Aniruddh Singh
9 Nov 2025
मुंबई। अक्टूबर में थोड़े समय के ठहराव के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने एक बार फिर भारतीय शेयर बाजार से अपना निवेश निकालना शुरू कर दिया है। नवंबर 2025 के शुरूआती दिनों में ही एफपीआई ने भारतीय इक्विटी बाजार से 12,569 करोड़ रुपए की शुद्ध निकासी की है। यह बिकवाली कमजोर वैश्विक संकेतों और जोखिम से बचने की भावना के चलते हुई है। इससे पहले अक्टूबर में एफपीआई ने 14,610 करोड़ रुपए का निवेश किया था, जो लगातार तीन महीनों की बिकवाली के बाद पहली बार हुआ था। सितंबर में उन्होंने 23,885 करोड़, अगस्त में 34,990 करोड़ और जुलाई में 17,700 करोड़ रुपए की निकासी की थी। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार के अनुसार, नवंबर में अब तक प्रत्येक ट्रेडिंग सत्र में एफपीआई द्वारा बिकवाली जारी रही है। इससे भारत का बाजार अन्य प्रमुख देशों की तुलना में कमजोर प्रदर्शन कर रहा है।
उन्होंने बताया कि 2025 में एफपीआई की गतिविधियों का एक खास पहलू विभाजित निवेश प्रवृत्ति रहा है, हेज फंड भारत में शेयर बेच रहे हैं, जबकि अमेरिका, चीन, दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे उन बाजारों में खरीदारी कर रहे हैं जिन्हें एआई आधारित तकनीकी उछाल का लाभ मिल रहा है। विजयकुमार ने कहा इस समय वैश्विक निवेशक भारत को एआई-अंडरपरफॉर्मर के रूप में देख रहे हैं, यानी ऐसा देश जो एआई से जुड़ी तेजी में उतना लाभ नहीं उठा पा रहा। यह धारणा फिलहाल एफपीआई की रणनीति को प्रभावित कर रही है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा एआई से जुड़े शेयरों का मूल्यांकन अब काफी महंगा हो चुका है और टेक्नोलॉजी सेक्टर में संभावित बबल का खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में यदि यह स्थिति बनी रहती है और भारत की कंपनियों की कमाई में निरंतर सुधार होता है, तो आने वाले महीनों में एफपीआई दोबारा भारतीय बाजार में खरीदारी शुरू कर सकते हैं। एंजेल वन के सीनियर फंडामेंटल एनालिस्ट वकार जावेद खान ने भी इसी दृष्टिकोण को दोहराते हुए कहा कि नवंबर के पहले सप्ताह में एफपीआई ने भारत से 12,569 करोड़ रुपए के शेयर बेचे।
उन्होंने बताया भारत की कंपनियों के दूसरी तिमाही के नतीजे उम्मीद से थोड़ा बेहतर रहे हैं, खासकर मिडकैप सेगमेंट में, लेकिन वैश्विक परिस्थितियां अभी भी चुनौतीपूर्ण हैं। इसी कारण विदेशी निवेशक निकट भविष्य में जोखिमपूर्ण संपत्तियों से दूर रहने की संभावना रखते हैं। जावेद खान ने कहा जैसे-जैसे तिमाही नतीजों का दौर आगे बढ़ेगा, कुछ चुनिंदा क्षेत्रों और कंपनियों में विदेशी निवेश फिर से लौट सकता है। 2025 में अब तक एफपीआई ने भारतीय बाजारों से 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कुल निकासी की है। वहीं, ऋण बाजार में भी एफपीआई ने सामान्य सीमा के तहत 1,758 करोड़ रुपए की निकासी की, जबकि स्वैच्छिक रिटेंशन रूट के तहत 1,416 करोड़ रुपए का निवेश किया। कुल मिलाकर, नवंबर की शुरूआत एफपीआई के दृष्टिकोण से भारत के लिए नकारात्मक रही है। वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता, तकनीकी शेयरों में कमजोरी और एआई आधारित निवेश प्रवृत्ति ने भारत को फिलहाल निवेशकों की प्राथमिकता सूची में पीछे धकेल दिया है।