है, तो यह इससे उपभोक्ता सेंटीमेंट प्रभावित होगा और बाजार में मांग बढ़ेगी। हालांकि, यह वृद्धि केवल हैचबैक तक सीमित नहीं रहेगी क्योंकि आजकल कॉम्पैक्ट एसयूवी जैसे हुंडई एक्सटर और टाटा पंच भी सब-4 मीटर कैटेगरी में उपलब्ध हैं और उपभोक्ता इन्हें खरीदना पसंद कर रहे हैं। डीलरशिप और बाजार से जुड़े लोगों का कहना है कि उपभोक्ताओं का रुझान तेजी से बदल रहा है। आज कई ग्राहक दोपहिया से सीधे कॉम्पैक्ट एसयूवी की ओर बढ़ रहे हैं और पारंपरिक छोटी हैचबैक को छोड़ रहे हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि पिछले पांच-छह सालों में सुरक्षा और उत्सर्जन मानकों के कड़े होने के कारण छोटी कारों की कीमतें 30-40% तक बढ़ गई हैं। इस वजह से एंट्री-लेवल उपभोक्ता इन्हें खरीदने में सक्षम नहीं रह गए हैं।
ये भी पढ़ें: देश में रोजगार सृजन की गति संतोषजनक, जुलाई में घटकर 5.2% पर आई बेरोजगारी दर
आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2025 में कॉम्पैक्ट कार और हैचबैक की बिक्री 13% गिरकर लगभग 10 लाख यूनिट पर आ गई, जबकि एसयूवी की बिक्री 10.2% बढ़कर 23.5 लाख यूनिट पर पहुंच गई। कुल यात्री वाहन बाजार में छोटी कारों की हिस्सेदारी लगातार पांच साल से घट रही है और 2024-25 में यह गिरकर 23.4% पर आ गई। चालू वित्त वर्ष की पहले चार महीनों में यह और घटकर 21% रह गई है। उद्योग के दिग्गजों का मानना है कि प्रस्तावित कर कटौती से छोटे कार खंड को फिर से प्रोत्साहन मिलेगा। खासकर पहली बार कार खरीदने वाले उपभोक्ताओं को इससे राहत मिलेगी और उनकी क्रय क्षमता बढ़ेगी। हालांकि यह भी सच है कि आज का उपभोक्ता अधिक महत्वाकांक्षी है और वित्तीय विकल्पों की उपलब्धता के कारण सीधे कॉम्पैक्ट एसयूवी या बड़ी कारों की ओर रुख कर रहा है। इसके बावजूद जीएसटी में यह कटौती छोटी कारों के बाजार को दोबारा गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।